-हनुमान जन्मोत्सव पर विशेष
जगदलपुर, 12 अप्रैल (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के अंतिम छाेर बस्तर संभाग से लगे तेलंगाना में हनुमानजी का एक ऐसा मंदिर है, जहां पूर्णिमा पर हनुमान जन्मोत्सव के दिन उनकी अपनी पत्नी सूर्य पुत्री सुवर्चला के साथ पूजा की जाती है। यह उत्सव धूमधाम से मनाया जाता है। वैसे यह विषय अचरज में डालने वाला है, क्योंकि ज्यादातर लोग यही जानते हैं कि हनुमानजी ब्रह्मचारी थे। रामायण और रामचरित मानस में भी हनुमानजी के ब्रह्मचारी होने का जिक्र है, लेकिन पराशर संहिता के अनुसार श्रीहनुमान का विवाह हुआ था। इस विवाह के बाद भी हनुमानजी ब्रह्मचारी ही रहे। श्रीहनुमान के विवाह की एक रोचक कथा के अनुसार के उनके गुरु सूर्यदेव ने विद्यार्जन के लिए विवाह करने का सुझाव दिया था।
तेलंगाना के खम्मम जिले के येल्नाडू गांव में हनुमानजी की पूजा उनकी पत्नी सुवर्चला के साथ की जाती है। यह हनुमानजी और सुवर्चला देवी का बहुत ही प्राचीन मंदिर है। साथ ही यह विश्व का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां हनुमानजी अपनी पत्नी के साथ विराजित हैं। मंदिर में ज्येष्ठ शुक्ल दशमी को माता सुवर्चला और हनुमानजी के विवाह का उत्सव मनाया जाता है।
हनुमानजी के विवाह की रोचक कथा के अनुसार भगवान सूर्य देव हनुमानजी के गुरु थे, जिनके पास 9 विद्याएं मौजूद थीं। वह इन विद्याओं का ज्ञान हनुमानजी को देना चाहते थे। पांच विद्याएं तो उन्होंने श्रीहनुमानजी को सिखा दीं, लेकिन जब अन्य चार की बारी आई तो वे धर्म संकट में फंस गए, क्योंकि यह चार विद्याएं सिर्फ विवाहित लोगों को ही दी जा सकती थीं। समस्या के समाधान के लिए सूर्यदेव ने श्रीहनुमान जी को विवाह करने का सुझाव दिया। कहा जाता है कि पहले तो हनुमान जी इस विवाह के लिए राजी नहीं हुए, लेकिन जब सूर्य देव ने कहा कि यह कन्या तपस्या कर पुन: उनके तेज में ही विलीन हो जाएंगी। तब श्रीहनुमान इस विवाह के लिए मान गए। तब जाकर उनका विवाह सूर्यदेव की तपस्वी और तेजस्वी पुत्री सुवर्चला के साथ हुआ। हालांकि विवाह करने के बाद भी हनुमानजी ब्रह्मचारी ही रहे, विवाह के बाद सुवर्चला भी तपस्या में लीन हो गईं।
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हिन्दुस्थान समाचार / राकेश पांडे
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