तेलंगाना के संगारेड्डी ज़िले के पासामईलरम औद्योगिक क्षेत्र में सोमवार सुबह एक फ़ार्मा कंपनी के रिएक्टर में विस्फोट के कारण कम से कम 36 लोगों की मौत हुई है.
अधिकारियों का कहना है कि मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि लापता लोगों की तलाश अभी भी जारी है.
मिली जानकारी के मुताबिक़ विस्फोट के समय वहां 143 लोग मौजूद थे, जिनमें से 58 को बचाया जा चुका है, जबकि बाक़ी लापता हैं. घायलों का इलाज अलग-अलग अस्पतालों में चल रहा है.
मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने मारे गए लोगों के लिए सहायता राशि की घोषणा की है. रेवंत रेड्डी ने कहा है कि हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को सहायता राशि के रूप में एक-एक करोड़ रुपये दिए जाएंगे.
इसके साथ ही मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जो लोग इस हादसे के लिए ज़िम्मेदार हैं, उन पर सख़्त कार्रवाई होगी.
उन्होंने कहा, "हम पूरी घटना की ठीक से जांच करेंगे और जहां भी ग़लती हुई है, उसे ठीक करने के लिए नए नियम बनाएंगे."
"जो लोग हादसे में मारे गए हैं, उनके परिवार को तुरंत ख़र्च के लिए 1 लाख रुपये दिए जाएंगे और घायलों के परिवार को 50 हज़ार रुपये मिलेंगे. इसके अलावा मृतकों के परिवार को 1 करोड़ रुपये, गंभीर तौर पर घायल लोगों को 10 लाख रुपये और बाक़ी घायलों को 5 लाख रुपये दिए जाएंगे."
परिजन कर रहे हैं अपनों की तलाशइस दुर्घटना के बाद फ़ैक्ट्री के बाहर अफ़रा-तफ़री का माहौल था. ओडिशा की एक महिला फ़ैक्ट्री के गेट के पास फूट-फूट कर रो रही थीं और पुलिस से अंदर जाने देने की गुहार लगा रही थीं. उनके पति प्रशांत महापात्रा उसी कंपनी में काम करते हैं. दुर्घटना के बाद से ही वह अपने पति को खोजने की कोशिश कर रही हैं. उनके पति लापता हैं.
लक्ष्मी मुखिया के चचेरे भाई श्याम सुंदर भी अपने परिवार के साथ वहां इंतजार कर रहे हैं. वह बिहार के रहने वाले हैं. लक्ष्मी मुखिया भी इसी कंपनी में काम करते हैं. उनका पता नहीं चल पाया है.
मज़दूरों के परिजन अपनों का नाम बताकर और फोटो दिखाकर वहां के अधिकारियों से अपनों का पता पूछ रहे हैं. साथी कर्मचारी आंसू बहा रहे मज़दूरों के परिवारों को सांत्वना दे रहे हैं.
परिजन कंपनी से बाहर निकल रही एंबुलेंस के पीछे दौड़ रहे थे. ये देखने के लिए कि कहीं उसमें उनके अपने तो नहीं हैं. जब एंबुलेंस को वहां रुकने नहीं दिया गया, तो कुछ लोगों ने गुस्से में उन पर पत्थर भी फेंके.
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स्थानीय पुलिस ने बीबीसी को बताया कि यह दुर्घटना सोमवार सुबह 9 से 9:30 बजे के बीच हुई. विस्फोट का कारण अभी भी स्पष्ट नहीं है. लेकिन इस फ़ार्मा कंपनी में रासायनिक पदार्थों से नमी हटाने का काम होता है.
फ़ायर ब्रिगेड डिपार्टमेंट के अधिकारियों का मानना है कि यह दुर्घटना संभवत: रासायनिक पदार्थों से नमी हटाने की प्रक्रिया के दौरान एयर प्रेशर में बदलाव के कारण हुई होगी.
दुर्घटना इतनी भयंकर थी कि इसकी वजह से केमिकल प्यूरिफ़िकेशन प्लांट की पूरी इमारत ध्वस्त हो गई.
विस्फोट स्थल के पास स्थित अन्य इमारतें भी क्षतिग्रस्त हो गईं. रसायन ले जाने वाली पाइपलाइनें क्षतिग्रस्त हुई हैं.
राहत और बचाव के काम में कई बुलडोज़र, फ़ायर ब्रिगेड की गाड़ियां, एंबुलेंस, मेडिकल, पुलिस, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीमें लगी हुई हैं.
ज़िला कलेक्टर, एसपी और मंत्री दामोदर राजनरसिम्हा और विवेक ने घटनास्थल का निरीक्षण किया है. विपक्ष के नेता हरीश राव और अन्य दलों के नेताओं ने भी घटनास्थल का दौरा किया.
जारी है राहत-बचाव कार्यस्वास्थ्य मंत्री दामोदर राजा नरसिम्हा ने घायलों से मुलाक़ात की. उन्होंने घोषणा की कि सरकार घायलों को इलाज मुहैया करवाएगी. उन्होंने कहा कि शवों को उनके मूल स्थानों तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है.
दामोदर राजा नरसिम्हा ने कहा कि अस्पताल में पोस्टमार्टम और डीएनए परीक्षण की व्यवस्था की गई है.
ये हादसा सुबह 9 बजे हुआ. लेकिन शाम 6 बजे तक प्लांट से धुआं निकलता दिखाई दे रहा था. ये धुआं वहां बड़ी मात्रा में मौजूद कच्चे माल से आ रहा था. रासायनिक पदार्थों की अधिक मात्रा के कारण बचाव कार्य सावधानी से किया जा रहा है.
वहां की स्थिति भयावह थी, बड़े-बड़े पाइप, चादरें और सीमेंट का मलबा एक साथ मिला हुआ था. सरकार ने राहत प्रयासों की निगरानी के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है.
बिहार सरकार में श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि मरने वालों में बिहार के दो मज़दूर शामिल हैं, जबकि 16 अन्य घायल हुए हैं.
उन्होंने कहा है कि इस पूरी घटना की जांच के लिए बिहार से एक जांच टीम तेलंगाना जाएगी.
बिहार सरकार ने मृतकों के परिजनों को चार लाख रुपये और घायलों के परिजनों को 50 हज़ार रुपये सहायता राशि देने की घोषणा की है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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