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बरसात में जलभराव से मिलेगी निजात! राजस्थान में कंट्रोल रूम एक्टिव, आधुनिक ड्रेनेज सिस्टम और स्मार्ट सड़कों का काम तेज़

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राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी ने बुधवार शाम को कहा कि राज्य में जलभराव की स्थिति से तुरंत निपटने के लिए हर स्तर पर नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं। उन्होंने कहा कि नई सड़कों के निर्माण के साथ-साथ ड्रेनेज सिस्टम का निर्माण अनिवार्य किया गया है। पिछली सरकार ने अच्छी गुणवत्ता वाली सड़कें नहीं बनाईं। लेकिन हम सड़कों की संख्या के बजाय गुणवत्ता पर अधिक ध्यान देंगे।

मौसम विभाग की चेतावनी
मौसम विभाग के अनुसार, राजस्थान में मानसून सक्रिय है और अगले दो दिनों तक भारी बारिश की संभावना है। मौसम विभाग ने पश्चिमी राजस्थान के कुछ जिलों में भारी बारिश की चेतावनी दी है। इन जिलों में पाली, जालौर और बाड़मेर शामिल हैं। इसके अलावा गंगानगर, बीकानेर और जैसलमेर में बिजली और गरज के साथ बारिश की संभावना है। राजस्थान में मानसून की बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो सूरतगढ़ में 70 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जबकि जयपुर में 113 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इसके अलावा बांसवाड़ा जिले के सज्जनगढ़ में 130 मिमी बारिश दर्ज की गई है।

कई बस्तियां पानी में डूबी

अजमेर जिले के पीसांगन उपखंड मुख्यालय व आसपास के ग्रामीण इलाकों में बीती रात अचानक मौसम बदल गया, जिसके बाद करीब ढाई घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश ने पूरे इलाके को जलमग्न कर दिया। इस बारिश ने जहां एक ओर किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी, वहीं दूसरी ओर निचली बस्तियों में जलभराव की समस्या ने लोगों को परेशान कर दिया। तालाबों में पानी की बंपर आवक हुई, जिससे कई तालाब लबालब भर गए। लगातार तेज बारिश जारी रही, जिससे पीसांगन उपखंड मुख्यालय सहित फतेहपुरा, रामपुरा डाबला, बुधवारा, कालेसरा आदि कई गांवों की निचली बस्तियां पानी में डूब गईं। जलभराव के कारण लोगों को आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा।

बिजली गुल होने से लोग परेशान

इस बारिश ने जहां किसानों को राहत पहुंचाई, वहीं आम लोगों को बिजली गुल होने से परेशानी का सामना करना पड़ा। खेतों में पानी की आवक से किसानों के चेहरों पर खुशी की लहर देखने लायक थी, क्योंकि यह बारिश फसलों के लिए वरदान साबित हो सकती है। जल संरक्षण के लिहाज से भी यह बारिश महत्वपूर्ण रही, क्योंकि तालाब और झीलें पानी से लबालब भर गईं। लेकिन मूसलाधार बारिश के बावजूद नमी बनी रही। इस प्राकृतिक घटना ने एक बार फिर प्रकृति की दोहरी मार को उजागर किया। जहां एक तरफ बारिश ने सूखे की आशंका को कम कर किसानों को उम्मीद की किरण दिखाई, वहीं दूसरी तरफ जलभराव और बिजली कटौती ने आम लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर दी। यह बारिश न केवल मौसम के बदलते रुख को दर्शाती है, बल्कि बेहतर जल प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की जरूरत को भी रेखांकित करती है।

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