इस महीने की शुरुआत में ईरान ने इसराइल पर क़रीब 200 मिसाइल दाग़े थे, इस हमले में इसराइल को कोई बड़ा नुक़सान नहीं हुआ था. इसके जवाब में शनिवार की सुबह इसराइल ने ईरान पर "सटीक और निशाना लगाकर" हवाई हमले किए हैं.
ईरान पर इसराइल का हमला मध्य पूर्व में जारी तनाव की कड़ी में सबसे ताज़ा घटना है, जिसकी वजह से कई महीनों से एक व्यापक क्षेत्रीय युद्ध की आशंका खड़ी हो रही है. हालाँकि इन हमलों से ईरान को अब तक किसी बड़े नुक़सान की ख़बर नहीं है.
शनिवार दोपहर को ईरान ने कहा उसके सैन्य ठिकानों पर हुए हमलों में दो सैनिक मारे गए. शाम होते-होते ईरान ने इन हमलों में दो और सैनिकों की मौत की ख़बर दी. शुरुआती संकेतों से पता चलता है कि इसराइल के जितने बड़े हमले की आशंका थी, ये उससे कहीं ज़्यादा छोटे थे.
जानते हैं कि ईरान और इसराइल के बीच चल रहे तनाव और ताज़ा हमलों के बारे में अब तक क्या-क्या पता हैं.
BBC बीबीसी हिंदी के व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ने के लिए करें हमले कैसे किए गए?ईरान के स्थानीय समयानुसार शुक्रवार देर रात 02:00 बजे के कुछ ही देर बाद यानी शनिवार सुबह ईरानी मीडिया ने राजधानी तेहरान और उसके आसपास धमाकों की सूचना दी.
सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो (जिनकी सच्चाई के बारे में बीबीसी ने जाँच की है) उनके मुताबिक़ शहर के ऊपर आसमान में मिसाइल दिखाई दे रहे हैं, जबकि कुछ इलाक़ों के लोगों ने तेज़ धमाके सुनने की बात कही.
इसराइली रक्षा बल यानी आईडीएफ़ ने भी क़रीब सवेरे ढाई बजे इस बात की पुष्टि की कि इसराइल ईरान में "सैन्य ठिकानों" पर "सटीक" हमले कर रहा था.
इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू और रक्षा मंत्री योआव गैलांट ने तेल अवीव में मौजूद आईडीएफ़ के कमांड और नियंत्रण केंद्र से इस ऑपरेशन पर नज़र रखी.
सुबह छह बजे के बाद आईडीएफ़ ने कहा कि ईरान पर उसके हमले अब समाप्त हो गए हैं.
इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय ने इस हमले को "आत्मरक्षा की कोशिश" बताया. राष्ट्रपति कार्यालय के एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने कहा है कि अमेरिका ने इसराइल की "निशाना बनाकर और ज़रूरत के मुताबिक़" प्रतिक्रिया देने के लिए इसराइल के साथ मिलकर काम किया है.
इसराइल के ये हमले कितने बड़े थे और इससे ईरान को कितना बड़ा नुक़सान हुआ है, यह अभी भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं है.
इसराइली सेना ने कहा कि उसने क़रीब 20 ठिकानों को निशाना बनाया है, जिनमें मिसाइल निर्माण केंद्र, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें और अन्य सैन्य ठिकाने शामिल थे.
ईरान के अधिकारियों ने कहा कि इसराइली हमले में तेहरान, खुज़ेस्तान और इलम प्रांतों में मौजूद ठिकानों को निशाना बनाया गया. ईरानी सेना ने पुष्टि की है कि इन हमलों में अब तक उसके चार सैनिक मारे गए हैं.
ईरान के एयर डिफेन्स ने कहा कि उसने इसराइली हमलों को "सफलतापूर्वक रोक दिया", लेकिन इससे "कुछ जगहों पर सीमित नुक़सान हुआ है."
बीबीसी वेरिफ़ाई ने तेहरान के पूर्व में रक्षा मंत्रालय के एक ठिकाने और दक्षिण इलाक़े में एयर डिफेन्स ठिकाने को हुए नुक़सान की पहचान की है.
