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अजमेर शरीफ की दरगाह में क्यों नहीं टिक पाते जिन्न और प्रेत ? वायरल डॉक्यूमेंट्री में देखे दरगाह के डरावने हिस्से

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राजस्थान के अजमेर शहर में स्थित "ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती" की दरगाह को दुनिया भर में श्रद्धा और आस्था का प्रतीक माना जाता है। हर धर्म और जाति के लोग यहां सिर झुकाने आते हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इस पवित्र स्थल के आसपास कुछ ऐसे स्थान और घटनाएं भी जुड़ी हैं, जिन्हें लेकर कई रहस्य और डरावनी कहानियाँ सामने आती रही हैं। माना जाता है कि अजमेर शरीफ की पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा के कारण यहां से भूत-प्रेत और जिन्नात तक दूर भागते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इसके पीछे की मान्यता और कौन-से हैं वे रहस्यमयी स्थान जहां अब भी एक अलग ही ऊर्जा महसूस की जाती है।

दरगाह की पाक ज़मीन से दूर भागते हैं जिन्न

अजमेर शरीफ दरगाह को इस्लामी सूफी परंपरा में बहुत ऊंचा दर्जा प्राप्त है। यहां ऐसा माना जाता है कि ख्वाजा साहब की मज़ार के आसपास की ज़मीन इतनी पाक और आध्यात्मिक शक्ति से भरपूर है कि कोई भी नकारात्मक शक्ति — चाहे वह जिन्न हो, प्रेत हो या भूत — टिक नहीं पाता। कई लोग बताते हैं कि जो व्यक्ति आत्मा या काली शक्तियों से पीड़ित होता है, उसे दरगाह लाने के बाद राहत मिलने लगती है। यहीं से यह विश्वास भी जुड़ गया है कि अजमेर शरीफ का वातावरण शुद्धिकरण की ऊर्जा से भरा है, जहां असाधारण शक्तियाँ भी स्वयं को असहाय महसूस करती हैं।

भूतिया घटनाओं वाले कोने

हालांकि दरगाह परिसर अत्यंत शांतिपूर्ण और रूहानी है, लेकिन इसके पास के कुछ स्थानों को लेकर डरावनी घटनाओं की चर्चाएं भी होती रही हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार, दरगाह से कुछ दूरी पर स्थित पुराने, वीरान मकबरे और कब्रिस्तानों में रात को अजीबो-गरीब आवाज़ें सुनाई देती हैं। कुछ लोग तो यह भी बताते हैं कि उन्होंने अदृश्य परछाइयाँ देखी हैं, जो पल भर में गायब हो जाती हैं।दरगाह के दक्षिणी हिस्से की ओर एक पुरानी मस्जिद के खंडहर हैं, जहां जाने से लोग अक्सर कतराते हैं। रात के समय यहां ताकतवर सूफी संतों के पुराने ताबीज़ और कवच जमीन में दबे हुए पाए जाते हैं। कहा जाता है कि यही स्थान कभी भूत-प्रेतों को बांधने और जिन्नातों को रोकने के लिए प्रयोग में लाए जाते थे।

'लोहे की जंजीरें' और 'बंधे हुए जिन्न'

एक और प्रसिद्ध किंवदंती है कि पुराने समय में कुछ ऐसे जिन्न, जो लोगों को नुकसान पहुंचाते थे, उन्हें सूफी संतों द्वारा दरगाह में बुलाकर उनके प्रभाव को खत्म किया गया। उन्हें लोहे की जंजीरों में बांधकर दरगाह के एक विशेष हिस्से में रखा गया, ताकि वे फिर किसी को हानि न पहुंचा सकें। आज भी उस स्थान के पास लोग जाने से कतराते हैं और कुछ श्रद्धालु उस हिस्से में सिर झुकाकर मन्नत मांगते हैं कि उनके जीवन से बुरी शक्तियां हट जाएं।

मानसिक रोगियों के लिए अंतिम आसरा

अजमेर शरीफ दरगाह में अक्सर मानसिक और आध्यात्मिक परेशानियों से जूझ रहे लोग आते हैं। मान्यता है कि ख्वाजा साहब के दर पर आने वाले रोगी — जिनमें कई बार विज्ञान भी कुछ कहने में असमर्थ रहता है — कुछ ही दिनों में बेहतर महसूस करने लगते हैं। यह घटना केवल एक बार नहीं, बल्कि सालों से दोहराई जा रही है, जिससे ये बातें और मजबूत हो जाती हैं कि दरगाह की भूमि भूत-प्रेत और जिन्नात से ग्रस्त लोगों के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करती है।

सावधानी और श्रद्धा दोनों जरूरी

हालांकि इन घटनाओं के पीछे कई बार मनोवैज्ञानिक कारण भी माने जा सकते हैं, लेकिन अजमेर शरीफ की दरगाह में मौजूद सकारात्मक ऊर्जा को कोई नकार नहीं सकता। यह वह स्थान है जहां सिर्फ श्रद्धा से नहीं, बल्कि आंतरिक बदलाव और आत्मिक शांति के लिए लोग आते हैं। यहां डर और भक्ति, दोनों का अद्भुत संगम देखने को मिलता है।

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