वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) के क्षेत्र में एक नया मुकाम हासिल किया है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, इस वित्त वर्ष में भारत में 81.04 अरब डॉलर का एफडीआई इंफ्लो हुआ है। जो पिछले वर्ष 71.28 अरब डॉलर की तुलना में 14% अधिक है। ये आंकड़े भारत की मजबूत आर्थिक नीतियों, वैश्विक निवेशकों के बढ़ते भरोसे और सुधारो को दर्शाते हैं। भारत के एफडीआई इंफ्लो में सिंगापुर अव्वल वित्त वर्ष 2024-25 में भारत को सबसे ज्यादा फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट सिंगापुर से प्राप्त हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि सिंगापुर वैश्विक निवेशकों के लिए एक प्रमुख वित्तीय केंद्र है। भारत सरकार की निवेश अनुकूल नीतियों और रीट विनियमों में हुए संशोधन के बाद सिंगापुर से निवेश को बढ़ावा मिला है। वित्त वर्ष 2023-24 में सिंगापुर से एफडीआई इंफ्लो में 31.55% की गिरावट दर्ज हुई थी, जिसके बाद यह आंकड़ा 11.77 अरब डालर था। लेकिन इस बार सिंगापुर ने फिर से स्थिति मजबूत की है। सिंगापुर के अलावा अन्य देश जैसे नीदरलैंड जापान से भी निवेश में वृद्धि हुई है। जिन देशों से एफडीआई में कमी आई है उनमें मॉरीशस, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश शामिल हैं। इस सेक्टर को मिला सबसे ज्यादा विदेशी निवेशसबसे ज्यादा जिस सेक्टर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश हुआ है उसमें सर्विस सेक्टर अव्वल है। वित्त वर्ष 2024-25 में सर्विसेज सेक्टर ने एफडीआई में 19% हिस्सेदारी प्राप्त की है। विदेशी निवेशकों को सूचना प्रौद्योगिकी, परामर्श, वित्तीय सेवाएं और डिजिटल सेवाओं जैसे क्षेत्रों में ज्यादा आकर्षित किया है। बता दे कि भारत तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ रहा है। इन सेक्टर में भी बढ़ा एफडीआई सर्विस सेक्टर के अलावा कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में हिस्सेदारी 16% रही। इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी इंफ्लो वृद्धि हुई है। इस वित्त वर्ष में इस सेक्टर में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश 18% बढ़ गया। वित्त वर्ष 2023-24 में यह आंकड़ा 16.12 अरब डॉलर था, जो वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 19.04 अरब डॉलर हो। टॉप पर हैं ये राज्य वित्त वर्ष 2024-25 में सबसे ज्यादा एफडीआई इनफ्लो महाराष्ट्र को प्राप्त हुआ है। कुल विदेशी प्रत्यक्ष निवेश में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 39% दर्ज हुई। दूसरे नंबर पर कर्नाटक है, जिसे 13% हिस्सेदारी हासिल हुई है, इसके अलावा दिल्ली की हिस्सेदारी 12% हिस्सेदारी रही। एफडीआई इनफ्लो में वृद्धि के पीछे भारत की ये रणनीतिभारत सरकार ने मेक इन इंडिया, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजनाएं, आत्मनिर्भर भारत जैसी कई पहलों की शुरुआत की है। इससे विदेशी निवेशक आकर्षित हुए हैं और उनका विश्वास भी बढ़ा है। सरकार ने कई क्षेत्रों में एफडीआई नियमों में ढील भी दी है, जैसे रक्षा, दूरसंचार और नवीनीकरण ऊर्जा, जिनमें भी विदेशी निवेश प्रोत्साहित हुए हैं। इसके अलावा भारत के निवेशक सुरक्षा तंत्र को मजबूत करने और सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम ने भी विदेशी प्रत्यक्ष निवेश को बढ़ाने में भागीदारी निभाई है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश की वृद्धि का प्रभावएफडीआई का बढ़ता भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक संकेत है। इसे न केवल विदेशी मुद्रा भंडार में मजबूती हासिल होती है बल्कि तकनीकी हस्तांतरण रोजगार सृजन और प्रतिस्पर्डी बाजार के निर्माण में भी योगदान मिलेगा। वित्त वर्ष 2024-25 में 81.04 अरब डॉलर के रिकॉर्ड FDI के साथ भारत ने वैश्विक निवेश के क्षेत्र में अपनी स्थिति को और मजबूत किया है।
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