महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) के अध्यक्ष राज ठाकरे और शिवसेना (यूबीटी) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मुंबई में एकसाथ मंच साझा किया है.
हिंदी को अनिवार्य करने के फै़सले का विरोध होने के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इसे रद्द कर दिया था. राज और उद्धव ठाकरे इसके ख़िलाफ़ मिलकर मार्च निकालने वाले थे. लेकिन फै़सला रद्द होने के बाद मार्च की जगह विजयी रैली निकाली गई. यह मुंबई के वर्ली इलाक़े में हुई.
एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे ने कहा, "मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है. आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं. जो बालासाहेब नहीं कर पाए वह सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया. हम दोनों को साथ लाने का काम किया."
दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे ने आगे के राजनीतिक घटनाक्रम का संकेत देते हुए कहा, "अनाज किसानों ने हमारे बीच की खाई को मिटा दिया है."
इससे पहले जब मार्च निकालने का फ़ैसला हुआ था, तब संजय राउत ने फ़ेसबुक पर राज और उद्धव ठाकरे की तस्वीर के साथ एक पोस्ट की थी.
प्रकाश रेड्डी, सुप्रिया सुले, अजीत नवले, जितेंद्र आव्हाड, महादेव जानकर, जयंत पाटिल, आदित्य ठाकरे, अमित ठाकरे और संजय राउत जैसे कई दलों के नेता भी इस रैली में मौजूद थे.
क्या इस सभा में राज ठाकरे या उद्धव ठाकरे की ओर से दोनों दलों के बीच गठबंधन को लेकर कोई संकेत मिलेगा, इस पर सभी की नज़रें लगी हुई थीं.
मराठी ही एकमात्र एजेंडा है: राज ठाकरे
इस सभा में बोलते हुए राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे और सभी मराठी लोगों को संबोधित करते हुए कहा, "दरअसल, आज एक मार्च निकाला जाना चाहिए था. मराठी लोग किस तरह से हर तरफ़ से एकजुट हो रहे हैं, इसकी तस्वीर बड़े पैमाने पर सामने आती. लेकिन मार्च की चर्चा ही बंद करनी पड़ी. आज का कार्यक्रम शिव तीर्थ (शिवाजी पार्क) में होना चाहिए था लेकिन बारिश हो रही है. जो लोग बाहर खड़े हैं, उनसे मैं माफ़ी मांगता हूं."
"यह सब तब शुरू हुआ जब मैंने अपने इंटरव्यू में यह कहा. महाराष्ट्र किसी भी लड़ाई या विवाद से बड़ा है. हम 20 साल बाद एक साथ आ रहे हैं. जो बालासाहेब नहीं कर सके, जो कई नहीं कर सके, वह देवेंद्र फडणवीस ने किया. मराठी ही एकमात्र एजेंडा है."
उन्होंने आगे कहा, "मुझे नहीं पता कि अचानक हिंदी कहां से आ गई. हिंदी क्यों? किसके लिए हिंदी? आप इसे उन छोटे बच्चों पर थोप रहे हैं. आप शिक्षाविदों से पूछना नहीं चाहते. आपके पास ताकत है और आप इसे थोपेंगे. अगर आपके पास ताक़त है, तो वह विधान भवन में होगी. हमारे पास सड़कों पर ताकत है."
उद्धव ठाकरे ने सभा को संबोधित करते हुए कहा , "हम एक साथ रहने के लिए एक साथ आए हैं."
उद्धव ठाकरे ने कहा, "जब से हमने इस कार्यक्रम की घोषणा की है, तब से सभी को आज हमारे भाषण का बेसब्री से इंतजार था, लेकिन मेरे विचार से हम दोनों एक साथ आ रहे हैं और यह मंच हमारे भाषणों से ज्यादा महत्वपूर्ण है. राज पहले ही बहुत शानदार भाषण दे चुके हैं और मुझे लगता है कि अब मुझे बोलने की कोई जरूरत नहीं है. "
केंद्र और महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधते हुए उद्धव ठाकरे ने सवाल किया कि सरकार ने अपने 11 साल के कार्यकाल में महाराष्ट्र और मुंबई के लिए क्या किया है.
