जलदाय विभाग अब पेयजल परियोजनाओं में हरित ऊर्जा के साथ पवन ऊर्जा से भी पंप हाउस संचालित करने की योजना पर काम कर रहा है। 25 एचपी से लेकर 300 एचपी से अधिक क्षमता वाले पंप हाउस और ट्यूबवेल के संचालन के लिए विभाग को हर साल करीब 2600 करोड़ रुपए का बिजली बिल देना पड़ता है। इस भारी भरकम खर्च के कारण पेयजल परियोजनाओं के लिए बजट जुटाना मुश्किल हो रहा है।
अब विभाग की योजना दिन में सौर ऊर्जा और रात में पवन ऊर्जा से 24 घंटे पंप हाउस संचालित करने की है, ताकि डिस्कॉम से बिजली पर निर्भरता कम हो। मानसून के दौरान बादल छाए रहने से सौर ऊर्जा का उत्पादन बाधित होता है। ऐसे में विभाग के अधिकारियों का मानना है कि सौर और पवन ऊर्जा को मिलाकर बिजली बिल में 40 फीसदी तक की कमी संभव है। इसके लिए जल्द ही डीपीआर तैयार करने वाली कंसल्टेंट फर्म का चयन किया जाएगा। बाद में सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को यह काम सौंपा जाएगा। -25 एचपी तक के नलकूप- 988 करोड़
-200 से 300 एचपी- 70 करोड़
-100 से 200 एचपी- 139 करोड़
-50 से 100 एचपी- 70 करोड़
-25 से 50 एचपी- 116 करोड़
इंजीनियरों के अनुसार पेयजल आपूर्ति के लिए पंप हाउस का 24 घंटे संचालन जरूरी है। दिन में ये पंप सौर ऊर्जा से चलेंगे, लेकिन रात में सौर ऊर्जा से चलने वाले पंपों से बिजली नहीं मिलने के कारण पवन ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा। इससे डिस्कॉम की बिजली के बिना भी पंप हाउस लगातार चल सकेंगे।