अमेरिकी प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि हमलों में ईरानी तेल ढांचों या परमाणु ठिकाने शामिल नहीं थीं.
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने पहले ही इसराइल से इन पर हमला न करने का आग्रह किया था.
इस बीच सीरिया की सरकारी मीडिया ने भी मध्य और दक्षिणी सीरिया में सैन्य ठिकानों पर हमले की ख़बर दी है. हालाँकि इसराइल ने सीरिया पर हमले की पुष्टि नहीं की है.
मध्य पूर्व में ईरान ऐसे अनेक समूहों का प्रमुख समर्थक माना जाता है, जिन्हें अक्सर 'प्रॉक्सी समूह' कहा जाता है. इसराइल इन समूहों को अपना दुश्मन मानता है. इनमें हमास और हिज़्बुल्लाह भी शामिल हैं, जिनके साथ इसराइल मौजूदा समय में जंग लड़ रहा है.
अप्रैल के महीने में ईरान ने क़रीब 300 मिसाइलों और ड्रोन के साथ इसराइल पर अपना पहला सीधा हमला किया था.
यह हमला सीरिया में ईरानी दूतावास परिसर पर इसराइल के हवाई हमले का जवाब था, जिसमें ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के कई शीर्ष कमांडर मारे गए थे.
इसराइल ने ईरानी इलाक़े इस्फ़हान में मिसाइल रक्षा प्रणाली पर ''सीमित'' हमला करके इसका जवाब दिया था.
उसके बाद जुलाई महीने में इसराइल ने बेरूत पर हवाई हमले में हिज़्बुल्लाह के एक शीर्ष कमांडर को मार दिया था.
इसके अगले दिन तेहरान में एक विस्फोट में हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हनिया की मौत हो गई थी. इसके लिए ईरान ने इसराइल को दोषी ठहराया, हालाँकि इसराइल ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
फिर सितंबर महीने के अंत में इसराइल ने बेरूत में हिज़्बुल्लाह नेता और बड़े ईरानी अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल अब्बास निलफोरुशान की हत्या कर दी.
इसी महीने 1 अक्तूबर को ईरान ने इसराइल पर क़रीब 200 बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थीं, जिसके बारे में उसने कहा कि यह हनिया, नसरल्लाह और निलफोरुशन की मौत के जवाब में किया गया.
Getty Images इसराइली हमले के बाद भी तेहरान में लोगों की रोज़ाना की ज़िंदगी आम दिनों की तरह चल रही है आगे क्या हो सकता है?शुरुआती संकेत बताते हैं कि इसराइल का ताज़ा हमला उतना गंभीर नहीं था जिसकी कुछ लोगों ने आशंका जताई थी.
अमेरिकी समाचार चैनल एक्सियोस के मुताबिक़ हमलों से पहले इसराइल ने ईरान को एक संदेश भेजा था, जिसमें हमले के बारे में कुछ विवरण दिए गए थे और ईरान को जवाब न देने की चेतावनी दी गई थी.
यह इस बात का संकेत हो सकता है कि इसराइल हालात को और अधिक नहीं बढ़ाना चाहता है- कम से कम फ़िलहाल तो नहीं.
इसराइली सेना ने एक बयान में कहा है, "हम ग़ज़ा पट्टी और लेबनान में अपने जंग के अपने मक़सद पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. यह ईरान ही है जो तनाव को क्षेत्रीय स्तर पर व्यावक बनाने के लिए दबाव बना रहा है."
एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा, "इसराइल और ईरान के बीच इस प्रत्यक्ष हमले का अंत हो जाना चाहिए."
वहीं ईरान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह "अपनी रक्षा करने का हक़दार है और इसके लिए बाध्य है". ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस हमले को अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन बताया है.
हालाँकि उसने साथ ही यह भी कहा है कि ईरान "क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के प्रति अपनी ज़िम्मेदारियों" को समझता है.
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता सीन सेवेट ने कहा है कि इसराइल की प्रतिक्रिया में "आबादी वाले क्षेत्रों से परहेज़ किया गया और केवल सैन्य लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया.”