उद्धव से पहले राज ठाकरे ने कहा, "उन्होंने देखा कि जब महाराष्ट्र में आग लगी थी तो क्या हुआ था, इसलिए वे पीछे हट गए. हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से पिछड़े हैं. गैर-हिंदी भाषी राज्य आर्थिक रूप से उन्नत हैं. कौन हिंदी सीखना चाहता है? क्या आप पांचवीं कक्षा के बाद हिंदी फिल्म उद्योग में जाना चाहते हैं? कोई भी भाषा महान है. हर भाषा को महान बनाने के लिए बहुत इच्छाशक्ति चाहिए."
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उद्धव ठाकरे ने कहा, "महाराष्ट्र की जनता के मन में जो होगा, वही होगा. मैंने आपको एक ही वाक्य में बता दिया. हम इस संबंध में सभी बारीकियों की जांच कर रहे हैं. मैं आपको सिर्फ़ संदेश नहीं, बल्कि लाइव समाचार दूंगा. मेरे शिवसैनिकों के मन में कोई भ्रम नहीं है. इसलिए, संदेश देने की बजाय, हम जो समाचार देना चाहते हैं, वह देंगे."
राज ठाकरे के मनसे पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर उद्धव ठाकरे ने कुछ दिन पहले यह संकेतात्मक बयान दिया था. कई सालों से यह कहा जा रहा है कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आएंगे.
पिछले कुछ दिनों से चर्चा चल रही है कि नगर निगम चुनाव से पहले दोनों भाई फिर साथ आएंगे. क्योंकि, ऐसा संकेत किसी और ने नहीं, बल्कि दोनों भाइयों राज और उद्धव ने दिया है.
फिर राज ठाकरे ने मराठी मुद्दे पर मार्च निकालने की घोषणा की और सभी से अपनी पार्टी के झंडे उतारकर इसमें भाग लेने की अपील की. इसे उद्धव ठाकरे गुट से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली थी.
संजय राउत ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में स्पष्ट कर दिया था कि मराठी मुद्दे पर दोनों भाई एक साथ आएंगे.
लेकिन सरकार की ओर से हिंदी अनिवार्य करने वाले फ़ैसले को रद्द करने के बाद मार्च भी रद्द कर दिया गया. चूंकि सरकार को पीछे हटना पड़ा, इसलिए राज और उद्धव ठाकरे ने मिलकर विजयी रैली निकालने का फै़सला किया.
क्या है विवाद?महाराष्ट्र सरकार ने बीते महीने पहली से पांचवीं कक्षा तक मराठी और अंग्रेज़ी के साथ हिंदी भाषा लागू करने के दो सरकारी आदेश जारी किए थे. हालांकि सरकार ने बाद में इन आदेशों को वापस ले लिया था.
इन आदेशों के ख़िलाफ़ उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने आंदोलन करने का ऐलान किया था. इस फ़ैसले को वापस लिए जाने के बाद दोनों ने इसका जश्न मनाने के लिए एकसाथ मंच साझा करने की घोषणा की थी.
महाराष्ट्र में बीते कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें कुछ लोगों से जबरन मराठी बोलने के लिए कहा जा रहा था.
कुछ मामलों में मारपीट भी हुई है. ऐसे में इन विवादों पर शुक्रवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने प्रतिक्रिया दी थी.
सीएम देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से कहा, "मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में बताना चाहता हूं, महाराष्ट्र में मराठी भाषा का अभिमान रखना कोई ग़लत बात नहीं है."
"लेकिन भाषा की वजह से अगर कोई गुंडागर्दी करेगा, तो इसे हम सहन नहीं करने वाले. कोई अगर भाषा के आधार पर मारपीट करेगा तो यह सहन नहीं किया जाएगा."
उन्होंने कहा, "जिस प्रकार की घटना हुई है उस पर पुलिस ने कार्रवाई भी की है और आगे भी अगर कोई इस तरह भाषा को लेकर विवाद करेगा तो उस पर कार्रवाई होगी."
देवेंद्र फडणवीस ने कहा, "भारत की किसी भी भाषा के साथ इस प्रकार से अन्याय नहीं किया जा सकता. मुझे तो कभी-कभी आश्चर्य होता है कि ये लोग अंग्रेज़ी को गले लगाते हैं और हिंदी के ऊपर विवाद करते हैं."
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