अनूपपुर। हर वर्ष एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। यह दिन उन डॉक्टरों को समर्पित होता है जो हमारी सेहत का ध्यान रखते हैं। ये हमें नया जीवनदान देते हैं। साथ ही हमें बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। हल्का सा भी हम अगर बीमार पड़ते हैं तो तुरंत ही डॉक्टमर के पास भागते हैं। यही कारण है कि डॉक्टार को भगवान का रूप कहा जाता है। लेकिन, आपको बता दें कि हर बीमारी के लिए एक एक्सिपर्ट होता है। जैसे कि साधारण बुखार या खांसी होने पर फिजीशियन से मिलना चाहिए। तो वहीं हड्डी से जुड़ी बीमारी के लिए ऑर्थोपेडिक सर्जन और दिमाग के लिए न्यूीरोलॉजिस्टं से मिलने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा आंखों की तकलीफ होने पर नेत्र चिकित्सा के पास जाना चाहिए। कई बार सही डॉक्टर से समय पर इलाज न मिलने की वजह से भी बीमारी और बढ़ जाती है।
बीमार मरीजों को स्वस्थ कर नया जीवन देने वाले चिकित्सकों को भगवान का दूसरा रूप कहा गया है,जो विपरीत परिस्थितियों में भी मरीजों के लिए तत्पर रहते हैं। जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के लिए समर्पित चिकित्सक लोगों का विश्वास बन चुके हैं। कोरोना कल में अपने स्वास्थ्य की परवाह न करते हुए मरीजों की सेवा को महत्वपूर्ण माना और इस घातक बीमारी से संक्रमित होने के बाद भी सेवा से पीछे नहीं हटे। स्वस्थ होकर मोर्चा संभाला। कुछ ऐसे चिकित्सक भी हैं जो सेवानिवृत्त होने के बाद भी ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित रूप से सेवा प्रदान कर रहे हैं। नाम मात्र की फीस पर ये मरीजों का इलाज करते हैं। इतना ही नहीं उनके क्लीनिक में कोई मरीज बिना फीस के भी आ पहुंचे तो उसका इलाज करने से चिकित्सक कोई परहेज नहीं करते।
संक्रमित होने के बाद भी सेवा में जुटे रहे
जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ. एस सी राय एक पहचाना नाम है। कोरोना काल में सिविल सर्जन की जिम्मेदारी का निर्वहन करने के दौरान चिकित्सक खुद भी इस बीमारी से गंभीर रूप से ग्रसित हो गए। उनको गंभीर हालत में उपचार के लिए भोपाल के चिरायु अस्पताल में दाखिल कराया गया। फेफड़े 70 प्रतिशत संक्रमित हो चुके थे। 15 दिन तक आईसीयू में जिंदगी और मौत से जूझने के पश्चात 2 महीने का बेड रेस्ट लिया और स्वस्थ होकर के कोरोना की दूसरी लहर में फिर से संक्रमण से जूझ रहे मरीजों की सेवाएं की, जबकि दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक थी। आज भी मरीजों की सेवा में तत्पर हैं।
मरीजो से घुल मिलकर उनकी ही भाषा में करते हैं इलाज
जिला चिकित्सालय में पदस्थ डॉ जनक सारीवान आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं नेत्र चिकित्सा के लिए शहडोल संभाग में जानामाना नाम हैं। विपरीत परिस्थियों में पड़ाई पूरी कर नेत्र चिकित्सा को अपनाया और जून 2010 से अबतक 15616 लोगो की आंखों की शल्य चिकित्सा कर चुके हैं,वहीं वर्ष 2024-25 में पूरे शहडोल संभाग में सर्वाधिक 1195 आंखों की शल्य चिकित्सा कर प्रथम स्थान पाया हैं। उदार हृदय का व्यक्तित्व होने से मरीजो से घुल मिलकर उनकी ही भाषा में बीमारी को जानकर इलाज करते हैं। इनके पास कोई गरीब अमीर नहीं होता सबका समान भाव से इलाज करते हैं। किसी के पास दवा कराने या दवा लेने के लिए पैसा नहीं होने पर मदद कर उनका इलाज कर चेहरे में मुस्कान लाते हैं।
कई मरीजों का करते हैं नि:शुल्क इलाज
राजेंद्रग्राम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से चिकित्सक के रूप में सेवानिवृत हुए डॉ तोताराम चौरसिया 1989 में शासकीय सेवा में आए थे और 2021 में सेवानिवृत हुए। सेवानिवृत्ति के बाद राजेंद्र ग्राम के शिवरी चंदास में अपना क्लीनिक चला रहे हैं जहां काफी संख्या में हर दिन लोग इलाज कराने आते हैं। 100 रुपए की फीस लेकर मरीज को उपचार लाभ प्रदान करते हैं। इस दौरान यदि कोई गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति क्लीनिक पर आ जाए तो उसको नि:शुल्क स्वास्थ्य सेवा देने से भी कोई परहेज नहीं करते हैं। प्रतिदिन क्लीनिक में 5 से 10 मरीज ऐसे आते हैं जिनके पास रुपए नहीं होते हैं डॉ. चौरसिया उनका भी इलाज करते हैं।
80 वर्ष की आयु में भी ग्रामीणों को दे रहे सेवा
पुष्पराजगढ़ के ग्राम भेजरी में डॉ. केसी खरया 80 वर्ष की आयु में भी नियमित रूप से लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। उनकी क्लीनिक पर प्रतिदिन मरीजों की कतार लगती है। 20 से 50 रुपए की मामूली फीस लेकर ये मरीज का उपचार कर रहे हैं। 1970 में एमबीबीएस करने के बाद 1977 सेवा में आए। 1988 में पुष्पराजगढ़ के ग्राम पंचायत भेजरी में अपनी चिकित्सा सेवा प्रारंभ की। इनका उद्देश्य गरीबों की सेवा करना था। शुरुआत में 1 रुपए में इंजेक्शन एवं 75 पैसे में पूरी दवाई देते थे। आज भी नाममात्र की फीस बीमार व्यक्तियों से लेते हैं। गरीबों का नि:शुल्क उपचार करते हैं। इन्होंने अपना शरीर मेडिकल कॉलेज शहडोल को दान कर दिया है।
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