"मज़दूरी मांगने पर हमें बंधक बनाया. हमें निर्वस्त्र कर हमारे निजी अंगों पर चोट मारी गई, प्लास से हमारे पैरों के नाखून खींचे गए, दर्द से चिल्लाए तो बिजली के झटके दिए गए. एक बार तो लगा था हम ज़िंदा नहीं बचेंगे…अब हमारे ऊपर राज़ीनामे का दबाव बनाया जा रहा है."
ये कहना है उन दो युवकों में से एक अभिषेक का, जो राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले से छत्तीसगढ़ के कोरबा में मज़दूरी करने गए थे.
उनके साथ यह घटना इसी महीने 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती की रात 11 बजे से अगली सुबह क़रीब तीन बजे तक की है.
पीड़ितों का कहना है कि बंधक बनाकर उनसे 43 हज़ार रुपये की वसूली की गई और मौक़ा मिलने के बाद वे किसी तरह निकलकर भीलवाड़ा में अपने घर पहुंचे.
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हालांकि कोरबा पुलिस ने पांच अभियुक्तों को गिरफ़्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ की है. पीड़ित युवक अभिषेक और विनोद ने कोर्ट में बयान भी दिया है.
लेकिन पीड़ितों का कहना है कि अब उन पर मुक़दमा वापस लेने और राज़ीनामे पर सहमत होने का दबाव डाला जा रहा है.
पीड़ित युवक अभिषेक के पिता मुकेश मेघवंशी ने बीबीसी से फ़ोन पर बताया, "घटना के बाद से ही हम डर में जी रहे हैं. मैं ट्रक पर ड्राइविंग की नौकरी करता हूं. लेकिन, घटना के बाद से ही घर पर हूं."
उन्होंने आरोप लगाया, "वो लोग पैसा देकर राज़ीनामा करने का दबाव बना रहे हैं. उन लोगों ने मेरे बड़े भाई को राज़ीनामे के लिए कहा था. लेकिन, हम न्याय चाहते हैं."
वो कहते हैं, "14 अप्रैल की देर रात मेरे पास अभिषेक का फ़ोन आया और कहा कि पैसे डाल दो नहीं तो यह लोग हमें मारेंगे. मैंने उधार लेकर सुबह 23 हज़ार रुपये डाले जब उन्होंने बच्चे को छोड़ा."

भीलवाड़ा ज़िले के गुलाबपुरा पुलिस थाना क्षेत्र में आने वाले भीलों के मोहल्ले के लगभग आधे लोग आइसक्रीम बेचने का काम करते हैं.
18 साल के दो दलित युवक अभिषेक और विनोद भी इसी काम को करने के लिए गांव के युवकों के साथ 12 फ़रवरी को छत्तीसगढ़ चले गए थे.
विनोद कालियावास गांव से हैं लेकिन भीलों के मोहल्ले में अपनी बुआ के घर रहते हैं.
गांव के युवा जो छत्तीसगढ़ में आइसक्रीम बेचने का काम करते हैं, उनके ज़रिए वह छोटू गुर्जर और मुकेश शर्मा के संपर्क में आए.
पड़ोसी गांव के छोटू गुर्जर और चित्तौड़गढ़ निवासी मुकेश शर्मा ने उन्हें भरोसा दिलाया कि आइसक्रीम कार्ट पर मज़दूरी के लिए उन्हें महीने के 10 हज़ार रुपये मिलेंगे और रहना-खाना ठेकेदार की ओर से दिया जाएगा.
रोज़गार की आस में वह मज़दूरी करने के लिए चले गए.
अभिषेक ने फ़ोन पर बीबीसी को बताया कि कुछ दिन तो सब ठीक चला लेकिन उसके बाद ठेकेदार का व्यवहार बदल गया और खाना भी बासी मिलने लगा.
वह बताते हैं, "14 अप्रैल को जब हमने अपनी मज़दूरी मांगी तो हमें रात 11 बजे कोरबा में आइसक्रीम गोदाम पर ले जाया गया. वहां हमारे साथ गाली-गलौच करते हुए पिटाई की और टॉर्चर किया. क़रीब चार घंटे तक बेरहमी की सारी हदें पार कर दीं."
उन्होंने कहा, "अगले दिन फिर सुबह हमें बेरहमी से पीटा गया और जान से मारने की धमकी दी गई. हमें कहा गया कि एक रुपया भी नहीं मिलेगा और तुम्हें यहीं काम करना होगा. उन्होंने घटना का वीडियो बनाया और हमारे परिवार को भेजा."
अभिषेक ने बताया, "उन्होंने 15 अप्रैल की सुबह मेरे घरवालों से 23 हज़ार रुपये और विनोद के खाते से 20 हजार रुपये निकलवाए, यह सारा पैसा हमारे गांव के नज़दीक के ही छोटू गुर्जर ने लिए."
इसके बाद मौक़ा मिला तो वे वहां से भाग निकले और जैसे-तैसे अपने घर पहुंचे.
