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'मुझे मोहरा बनाया गया....' अभयदास महाराज का नेताओं पर सीधा हल्लाबोल, जानिए क्या है पूरा विवाद

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जालोर के बायोसा मंदिर में दर्शन को लेकर हुए विवाद के बाद कथावाचक अभयदास महाराज शनिवार रात जालोर से तखतगढ़ लौट आए। कल (20 जुलाई) तखतगढ़ में अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए उन्होंने साफ कर दिया कि अब वे प्रशासनिक अनुमति मिलने के बाद ही कथा सुनाने जालोर आएंगे। उन्होंने राजनीतिक साजिश का भी आरोप लगाया। इस दौरान त्रिकमदास धाम, हनुमानजी गली और तखतगढ़ आश्रम में दर्शन के लिए समर्थकों की भारी भीड़ उमड़ी। जालोर से महिलाएं, युवा और श्रद्धालु निजी वाहनों से पहुंचे और महाराज से फिलहाल जालोर नहीं आने का अनुरोध किया। तब अभयदास पैदल ही मूठलिया भवन (गोगरा रोड) पहुंचे और कहा कि हम जालोर जरूर जाएंगे, लेकिन अभी पंडाल में चातुर्मास नहीं करेंगे। शाम 6 बजे महाराणा प्रताप चौक पर श्रद्धालुओं को संबोधित करने के बाद वे धाम लौट आए।

प्रशासनिक अनुमति के बाद ही जालोर जाएंगे

जालोर से आई महिलाओं की अपील के बाद अभयदास ने भी अपना फैसला बदल दिया। उन्होंने तय किया है कि वे आज सुबह जालोर कलेक्टर कार्यालय जाकर अनुमति लेंगे, उसके बाद ही जालोर आएंगे। तखतगढ़ में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है और स्थिति नियंत्रण में है। अभयदास महाराज ने समर्थकों के सामने आरोप लगाया, "मुझे जालोर के इतिहास की जानकारी नहीं थी। कुछ राजनेताओं ने मुझे गुमराह किया। मैं किसी का नाम नहीं लेना चाहता, लेकिन यह तय है कि राजनीतिक लाभ के लिए मुझे मोहरा बनाया गया।"

"जो नेता रोटियाँ सेंक रहे थे, वे आगे आएँ"

उन्होंने यह भी कहा कि जो नेता मुझे रोटियाँ सेंकने के लिए आगे बढ़ा रहे थे, वे अब आगे आएँ। वे किसी भी हालत में अपने कुलगुरु शांतिनाथ महाराज और गंगानाथ महाराज का अपमान नहीं करेंगे और न ही होने देंगे। उन्होंने कहा, "नाथजी का अखाड़ा मेरी साधना भूमि है, मैं इससे कभी मुँह नहीं मोड़ सकता। अगर मुख्यमंत्री बनना है, तो उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तरह बनो, जिन्होंने अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। अगर राजस्थान में भी अवैध बस्तियाँ और अतिक्रमण हट जाएँ, तो जालोर की जनता खुश होगी।"

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