राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां हर शहर में इतिहास से जुड़े कई रहस्य और कहानियां हैं जो इसे खास बनाती हैं। राजाओं-महाराजाओं के लिए खास रहा ये राज्य कई वजहों से लोगों को डराता भी था। भारत का सबसे डरावना किला यहीं है, जिसे भानगढ़ किला कहा जाता है। लेकिन सिर्फ भानगढ़ ही नहीं, यहां एक भूतहा गांव भी है, जहां लोग रात तो दूर, दिन में भी जाने से डरते हैं। इस गांव की कहानी काफी चौंकाने वाली है। इस गांव का नाम कुलधरा है। कुलधरा गांव की वीरानी को लेकर एक अजीब रहस्य है। दरअसल, कुलधरा की कहानी करीब 200 साल पहले शुरू हुई थी, जब कुलधरा एक खंडहर नहीं था बल्कि इसके आसपास के 84 गांवों को पालीवाल ब्राह्मणों ने बसाया था।
लेकिन तभी कुलधरा को किसी की बुरी नजर लग गई, वो शख्स था रियासत का दीवान सालम सिंह. बदचलन दीवान सालम सिंह की गंदी नजर गांव की एक खूबसूरत लड़की पर पड़ गई. दीवान उस लड़की का इतना दीवाना था कि वो बस उसे किसी भी कीमत पर पाना चाहता था. इसके लिए उसने ब्राह्मणों पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। हद तो तब हो गई जब दीवान ने लड़की के घर संदेश भिजवाया कि अगर अगली पूर्णिमा तक उसे लड़की नहीं मिली तो वह गांव पर हमला कर लड़की को उठा ले जाएगा। दीवान और गांव वालों के बीच यह लड़ाई अब एक कुंवारी लड़की की इज्जत के साथ-साथ गांव के स्वाभिमान की भी थी। गांव की चौपाल पर पालीवाल ब्राह्मणों की बैठक हुई और 5000 से ज्यादा परिवारों ने अपने सम्मान की खातिर रियासत छोड़ने का फैसला कर लिया। कहा जाता है कि सभी 84 गांव वाले एक मंदिर में फैसला लेने के लिए इकट्ठा हुए और पंचायतों ने तय किया कि चाहे कुछ भी हो जाए, वे अपनी लड़कियों को उस दीवान को नहीं देंगे।
अगली शाम कुलधरा इतना वीरान हो गया कि आज भी गांव की सीमा में पक्षी भी प्रवेश नहीं करते। कहा जाता है कि गांव छोड़ते वक्त उन ब्राह्मणों ने इस जगह को श्राप दिया था। आपको बता दें कि बदलते वक्त के साथ 82 गांवों का पुनर्निर्माण तो हुआ, लेकिन दो गांव कुलधरा और खाभा तमाम कोशिशों के बावजूद आज तक आबाद नहीं हो पाए हैं। यह गांव अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण में है और प्रतिदिन दिन के समय पर्यटकों के लिए खुला रहता है।
कहते हैं कि इस गांव में आध्यात्मिक शक्तियों का वास है। पर्यटन स्थल बन चुके कुलधरा गांव में आने वालों के अनुसार, यहां रहने वाले पालीवाल ब्राह्मणों की आवाजें आज भी सुनी जा सकती हैं। उन्हें हमेशा ऐसा लगता है कि कोई यहां घूम रहा है। बाजार की आवाजें, महिलाओं की चहचहाहट और उनकी चूड़ियों और पायल की आवाज हमेशा सुनाई देती है। प्रशासन ने इस गांव की सीमा पर एक गेट बनाया है, जिसकी वजह से दिन में तो पर्यटक घूमने आते रहते हैं, लेकिन रात में कोई भी इस गेट को पार करने की हिम्मत नहीं करता। कुलधरा गांव में एक मंदिर है जो आज भी श्राप से मुक्त है।
यहां एक बावड़ी भी है जो उस समय पीने के पानी का स्रोत थी। नीचे एक शांत गलियारे में जाने के लिए कुछ सीढ़ियां भी हैं, कहा जाता है कि शाम ढलने के बाद यहां अक्सर कुछ आवाजें सुनाई देती हैं। लोगों का मानना है कि यह आवाज 18वीं सदी की पीड़ा है, जिससे पालीवाल ब्राह्मण गुजरे थे। गांव में कुछ घर ऐसे भी हैं, जहां अक्सर रहस्यमयी परछाइयां दिखाई देती हैं। दिन के उजाले में तो सबकुछ इतिहास की कहानी जैसा लगता है, लेकिन शाम होते ही कुलधरा के दरवाजे बंद हो जाते हैं और आध्यात्मिक शक्तियों की रहस्यमयी दुनिया सामने आ जाती है। लोगों का कहना है कि रात में जो भी यहां आया, वह हादसे का शिकार हो गया। मई 2013 में दिल्ली की पैरानॉर्मल सोसायटी की एक टीम, जो भूत-प्रेतों पर शोध करती है, ने कुलधरा गांव में रात बिताई। टीम का मानना था कि यहां कुछ असामान्य जरूर होता होगा।
शाम के समय उनका ड्रोन कैमरा आसमान से गांव की तस्वीरें ले रहा था, लेकिन जैसे ही वह उस बावड़ी के ऊपर आया, कैमरा हवा में गोता लगाकर जमीन पर गिर गया। मानो कोई था जिसे वह कैमरा मंजूर नहीं था। यह सच है कि कुलधरा से हजारों परिवार पलायन कर गए, यह भी सच है कि आज भी कुलधरा में राजस्थानी संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। पैरानॉर्मल सोसायटी के उपाध्यक्ष अंशुल शर्मा ने बताया था कि हमारे पास घोस्ट बॉक्स नाम की एक डिवाइस है। इसके जरिए हम ऐसी जगहों पर रहने वाली आत्माओं से सवाल पूछते हैं। कुलधरा में भी ऐसा ही किया गया, जहां कुछ आवाजें सुनाई दीं और कुछ मामलों में आत्माओं ने अपने नाम भी बताए। 4 मई 2013 (शनिवार) की रात को कुलधरा गई टीम को गाड़ियों पर बच्चों के हाथ के निशान मिले।
जब टीम के सदस्य कुलधरा गांव का दौरा करके लौटे, तो उन्होंने अपनी गाड़ियों के विंडशील्ड पर बच्चों के पंजे के निशान भी देखे। (जैसा कि कुलधरा गए टीम के सदस्यों ने मीडिया को बताया) लेकिन यह भी सच है कि कुलधरा में भूतों की कहानियां महज एक भ्रम हैं। इतिहासकारों के अनुसार पालीवाल ब्राह्मण अपनी संपत्ति, जिसमें बड़ी मात्रा में सोना, चांदी और हीरे-जवाहरात शामिल थे, को जमीन के अंदर दबा कर रखते थे। इसीलिए जो भी यहां आता है, जगह-जगह खुदाई शुरू कर देता है। इस उम्मीद के साथ कि शायद उन्हें वो सोना हाथ लग जाए। ये गांव आज भी जगह-जगह बिखरा हुआ मिलता है।
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