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Jodhpur शहर में होने के बावजूद गांव का ठप्पा, विकास कार्य ठप

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जोधपुर न्यूज़ डेस्क, जोधपुर शहर से सटी जोधपुर विकास प्राधिकरण के अधीन आने वाली ग्राम पंचायतों के निवासियों का लगता है कोई धणी धोरी नहीं है। जेडीए का दायरा बढ़ा तो गांव वालों ने सीधे तौर पर फायदा होने व विकास की संभावनाएं बढ़ने की आस लगाई। जो-जो गांव जेडीए रीजन में शामिल होते गए, वहां विकास के हालात बिगड़ते ही चले गए। अब हाल यह है कि पंचायतवासी अपनी समस्याओं के लिए शहर के ऑफिसों में चक्कर काट रहे हैं।शहर से सटी करीब 90 ग्राम पंचायतें जोधपुर विकास प्राधिकरण की पेराफेरी में हैं। इन पंचायतों को प्राधिकरण से डवलपमेंट फंड नहीं मिल रहा है। इससे गांवों में विकास कार्य ठप हो गया है। एक ही काम के लिए ग्राम पंचायत, पंचायत समिति, तहसील, उपखंड मुख्यालय पर इन्हें शहर में अलग-अलग जगह जाना पड़ता है। ग्रामवासियों को मास्टर प्लान में बसावट अनुसार प्राधिकरण से सुविधा मिलनी थी, वह नहीं मिल रही है।

तहसील गांव

जोधपुर: राजस्व ग्राम 147

लूणी: राजस्व ग्राम 153

बावड़ी: राजस्व ग्राम 40

तिंवरी: राजस्व ग्राम 32

बालेसर: राजस्व ग्राम 23

ग्राम पंचायतों को निर्माण कार्यों करवाने के लिए प्राधिकरण से एनओसी लेने में चक्कर लगाने पड़ते हैं।

प्राधिकरण एवं पंचायतीराज विभाग में सामंजस्य नहीं होने के कारण सरपंचों को जोधपुर विकास प्राधिकरण की बैठकों में शामिल नहीं किया जाता है।

साफ सफाई, सीवरेज, विद्युत लाइट की समस्या के समाधान के लिए लोगों को नगर निगम, जेडीए में चक्कर काटने पड़ते हैं। सभी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने का काम करते हैं।

शहर से सटी ग्राम पंचायतों में पथरीली जमीन होने के कारण नरेगा योजना नाम मात्र की चल रही है।

जन्म प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र एवं मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने में भी लोगों को जेडीए एवं नगर निगम में चक्कर काटने पड़ रहे।

भवन निर्माण, उद्योग लगाने एवं कृषि भूमि में काटी कॉलोनी में एनओसी देने की भारी दिक्कत होती है।

अतिक्रमण हटाने में भी विभाग एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं।

ग्राम पंचायत की निजी आय बढ़ाने और इससे आमजन को सुविधा देने के लिए पेट्रोल पंप्स व औद्योगिक इकाइयों से टैक्स लिया जा सकता है। पंचायत में टैक्स लेने का प्रावधान है, लेकिन नगर निगम, जेडीए व ग्राम पंचायत में सामंजस्य नहीं होने के कारण सरपंच यह कार्य नहीं कर पा रहे हैं।तीनों संस्थानों में सामंजस्य नहीं होने के कारण कृषि भूमि पर अवैध कॉलोनियां कट रही हैं और अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं।

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