राजस्थान के भीलवाड़ा में गो-तस्करी का आरोप लगाते हुए भीड़ ने 32 साल के आसिफ़ पर हमला कर दिया था.
चार दिन बाद अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
यह घटना 15 और 16 सितंबर की दरमियानी रात को हुई.
आसिफ़ मध्य प्रदेश के मंदसौर ज़िले के मुल्तानपुरा गांव के निवासी थे.
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बीबीसी से फ़ोन पर बातचीत में आसिफ़ के ममेरे भाई मंज़ूर पेमला ने बताया, "मेरे भाई को गो-तस्करी के शक़ की वजह से लगभग 14-15 लोगों ने पहले तो खूब मारा, उसके पैसे छीन लिए. फिर वही लोग कह रहे हैं कि गलती मेरे भाई की है. मेरा भाई सिर्फ़ पशु ख़रीदने गया था."
भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने बीबीसी हिंदी को बताया कि इस मामले में अब तक पाँच लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.
पुलिस ने क्या-क्या बताया?
भीलवाड़ा के पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह का कहना है कि इस मामले में एसआईटी का गठन किया गया है.
उन्होंने कहा, "हमें ख़बरियों के नेटवर्क से इस घटना की सूचना मिली थी. त्वरित कार्रवाई करते हुए अब तक पाँच लोगों की गिरफ़्तारी की गई है. मामले की गंभीरता को देखते हुए एसआईटी का गठन किया गया है, जो तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर सभी संभावित पहलुओं की जांच कर रही है."
आसिफ़ की मौत के बाद उनके पीछे पत्नी, आठ महीने का बेटा और ढाई साल की बेटी रह गए हैं.
परिवार की तरफ़ से बीबीसी को साझा की गई अस्पताल में भर्ती आसिफ़ की तस्वीरों में उनके पूरे बदन पर गहरे ज़ख्म दिखाई दे रहे हैं. तस्वीरों में उनका शरीर लाल और काले निशानों से भरा हुआ है.
पुलिस अधीक्षक धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि आसिफ़ की मौत किस कारण हुई, इसकी पुष्टि अभी नहीं हो सकी है. मेडिकल बोर्ड की तरफ़ से विस्तृत जांच की जा रही है.
हालांकि आसिफ़ के परिजनों का आरोप है कि उनकी मौत 'मॉब लिंचिंग' के कारण हुई है.
मंज़ूर पेमला का कहना है, "मेरा भाई मुसलमान था. इसलिए उसके पास गाय-बैल होना पाप था. वो खेती के लिए पशु ख़रीदने गया था. उसकी जगह कोई हिन्दू भाई होता तो ये घटना नहीं होती."
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मंज़ूर की ओर से दर्ज कराई गई एफ़आईआर की कॉपी बीबीसी हिंदी ने देखी है.
एफ़आईआर के अनुसार, आसिफ़ अपने साथी मोहसिन के साथ 16 सितंबर को मंदसौर से राजस्थान के भीलवाड़ा आए थे. वे लाम्बिया रायला पशु मेले से बैल ख़रीदकर लौट रहे थे. इसी दौरान उन पर भीड़ ने हमला कर दिया.
हमले में आसिफ़ के साथ मौजूद मोहसिन को भी भीड़ ने पीटा, लेकिन वे जान बचाकर भागने में सफल रहे.
मोहसिन ने बीबीसी को बताया, "हमने मेले से बैल ख़रीदे और पिकअप में रखकर मंदसौर की ओर चल दिए. रास्ते में रुककर खाना भी खाया. लेकिन वहां से चलने के बाद हमें लगा कि कुछ लोग हमारा पीछा कर रहे हैं. थोड़ी दूर जाने के बाद उन्होंने हमारी पिकअप को सड़क किनारे धकेल दिया."
मोहसिन के मुताबिक़, "मजबूरन हमें गाड़ी रोकनी पड़ी और तभी दर्जनभर से ज़्यादा लोगों ने हमें गाड़ी से नीचे खींचकर बेरहमी से मारना शुरू कर दिया. वे लोग बार-बार हमें 'गो तस्कर' कहकर पीट रहे थे और उन्होंने जानवरों की ख़रीद की रसीद भी छीन ली."
मोहसिन ने आगे कहा, "मारपीट के बीच ही मैं किसी तरह सड़क किनारे जंगल की तरफ भागा. मैं लगातार दौड़ता रहा और पूरी रात डर से वहीं जंगल में छिपा रहा."