उनका कहना है कि घर पहुंचने पर भी अभियुक्तों से जुड़े कुछ लोग मोटरसाइकिल पर आए और चाकू दिखाते हुए जान से मारने की धमकी दी.
राजस्थान और छत्तीसगढ़ पुलिस ने क्या बताया?पीड़ित अभिषेक और विनोद 17 तारीख़ को भीलवाड़ा पहुंचे. यहां उन्होंने अपने परिवार के साथ गुलाबपुरा पुलिस थाने पहुंच कर एफ़आईआर दर्ज करवाई है.
पुलिस ने पीड़ितों की शिकायत पर भीलवाड़ा और चित्तौड़गढ़ के छोटू और मुकेश के ख़िलाफ़ ज़ीरो एफ़आईआर दर्ज की.
पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता 127 (2), 115 (2), 308 (2) और एससी एसटी एक्ट की धारा 3 (2) (वीए) लगाई है.
भीलवाड़ा के गुलाबपुरा पुलिस थाना प्रभारी हनुमान सिंह ने बीबीसी हिंदी को फ़ोन पर बताया कि, ज़ीरो एफ़आईआर दर्ज कर छत्तीसगढ़ के कोरबा में रामपुर पुलिस थाने भेज दी गई है.
छत्तीसगढ़ में कोरबा ज़िले की रामपुर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पांच अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है जबकि तीन अन्य की तलाश जारी है.
कोरबा ज़िले के एसपी ने मीडिया को बताया कि, सिविल लाइन रामपुर पुलिस थाना क्षेत्र में घटनास्थल पर मारपीट हुई थी, जिसके बाद पीड़ित राजस्थान चले गए थे और वहां गुलाबपुरा पुलिस थाने में पहुंच कर शिकायत दर्ज कराई.
उन्होंने बताया कि, रामपुरा पुलिस ने जांच करते हुए वीडियो में दिख रहे अभियुक्तों को चिह्नित किया, उन पर वैधानिक कार्रवाई की जा रही है.
उन्होंने कहा, "वर्तमान में हमने पांच अभियुक्त पकड़े हैं, जिनमें एक नाबालिग है."
जांच में सहयोग के लिए अभिषेक और विनोद भी वापस छत्तीसगढ़ पहुंच गए हैं.
वे वहां एक होटल में रह कर जांच में सहयोग कर रहे हैं. फ़ोन पर बातचीत में अभिषेक और विनोद उस घटना को याद कर सिहर उठते हैं.
अभिषेक बताते हैं, "रात 11 बजे हमें गोदाम पर ले जाने के बाद गाली-गलौच करते हुए हमें निर्वस्त्र कर दिया. उसके बाद प्लास्टिक के पाइप से हमें बेरहमी से पीटा."
"उन्होंने प्लास से हमारे पैरों की उंगलियों के नाखून खींचे, हमारे निजी अंगों को भी प्लास से पकड़ कर चोट पहुंचाई गई, हम दर्द से चीख रहे थे. लेकिन, कोई हमारी मदद को आगे नहीं आया. एक बार तो लग रहा था अब नहीं बचेंगे."
"हम उनसे गुहार लगा रहे थे लेकिन उन्हें तरस नहीं आया. हम दर्द से चीख रहे थे तो उन्होंने मुझे बिजली के तारों से करंट के झटके दिए. कई बार करंट के झटके देने से मेरे हाथों पर निशान बन गए हैं."
उन्होंने कहा, "विनोद के हाथ की एक अंगुली में फ़्रैक्चर है. हमारे शरीर पर कई जगह पिटाई के निशान बन गए हैं."
अभिषेक के चचेरे भाई सोनू मेघवंशी कहते हैं, "राज़ीनामे के लिए हमारे ऊपर दबाव बनाया जा रहा है लेकिन, हम राज़ीनामा नहीं करेंगे. यह आज अभिषेक और विनोद के साथ हुआ है तो कल किसी और के साथ भी हो सकता है."
वह कहते हैं, "हमारे गांव के पास से आधे पुरुष बाहर के राज्यों में आइसक्रीम बेचने का काम करते हैं. इस घटना के बाद से सब भयभीत हैं. दोषियों को सज़ा मिलेगी तभी कोई भविष्य में इस तरह से आर्थिक और शारीरिक शोषण करने की हिम्मत नहीं जुटा सकेगा."
अभिषेक ने बीबीसी से कहा, "अभियुक्तों के परिचित लगातार राज़ीनामा करने के लिए दबाव बना रहे हैं. लेकिन, हम राज़ीनामा नहीं करेंगे. हम चाहते हैं कि दोषियों को सज़ा मिले."
सोनू मेघवंशी ने बीबीसी को बताया कि, "अभियुक्तों के लोग चाहते हैं कि मामले में राज़ीनामा कर लिया जाए. लेकिन ऐसे लोगों को सज़ा मिलनी चाहिए, इस घटना के बाद से हमारे घरवाले और बाहर काम के लिए गए लोगों के परिजन भी परेशान हैं. आज अगर इनको सज़ा नहीं हुई तो कल किसी और के साथ इस तरह की घटना हो सकती है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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