फूलन देवी, जिन्हें चंबल की रानी के नाम से जाना जाता है, अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज भी जब दलितों और शोषितों की बात होती है, उनका नाम लिया जाता है। बैंडिट क्वीन के नाम से मशहूर इस डकैत की कहानी सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो सकते हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह की आत्मकथा 'ए ग्रेन ऑफ सेंड इन ऑवरग्लास ऑफ़ टाइम' में फूलन देवी से जुड़ी कई घटनाओं का उल्लेख किया गया है।
किस्सा जानिए
एक साधारण गांव की लड़की, जो बाद में एक खतरनाक डकैत बन गई, ने कई लोगों को चंद सेकंडों में मौत के घाट उतार दिया। आखिर एक गरीब लड़की इतनी खतरनाक कैसे बन गई? आइए जानते हैं।
फूलन देवी का जन्म 1963 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के पुरवा गांव में हुआ। जब वह केवल 10 वर्ष की थीं, उनकी शादी एक 30 वर्षीय व्यक्ति से कर दी गई। मल्लाह जाति की फूलन को बचपन से ही सवर्णों द्वारा शोषण का सामना करना पड़ा। उसका पति, पुत्ती लाल, उसके साथ अमानवीय व्यवहार करता था। अंततः वह अपने घर भाग गई, लेकिन वहां मुखिया के बेटे ने उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया।
ठाकुरों द्वारा बलात्कार
फूलन की मां ने उसे अपनी बहन के पास टयोंगा गांव भेज दिया। वहां उसकी मुलाकात अपने मौसरे भाई कैलाश से हुई, जो चंबल के दस्यु सरगना बाबूसिंह गुर्जर के साथ रहता था। बाबू सिंह ने फूलन को अपने साथ ले जाकर यौन शोषण किया। इसी दौरान उसकी मुलाकात विक्रम नामक डकैत से हुई, जिसके साथ उसका प्रेम पनपने लगा, लेकिन विक्रम की हत्या कर दी गई। दस्यु सरगना श्रीराम ने फूलन को अगवा कर लिया और 22 दिनों तक 20 लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया।
सांसद बनने का सफर
1981 में फूलन देवी ने अपने साथ हुए अन्याय का बदला लिया और बलात्कार करने वाले 20 लोगों को गोलियों से भून दिया। इसके बाद उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। जेल से रिहा होने के बाद, 1996 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा और मिर्जापुर-भदौही लोकसभा सीट से सांसद बनीं। 2001 में, शेर सिंह राणा नामक एक व्यक्ति ने दिल्ली में उनके आवास पर उन्हें गोली मार दी।
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