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पहचान की लड़ाई में बीता जीवन! 75 साल की उम्र में राजस्थान के तीन भाइयों को मिला 'बालिग' होने का सरकारी प्रमाण

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राजस्थान के धौलपुर जिले में एक अनोखी और दिल को छू लेने वाली कहानी सामने आई है। यहां 75 साल से ज्यादा उम्र के तीन भाइयों को 55 साल बाद राजस्व रिकॉर्ड में वयस्क होने का अधिकार मिला है। पं. दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय संबल पखवाड़ा शिविर इन बुजुर्गों के जीवन में नई रोशनी लेकर आया। कुनकरा ग्राम पंचायत में आयोजित इस शिविर में प्रशासन की संवेदनशीलता ने तीनों भाइयों को उनकी असली पहचान दिलाई।

नाबालिग से वयस्क तक का सफर
राजा का नगला गांव में रहने वाले राधेश्याम (75), चरण सिंह और श्रेया राजपूत तीनों भाई अब तक राजस्व रिकॉर्ड में नाबालिग थे। इन बुजुर्गों को पता ही नहीं था कि वे कागजों में अभी भी नाबालिग हैं। शिविर प्रभारी और बसई नवाब तहसीलदार मनोज भारद्वाज ने राजस्व रिकॉर्ड की जांच के दौरान यह गलती पकड़ी। तीनों भाइयों से बात की गई तो उन्होंने अनभिज्ञता जताई। बुजुर्गों ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंचने के बाद भी वे कागजों में नाबालिग हैं। 

प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई
तहसीलदार मनोज भारद्वाज ने बुजुर्गों की बात सुनी और उनकी सादगी को देखते हुए तत्काल कार्रवाई की। अंत्योदय शिविर में ही उनकी समस्या का समाधान किया गया और राजस्व अभिलेखों में उन्हें वयस्क घोषित कर दस्तावेज सौंपे गए। जब तीनों भाइयों को यह अधिकार मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उनकी आंखों में चमक और चेहरों पर मुस्कान देखकर शिविर में मौजूद हर कोई भावुक हो गया।

इस शिविर में सरपंच केके शर्मा, ग्राम विकास अधिकारी गजेंद्र सिंह और राजस्व कर्मियों सहित कई विभागों के अधिकारी मौजूद थे। इस आयोजन से न केवल इन तीनों भाइयों की बल्कि कई अन्य लोगों की भी समस्याएं हल हुईं। यह शिविर साबित करता है कि प्रशासन की संवेदनशीलता और सही दृष्टिकोण से आम लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।

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