"भाइयों और बहनों! इस चुनाव में सिर्फ़ बीस दिन बचे हैं और च्वाइस मेरे और एंड्रयू कुओमो के बीच है."
ये शब्द ज़ोहरान ममदानी के हैं, जो अंग्रेज़ी बोले जाने वाले अमेरिका में हिंदी बोलकर अपने लिए वोट मांग रहे हैं.
कुछ दिन पहले उन्होंने लोगों से अपने पक्ष में वोट डालने के लिए हिंदी बोलते हुए एक वीडियो बनाया था. तब यह वीडियो भारत में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
अब न्यूयॉर्क सिटी के मेयर पद के लिए डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के प्राइमरी चुनाव में एंड्रयू कुओमो ने ज़ोहरान ममदानी के सामने हार स्वीकार कर ली है. यह एक बड़ा राजनीतिक उलटफेर माना जा रहा है.
अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कुओमो ने कहा कि 33 वर्षीय डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट ज़ोहरान ममदानी ने प्राइमरी की बाज़ी जीत ली है और अब हम वर्तमान परिस्थिति का मूल्यांकन कर आगे का फ़ैसला करेंगे.
चुनाव परिणामों की आधिकारिक घोषणा के बाद ममदानी न्यूयॉर्क में मेयर पद के चुनाव में पहले मुस्लिम उम्मीदवार बनकर इतिहास रच देंगे.
साथ ही नवंबर में होने वाले चुनाव में अगर ममदानी जीतते हैं तो वह अमेरिका के सबसे बड़े शहर न्यूयॉर्क के पहले मुस्लिम और पहले दक्षिण एशियाई मूल के मेयर बनेंगे.
ज़ोहरान क्वामे ममदानी का जन्म साल 1991में युगांडा की राजधानी कंपाला में हुआ था. ममदानी के पिता ने उन्हें एक क्रांतिकारी और घाना के पहले प्रधानमंत्री क्वामे नक्रमा के नाम पर मिडिल नेम क्वामे दिया था.
ममदानी मशहूर भारतीय-अमेरिकी फ़िल्म निर्देशक मीरा नायर और कोलंबिया यूनिवर्सिटी के जाने-माने प्रोफे़सर महमूद ममदानी के बेटे हैं.
कंपाला में उन्होंने अपने शुरुआती दिन बिताए और फिर पांच साल की उम्र में दक्षिण अफ़्रीका आ गए.
ममदानी के भारतीय मूल के पिता महमूद ममदानी केपटाउन विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर थे. केपटाउन में ही 1848 में शुरू हुए दक्षिण अफ़्रीका के सबसे पुराने स्कूल सेंट जॉर्ज ग्रामर में उन्होंने शुरुआती पढ़ाई-लिखाई की.
सात साल की उम्र में वे न्यूयॉर्क आ गए. उन्होंने ब्रॉन्क्स हाई स्कूल ऑफ़ साइंस से पढ़ाई की.
साल 2014 में उन्होंने बोडन कॉलेज से 'बैचलर इन अफ़्रीकन स्टडीज़' में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की.
कुछ साल बाद 2018 में, ममदानी एक अमेरिकी नागरिक बन गए.
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ज़ोहरान ममदानी ने सक्रिय राजनीति में क़दम रखने से पहले एक सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर काम किया.
राजनीति में आने से पहले ज़ोहरान ममदानी क्वींस, न्यूयॉर्क में बतौर फॉरक्लोज़र काउंसलर (घर ज़ब्ती मामलों में सलाहकार) काम करते थे. ममदानी कम आय वाले परिवारों की मदद करते थे जो आर्थिक तंगी के कारण अपने घर खोने की कगार पर थे.
इस काम के दौरान उन्होंने देखा कि जिन परिवारों की मदद वह कर रहे थे, उनकी दिक्कतें केवल आर्थिक नहीं बल्कि नीतिगत भी थीं. इसी अनुभव ने उन्हें सक्रिय राजनीति की ओर प्रेरित किया ताकि वह नीतियां बदल सकें जो आम लोगों को प्रभावित करती हैं.
इसके बाद साल 2020 में उन्होंने पहला चुनाव लड़ा. उन्होंने न्यूयॉर्क असेंबली के 36वें डिस्ट्रिक्ट (एस्टोरिया, क्वींस) से डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा.
ज़ोहरान ममदानी पहली बार में ही जीत गए और न्यूयॉर्क स्टेट असेंबली में पहले दक्षिण एशियाई और पहले सोशलिस्ट प्रतिनिधि बने.
अब डेमोक्रेट ममदानी ने न्यूयॉर्क मेयर प्राइमरी में पूर्व गवर्नर को पीछे छोड़कर सभी को चौंका दिया है.
राज्य के पूर्व गवर्नर 67 वर्षीय कुओमो, यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में 2021 में पद से इस्तीफ़ा देने के बाद राजनीतिक वापसी का प्रयास कर रहे थे.
जीत के बाद ममदानी ने कहा, "आज रात हमने इतिहास लिखा है. जैसा कि नेल्सन मंडेला ने कहा था- 'जब तक यह पूरा नहीं हो जाता, यह हमेशा असंभव लगता है.' मेरे दोस्तों, हमने इसे कर दिखाया. मैं डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में आपकी न्यूयॉर्क सिटी का मेयर बनूंगा."
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इसराइल से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक ज़ोहरान ममदानी उनकी खुलकर आलोचना कर चुके हैं.
