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अक्टूबर-दिसंबर में नहीं सस्ता होगा लोन? जानिए महंगाई से कैसे बदल सकती है RBI की चाल

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अगस्त में महंगाई दर 2% के पार पहुंच गई और इसका असर सीधा आपकी जेब पर नहीं, बल्कि ब्याज दरों पर भी पड़ा है। SBI रिसर्च की लेटेस्ट रिपोर्ट कहती है कि अब अक्टूबर में ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें धुंधली पड़ गई हैं। अगर देश की अर्थव्यवस्था इसी तरह तेजी से बढ़ती रही, तो दिसंबर में भी राहत मिलना आसान नहीं होगा। ऐसे में अगर RBI रेपो रेट में कटोती नहीं करता है तो लोन की ब्याज दरें भी कम नहीं होंगी।



रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर पहली और दूसरी तिमाही में देश की ग्रोथ उम्मीद से बेहतर रही, तो रिजर्व बैंक शायद दरों को जस का तस बनाए रखे। एक अच्छी खबर ये हो सकती है कि अगर सरकार कुछ सर्विस पर GST की दरें कम करती है और उसका असर आधा भी लोगों तक पहुंचता है, तो खाने-पीने के अलावा बाकी चीजों की महंगाई 0.40% से 0.45% तक घट सकती है।



जरूरी चीजों पर टैक्स घटा, महंगाई में राहत की उम्मीद

सरकार ने करीब 295 जरूरी चीजों पर GST (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की दरें कम कर दी हैं। पहले इन पर 12% टैक्स लगता था, अब यह घटाकर 5% या कई चीजों पर बिल्कुल खत्म (0%) कर दिया गया है। SBI की रिपोर्ट कहती है कि अगर इसका 60% फायदा सीधे ग्राहकों तक पहुंचे, तो इससे इन चीजों की महंगाई अगले साल (वित्त वर्ष 2025-26) में 0.25% से 0.30% तक कम हो सकती है।



जुलाई में महंगाई सबसे कम, लेकिन अगस्त में थोड़ा बढ़ी

जुलाई 2025 में खुदरा महंगाई (CPI) 1.55% पर थी, जो करीब 8 सालों (98 महीने) में सबसे कम थी। लेकिन अगस्त में ये बढ़कर 2.07% हो गई। इसका मुख्य कारण खाने-पीने की चीजों और पेय पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी है।



कोर महंगाई भी बढ़ी

कोर महंगाई का मतलब है - खाने और ईंधन को छोड़कर बाकी चीजों की कीमतों में बदलाव। अगस्त में यह भी बढ़कर 4.16% हो गई, जो दिखाता है कि बाकी सामान भी अब धीरे-धीरे महंगे हो रहे हैं।



गांव और शहर - दोनों जगह महंगाई में इजाफा

ग्रामीण इलाकों में महंगाई जुलाई में 1.18% थी, जो अगस्त में बढ़कर 1.69% हो गई। वहीं शहरों में यह 2.10% से बढ़कर 2.47% हो गई। इसका एक कारण 'बेस इफेक्ट' है, यानी अब कीमतों की तुलना पिछले साल के बहुत ज्यादा रेट से नहीं हो रही, इसलिए असली बढ़ोतरी ज्यादा साफ दिख रही है।



ज्यादातर राज्यों में हालात ठीक, लेकिन केरल में परेशानी

देश के 35 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 26 में अगस्त में महंगाई 4% से नीचे रही, यानी काबू में थी। लेकिन केरल और लक्षद्वीप में ये 6% से ज्यादा रही। खास तौर पर केरल में महंगाई 9.04% पहुंच गई, जो देश में सबसे ज्यादा थी। इसकी सबसे बड़ी वजह नारियल तेल की कीमतों में तेज बढ़ोतरी है, जो केरल के लोगों की रोजमर्रा की जरूरत है। केरल में ग्रामीण इलाकों में महंगाई 10.05% और शहरी इलाकों में 7.19% रही।



बारिश का खाद्य कीमतों पर पड़ सकता है असर

अगस्त से सितंबर की शुरुआत तक पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात जैसे बड़े खेती वाले राज्यों में भारी बारिश हुई है। देशभर में सामान्य से 9% ज्यादा बारिश रिकॉर्ड की गई। अगर बारिश से फसलों को नुकसान हुआ, तो आने वाले महीनों में खाने-पीने की चीजें और महंगी हो सकती हैं।

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