राजस्थान के सीकर जिले के रींगस स्थित खाटूश्याम नगरी में स्थित विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम मंदिर में विराजमान बाबा श्याम ने अपना स्वरूप बदल लिया है। इस नवरात्रि में सात दिनों तक बाबा श्याम अपने भक्तों को विशेष दर्शन देंगे। नवरात्रि के दौरान बाबा श्याम के "श्यामयी" स्वरूप (जिसे उनका असली स्वरूप कहा जाता है) के दर्शन बिना तिलक या श्रृंगार के किए जा रहे हैं, जिसका विशेष धार्मिक महत्व है।
नग्न दर्शन का क्या महत्व है?
बाबा श्याम के इस विशेष, मूल स्वरूप के प्रकट होने के पीछे कई मान्यताएँ और धार्मिक कारण हैं। ऐसा माना जाता है कि यह नग्न स्वरूप बाबा श्याम के मूल और प्राचीन स्वरूप का प्रतिनिधित्व करता है। ऐसा कहा जाता है कि सदियों पहले एक प्राचीन तालाब में मिली बाबा श्याम की मूर्ति इसी कृष्ण स्वरूप में थी। इस स्वरूप के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
बाबा श्याम शालिग्राम रूप में दर्शन दे रहे हैं
मंदिर समिति ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अमावस्या के दिन प्रातःकालीन श्रृंगार आरती के दौरान श्रृंगार मंत्र के उच्चारण के बाद बाबा का तिलक उतारकर उन्हें स्थान दिया गया। इसके बाद बाबा श्याम अपने पूर्ण शालिग्राम स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। उन्होंने बताया कि बाबा श्याम इस स्वरूप में श्याम कुंड से प्रकट हुए थे और इस स्वरूप में बाबा के दर्शन अत्यंत शुभ माने जाते हैं। श्री श्याम मंदिर समिति ने अमावस्या के दिन बाबा श्याम को स्नान कराया और इस दौरान सुगंधित फूलों से बाबा श्याम का विशेष श्रृंगार किया गया।
कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में बाबा का अलग-अलग श्रृंगार किया जाता है
गौरतलब है कि बाबा श्याम हर माह दो रूपों में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं। कृष्ण पक्ष में वे श्याम (पीले) और शुक्ल पक्ष में पूर्ण शालिग्राम (काले) रूप में प्रकट होते हैं। कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के अनुसार बाबा का श्रृंगार अलग-अलग होता है।
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