मई, 2025 में एक कार्यक्रम में उनसे कि अगर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैडिसन स्क्वायर गार्डन में रैली करते हैं और फिर न्यूयॉर्क के मेयर के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करना चाहते हैं, तो क्या वह उसमें शामिल होंगे?
ममदानी ने 'नहीं' में जवाब देते हुए कहा, "मेरे पिता और उनका परिवार गुजरात से है. नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुसलमानों के बड़े पैमाने पर क़त्लेआम को अंजाम देने में मदद की, इतनी बड़ी हिंसा हुई कि अब तो ऐसा लगता है जैसे गुजराती मुसलमान हैं ही नहीं. हमें मोदी को उसी नज़र से देखना चाहिए जैसे हम बिन्यामिन नेतन्याहू को देखते हैं. वह एक युद्ध अपराधी हैं."
इस बयान के बाद न्यूयॉर्क के कुछ इंडो-अमेरिकन और हिंदू, सिख समुदायों ने इसे विभाजनकारी और घृणास्पद बताया था. साथ ही इन लोगों ने ममदानी से माफ़ी की मांग की थी.
ज़ोहरान ममदानी का फ़लस्तीन के समर्थन और इसराइल की आलोचना को लेकर डेमोक्रेटिक पार्टी के ज़्यादातर नेताओं से मतभेद रहा है.
एक अमेरिकी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इसराइल के यहूदी देश के रूप में अस्तित्व का विरोध किया था.
उन्होंने कहा, "मैं किसी ऐसे देश का समर्थन नहीं कर सकता जहां नागरिकता धर्म या किसी और आधार पर बांटी जाती हो. हर देश में समानता होनी चाहिए, यही मेरा विश्वास है."
ममदानी ने कथित तौर पर इसराइल के लिए उकसावे वाले काफ़ी विवादित 'ग्लोबलाइज़ द इंतिफ़ादा' नारे से दूरी नहीं बनाई. उन्होंने इसे फ़लस्तीनी लोगों की मानवाधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बताया- वह इसे हिंसक नहीं, बल्कि समानता की आवाज़ मानते हैं.
लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह नारा वैश्विक हिंसा का आह्वान लग सकता है, और यहूदी वोटरों के बीच भय फैला रहा है.
चुनाव में ममदानी के मुद्देज़ोहरान ममदानी का चुनाव अभियान रोटी, कपड़ा, मकान और मुफ़्त बस सेवा पर आधारित है. अपने अभियान में वह बार-बार आम लोगों की आवाज़ बनने का वादा कर रहे हैं.
अपने चुनाव प्रचार के दौरान वे उस समय वायरल हो गए जब उन्होंने न्यूयॉर्क में उन मतदाताओं से सवाल पूछे जिन्होंने नवंबर चुनाव में ट्रंप को वोट दिया था.
उन्होंने उनसे पूछा कि कौन से मुद्दों पर उन्होंने रिपब्लिकन राष्ट्रपति को चुना और डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन पाने के लिए क्या बदलाव ज़रूरी होंगे.
ममदानी का घोषणापत्र कई प्रगतिशील योजनाओं पर आधारित है, जिनमें शामिल हैं:
- मुफ़्त पब्लिक बस सेवा
- सभी के बच्चों की देखभाल
- नगर निगम की ओर से संचालित दुकानें
- किफ़ायती आवास
इन सभी योजनाओं के लिए फंड अमीरों पर नए टैक्स लगाकर जुटाने की बात कही गई है.
बीबीसी से बात करते हुए ममदानी ने कहा, "यह एक ऐसा शहर है जहां हर चार में से एक व्यक्ति ग़रीबी में जी रहा है और जहां पांच लाख बच्चे हर रात भूखे सोते हैं."
उन्होंने आगे कहा, "इस शहर पर उस पहचान को खोने का ख़तरा है, जो इसे ख़ास बनाती है."
ममदानी को उनके अभियान के दौरान सांसद अलेक्ज़ेंड्रिया ओकैसियो-कोर्टेज़ और सीनेटर बर्नी सैंडर्स का समर्थन मिला.
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न्यूयॉर्क सिटी के मेयर का कार्यकाल 4 साल का होता है. कोई व्यक्ति लगातार दो बार (यानी अधिकतम 8 साल) तक ही मेयर रह सकता है.
हर पार्टी (जैसे डेमोक्रेटिक, रिपब्लिकन) पहले अपने उम्मीदवार तय करती है. इसके लिए एक प्राइमरी चुनाव होता है, जहाँ पार्टी के रजिस्टर्ड सदस्य वोट डालते हैं.
न्यूयॉर्क में अब रैंक-चॉइस वोटिंग का इस्तेमाल होता है.
मतदाता अपनी पसंद के अनुसार 1 से 5 तक उम्मीदवारों को रैंक करते हैं.
कोई 50% से अधिक वोट पाए, तभी सीधे जीतता है; नहीं तो राउंड-बाय-राउंड गिनती होती है.
प्राइमरी जीतने वाले उम्मीदवार फिर जनरल इलेक्शन में आमने-सामने होते हैं. यह आम तौर पर नवंबर महीने में होता है. इसमें सभी रजिस्टर्ड मतदाता वोट डाल सकते हैं- चाहे वे किसी भी पार्टी से हों.
सबसे ज़्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार न्यूयॉर्क सिटी का मेयर बनता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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