उनके मुताबिक़, “यह इसराइल पर ईरान के हमले के विपरीत है, जिसमें इसराइल के सबसे ज़्यादा आबादी वाले शहर को निशाना बनाया गया था."
लेकिन उन्होंने कहा कि अमेरिका का मक़सद "कूटनीतिक कोशिशों में तेज़ी लाना और मध्य पूर्व के क्षेत्र में तनाव कम करना" है.
शनिवार सुबह ईरान पर किए गए इसराइल के हवाई हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से हमले की निंदा की जा रही है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की जा रही है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सर किएर स्टार्मर ने कहा है कि इसराइल को अपनी रक्षा करने का अधिकार है, लेकिन उन्होंने सभी पक्षों से "संयम बरतने" का आग्रह किया और ईरान से जवाब न देने की अपील की.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी किसी देश का नाम लिए बग़ैर कहा है, "हम पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और उस पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर इसके प्रभाव को लेकर बेहद चिंतित हैं."
इसराइल के ईरान पर किए गए हमले को लेकर संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर और मिस्र ने प्रतिक्रिया दी है.
रूस ने कहा है, “हम मध्य पूर्व में बढ़ती शत्रुता को लेकर चिंतित हैं और इसमें शामिल सभी पक्षों से संयम से काम लेने का आग्रह करते हैं.”
संयुक्त अरब अमीरात ने कहा है कि ख़तरे को कम करने और तनाव को अधिक बढ़ने से रोकने के लिए अत्यधिक संयम बरतने और सही निर्णय लेना ज़रूरी है.
सऊदी अरब ने भी ईरान पर इसराइल के हमलों की निंदा की है और इसे ‘अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों और मानदंडों’ का उल्लंघन बताया है. सऊदी अरब ने सभी पक्षों से संयम बरतने और तनाव को कम करने का आग्रह किया है.
सऊदी अरब ने क्षेत्र की "सुरक्षा और स्थिरता को ख़तरा पहुंचाने वाली" किसी भी कार्रवाई के ख़िलाफ़ चेतावनी दी है.
जर्मनी ने चांसलर ओलाफ़ शूल्त्ज़ ने कहा है, "चूंकि इसराइल ने ईरान के ख़िलाफ़ अपने ताज़ा हमलों में 'आम नागरिकों को निशाना न बनाकर उन्हें बचाने की कोशिश' की है और उस पर पहले हुए हमले का जवाब दिया है इसलिए ये तनाव को आगे न बढ़ाने का मौक़ा है."
ओलाफ़ शूल्त्ज़ ने ईरान को तनाव बढ़ाने के खिलाफ़ चेतावनी दी है.
क़तर ने इसराइल के हमले की ‘कड़ी निंदा’ की है और इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का ‘स्पष्ट उल्लंघन’ बताया है. क़तर ने भी सभी संबंधित पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है.
मिस्र ने कहा है, “हम मध्य पूर्व में बढ़ रहे तनाव से चिंतित है जिसमें ईरान पर इसराइल के हमले भी शामिल हैं. हम क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता को ख़तरे में डालने वाले सभी कदमों की निंदा करते हैं."
जबकि मिस्र के विदेश मंत्रालय ने भी इन चिंताओं को दोहराते हुए कहा कि वह इन हमलों की वजह से “गंभीर रूप से चिंतित” है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर पोस्ट में इसराइल के हमले की कड़ी निंदा की है.
उन्होंने लिखा, “ईरान के ख़िलाफ़ इसराइल की हालिया आक्रमकता से बहुत अधिक चिंतित हूं. इस तरह की कार्रवाई न सिर्फ क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए ख़तरा हैं बल्कि संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का भी उल्लंघन है."
हमास ने इसराइल के इस हमले को "ईरानी संप्रभुता का घोर उल्लंघन और क्षेत्र की सुरक्षा और लोगों के लिए ख़तरे की कार्रवाई बताया है.
अफ़ग़ानिस्तान की तालिबान सरकार ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है. तालिबान ने कहा है, “हम इसराइली हमलों की निंदा करते हैं.”
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