अप्रैल में सरचार्ज शून्य होने के बावजूद प्रदेश के बिजली निगमों ने नियमों के विरुद्ध फिर से सरचार्ज लगा दिया। ऐसे में अप्रैल के बिलों में 57 पैसे प्रति यूनिट और जोड़ दिए गए हैं, जिसके अनुसार प्रदेश भर के बिजली उपभोक्ताओं से करीब 500 करोड़ रुपए वसूले गए हैं।
बिजली बिलों में ईंधन सरचार्ज वसूली नियमों के विरुद्ध
माना जाता है कि एक सामान्य परिवार 200 यूनिट बिजली खपत करता है, जिस पर 57 पैसे प्रति यूनिट जोड़कर 108 रुपए अधिक वसूले गए। बिजली निगम एक साल में 28 पैसे प्रति यूनिट वसूल चुका है, जिसे उपभोक्ताओं के बिजली बिलों में समायोजित किया जाना है। यदि अप्रैल के बिलों में ली गई अधिक राशि के स्थान पर समायोजित राशि पहले ही लौटा दी जाती तो 200 यूनिट खपत के बिलों पर 600 रुपए वापस मिलने चाहिए थे।
आयोग ने दिया एन प्लस थ्री नियम
आरईआरसी ने 26 जुलाई 2024 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें एन प्लस थ्री व्यवस्था लागू करने के निर्देश दिए गए थे। इसके अनुसार जिस भी माह में फ्यूल सरचार्ज बनता है, उसके लिए आदेश जारी कर अगले तीन माह में वसूली की जाए। इसलिए राशि वसूली योग्य नहीं है राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग (आरईआरसी) के 26 जुलाई 2024 के आदेश के अनुसार जिस भी माह में फ्यूल सरचार्ज बनता है, उसे तीन माह में वसूलना जरूरी है। वसूली न हो पाने की स्थिति में सरचार्ज माफ करने के निर्देश दिए गए, जबकि पिछले अप्रैल माह का फ्यूल सरचार्ज शून्य होने के बावजूद बिलों में जोड़ दिया गया। बिजली निगम पहले से ही बेस फ्यूल सरचार्ज के नाम पर 57 पैसे प्रति यूनिट वसूल रहे थे।
यह है स्थिति...
अप्रैल में 900 करोड़ यूनिट बिजली की खपत हुई
500 करोड़ की अतिरिक्त राशि जोड़ी गई
2663 करोड़ पहले से ही रिफंडेबल माने जा रहे थे
57 पैसे प्रति यूनिट की दर से जोड़ी गई अतिरिक्त राशि
प्रदेश में तीन तरह के सरचार्ज
बिजली बिलों में तीन तरह के सरचार्ज लगाए जाते हैं। पहला स्पेशल फ्यूल सरचार्ज 7 पैसे/यूनिट, दूसरा 13 पैसे/यूनिट और तीसरा बेस फ्यूल सरचार्ज 28 पैसे/यूनिट है, जबकि नियामक आयोग के आदेशानुसार एक ही तरह का सरचार्ज लिया जाना चाहिए।
पहले 28 पैसे/यूनिट वसूला जाता था
पिछले एक साल से फ्यूल सरचार्ज कभी माइनस तो कभी जीरो में आ रहा है। ऐसे में पूर्व में 28 पैसे/यूनिट जोड़ना अनुचित है। आमतौर पर वसूली गई अतिरिक्त राशि बिजली निगमों द्वारा वापस नहीं की जाती। इसे नियामक आयोग में चुनौती दी गई है।
जानकारों ने कहा
प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को अप्रैल माह की बिजली खपत में बेस फ्यूल सरचार्ज जोड़कर बिल दिए गए, जो अनुचित है। क्योंकि अप्रैल माह में फ्यूल सरचार्ज शून्य था, इसलिए वसूली नहीं होनी चाहिए। अप्रैल माह में सरचार्ज लेने की स्थिति नहीं होने के बावजूद बिलों में राशि जोड़ दी गई। राशि समायोजित करने के लिए डिस्कॉम चेयरमैन से पत्राचार किया गया है। यह गंभीर बात है कि बिजली निगम नियामक आयोग के आदेशों की पालना नहीं कर रहे हैं।
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