रोते हुए मोहसिन ने कहा, "मेरा भाई भीड़ के हाथ चढ़ गया. वो लोग रुकने को तैयार नहीं थे और आसिफ़ को लगातार मार रहे थे. आसिफ़ चिल्लाता रहा और मैं जंगल की ओर भागता रहा."
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मोहसिन ने बताया कि मारने वालों में कई ऐसे लोग थे जिन्हें वह पहचानते हैं.
उन्होंने कहा, "उनमें से कुछ लोगों का तो धंधा ही यही है. इन्होंने पहले भी गांव के कई मुस्लिम लड़कों के साथ ऐसे ही गो-तस्करी का आरोप लगाकर मारपीट की है."
परिवार का आरोप है कि आसिफ़ पर हमले के बाद भी उत्पीड़न रुका नहीं.
एफ़आईआर में मंज़ूर पेमला के हवाले से लिखा है, "रात करीब साढ़े तीन बजे मेरे पास फोन आया. उस तरफ़ से किसी ने कहा कि हमने आसिफ़ को पकड़ रखा है. उससे 36 हज़ार रुपये हम ले चुके हैं. अगर तुम चाहते हो कि वह जिंदा बचे तो 50 हज़ार रुपये और लेकर आओ, वरना हम उसे मार देंगे."
मंज़ूर ने यह भी बताया कि अगले दिन सुबह उन्हें इंस्टाग्राम पर इस घटना से जुड़े वीडियो और पोस्ट दिखे थे. इस बीच परिवार मोहसिन से संपर्क करने और जानकारी जुटाने की कोशिश करता रहा.
मंज़ूर ने कहा, "करीब तीन बजे दोपहर को पुलिस का फोन आया कि आसिफ़ भीलवाड़ा अस्पताल में भर्ती है. हम वहां पहुंचे तो पता चला कि उसे जयपुर रेफर कर दिया गया है. लेकिन हम आसिफ़ को जिंदा नहीं देख पाए."
गो-तस्करी के आरोपभारत में मॉब लिंचिंग की घटनाएं कोई नई नहीं हैं. पिछले एक दशक में गोकशी या गो-तस्करी के शक में हिंसा के कई मामले सामने आए हैं.
मध्यप्रदेश में ही 5 जून 2025 को रायसेन ज़िले में भीड़ ने दो मुस्लिम युवकों की गो-तस्करी के आरोप में पिटाई की थी. इस हमले में भोपाल निवासी 25 वर्षीय जुनैद की मौत हो गई थी, जबकि अरहम नाम का युवक गंभीर रूप से घायल हो गया था.
राजस्थान विधानसभा के मार्च 2025 के सत्र में अजमेर दक्षिण से भाजपा विधायक अनीता भदेल ने राज्य में गो-तस्करी के मामलों की संख्या को लेकर सवाल पूछा था. इसके जवाब में गृह विभाग ने जानकारी दी कि पिछले तीन सालों में प्रदेश में कुल 880 एफ़आईआर दर्ज की गई हैं.
इन मामलों में सबसे ज़्यादा शिकायतें अलवर और डीग ज़िले से आई हैं, जो मिलकर कुल मामलों का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा हैं. आंकड़ों के मुताबिक़, साल 2022 में 312 केस, 2023 में 303 केस और 2024 में 265 केस दर्ज हुए. इनमें से 689 मामलों में चालान पेश किया गया, 108 में अंतिम रिपोर्ट लगाई गई, जबकि 133 केस अब भी लंबित हैं.
गो-तस्करी का आरोप लगाकर भीड़ की तरफ़ से हिंसा पर हमने सागर सोनी से बात की. वो मध्य प्रदेश स्थित क्रिमिनल जस्टिस एंड पुलिस अकाउंटेबिलिटी प्रोजेक्ट के सदस्य हैं.
उनका कहना है, "मुस्लिम समुदाय के ख़िलाफ़ ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं. अक्सर पीड़ित पर ही गोवंश वध प्रतिबंध अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया जाता है, जबकि हमलावरों पर हत्या जैसी गंभीर धाराएं नहीं लगाई जातीं."
उन्होंने कहा, "कई मामलों में पीड़ित बचे भी तो उन्हें दोषी मानते हुए कानून लागू होता है. हाल ही में रायसेन में एक मुस्लिम युवक की मौत के बाद भी ऐसा ही हुआ. मध्य प्रदेश में तो कई बार पीड़ितों पर ही राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई की गई है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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