भारत के पूंजी बाजार नियामक, सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने हाल ही में एक्वा प्रूफ वॉल प्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड और इसके डायरेक्टर नरेश चंद्र बोहरा पर केपीआईटी टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के शेयरों में फ्रंट-रनिंग के लिए 45 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. इसके बाद यह सवाल उठ रहा है कि फ्रंट रनिंग क्या है? यह कार्रवाई जेन स्ट्रीट मामले के बाद सेबी के एक्शन मोड को और मजबूत करती है. ताकि निवेशकों के हितों की रक्षा और बाजार की पारदर्शिता बनी रहे.
फ्रंट-रनिंग क्या है और यह क्यों है गैरकानूनी?फ्रंट-रनिंग एक ऐसी अवैध प्रथा है, जिसमें कोई व्यक्ति या कंपनी किसी बड़े ग्राहक के ऑर्डर की गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करके शेयरों की खरीद-बिक्री करता है. ऐसी गतिविधियां मार्केट की कीमतों को प्रभावित करती है. इससे निवेशकों का भरोसा कम होता है और ऐसी गतिविधियां बड़े ग्राहकों को नुकसान पहुंचाती है, क्योंकि उन्हें खराब निष्पादन दर का सामना करना पड़ता है. भारत में फ्रंट-रनिंग को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है, और सेबी इस तरह की अनुचित गतिविधियों पर कड़ी नजर रखता है. ऐसे करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है.
सेबी की जांच में क्या आया सामने?सेबी की जांच में पाया गया कि एक्वा प्रूफ वॉल प्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 26 जुलाई 2017 को केपीआईटी टेक्नोलॉजीज के शेयरों में फ्रंट-रनिंग की. यह गतिविधि मूल रूप से मेहरानगढ़ फाइनेंशियल एडवाइजरस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की गई थी, जो बाद में APWPPL में विलय हो गई. जांच के अनुसार, एमएफएपीएल ने आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स लिमिटेड के माध्यम से गैर-सार्वजनिक जानकारी का उपयोग करके 5,52,500 शेयर बेचे और फिर उसी मात्रा में शेयर वापस खरीदे, जिससे कंपनी ने 19.52 लाख रुपये का अवैध प्रॉफिट कमाया.
सेबी ने पाया कि एमएफएपीएल ने एक बड़े ग्राहक वॉरहॉल लिमिटेड के बड़े बिक्री ऑर्डर से पहले ट्रेडिंग की. यह ऑर्डर कीमतों में अपेक्षित गिरावट का फायदा उठाने के लिए किया गया था. इस प्रक्रिया में आनंद राठी समूह के कर्मचारियों द्वारा एमएफएपीएल के ट्रेडिंग और बैंक खातों का संचालन किया गया.
कितना लगाया जुर्माना?सेबी ने एक्वा प्रूफ वॉल प्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड पर 40 लाख रुपये और इसके डायरेक्टर नरेश चंद्र बोहरा पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. सेबी के अधिनिर्णय अधिकारी अमित कपूर ने अपने आदेश में कहा है कि फ्रंट-रनिंग एक अनुचित व्यापारिक गतिविधि है, जो निवेशकों का भरोसा कम करती है और प्राइस डिस्कवरी को प्रभावित करती है. यह बड़े ग्राहकों को भी नुकसान पहुंचाती है. ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए उचित जुर्माना लगाना जरूरी है.
फ्रंट-रनिंग क्या है और यह क्यों है गैरकानूनी?फ्रंट-रनिंग एक ऐसी अवैध प्रथा है, जिसमें कोई व्यक्ति या कंपनी किसी बड़े ग्राहक के ऑर्डर की गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग करके शेयरों की खरीद-बिक्री करता है. ऐसी गतिविधियां मार्केट की कीमतों को प्रभावित करती है. इससे निवेशकों का भरोसा कम होता है और ऐसी गतिविधियां बड़े ग्राहकों को नुकसान पहुंचाती है, क्योंकि उन्हें खराब निष्पादन दर का सामना करना पड़ता है. भारत में फ्रंट-रनिंग को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है, और सेबी इस तरह की अनुचित गतिविधियों पर कड़ी नजर रखता है. ऐसे करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है.
सेबी की जांच में क्या आया सामने?सेबी की जांच में पाया गया कि एक्वा प्रूफ वॉल प्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड ने 26 जुलाई 2017 को केपीआईटी टेक्नोलॉजीज के शेयरों में फ्रंट-रनिंग की. यह गतिविधि मूल रूप से मेहरानगढ़ फाइनेंशियल एडवाइजरस प्राइवेट लिमिटेड द्वारा की गई थी, जो बाद में APWPPL में विलय हो गई. जांच के अनुसार, एमएफएपीएल ने आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स लिमिटेड के माध्यम से गैर-सार्वजनिक जानकारी का उपयोग करके 5,52,500 शेयर बेचे और फिर उसी मात्रा में शेयर वापस खरीदे, जिससे कंपनी ने 19.52 लाख रुपये का अवैध प्रॉफिट कमाया.
सेबी ने पाया कि एमएफएपीएल ने एक बड़े ग्राहक वॉरहॉल लिमिटेड के बड़े बिक्री ऑर्डर से पहले ट्रेडिंग की. यह ऑर्डर कीमतों में अपेक्षित गिरावट का फायदा उठाने के लिए किया गया था. इस प्रक्रिया में आनंद राठी समूह के कर्मचारियों द्वारा एमएफएपीएल के ट्रेडिंग और बैंक खातों का संचालन किया गया.
कितना लगाया जुर्माना?सेबी ने एक्वा प्रूफ वॉल प्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड पर 40 लाख रुपये और इसके डायरेक्टर नरेश चंद्र बोहरा पर 5 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. सेबी के अधिनिर्णय अधिकारी अमित कपूर ने अपने आदेश में कहा है कि फ्रंट-रनिंग एक अनुचित व्यापारिक गतिविधि है, जो निवेशकों का भरोसा कम करती है और प्राइस डिस्कवरी को प्रभावित करती है. यह बड़े ग्राहकों को भी नुकसान पहुंचाती है. ऐसी गतिविधियों को रोकने के लिए उचित जुर्माना लगाना जरूरी है.
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