विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और मुंबई के एक रिसर्च सेंटर द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कई देशों द्वारा RO पानी पर प्रतिबंध लगाने के कारणों का उल्लेख किया गया है। राजीव भाई दीक्षित ने हमेशा कहा है कि 350 टीडीएस से कम का पानी नहीं पीना चाहिए। हाल ही में कुछ डेंटिस्ट भी बिना जानकारी के अपने मरीजों को RO पानी पीने की सलाह दे रहे हैं, जबकि यह उनके दांतों के लिए हानिकारक हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पानी की कमी के बावजूद, तकनीकी कारणों से हमारे जल स्रोतों को प्रदूषित किया जा रहा है। पहले हम बारिश के पानी को इकट्ठा करते थे, लेकिन अब हम जल का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं।
RO पानी का सेवन और स्वास्थ्य पर प्रभाव
RO का लगातार सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक:
गर्मी में पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन क्या हम RO पानी को शुद्ध मान सकते हैं? इसका उत्तर है नहीं। WHO ने स्पष्ट किया है कि इसके लगातार सेवन से हृदय रोग, थकान, मांसपेशियों में ऐंठन और सिरदर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। शोध से पता चला है कि RO पानी में कैल्शियम और मैग्नीशियम की मात्रा कम हो जाती है, जो शरीर के विकास के लिए आवश्यक हैं।
राजीव भाई ने हमेशा कहा है कि RO पानी की गुणवत्ता को बनाए नहीं रखता, बल्कि इसमें मौजूद मिनरल्स को कम कर देता है।
पानी की गुणवत्ता और विकल्प
पानी की गुणवत्ता:
वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव शरीर 500 टीडीएस तक सहन कर सकता है, जबकि RO में 18 से 25 टीडीएस होता है, जो हानिकारक है। इसके बजाय, थोड़ी मात्रा में क्लोरीन का उपयोग किया जा सकता है, जो लागत में भी कम है और आवश्यक तत्वों को सुरक्षित रखता है।
पानी की सच्चाई:
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भारत में RO की बढ़ती मांग
जबकि कई एशियाई और यूरोपीय देश RO पर प्रतिबंध लगा चुके हैं, भारत में इसकी मांग बढ़ती जा रही है। कई विदेशी कंपनियों ने यहां अपना बड़ा बाजार स्थापित किया है। मैंने 20 साल से RO नहीं लगवाया है और कई बोतलों का पानी चेक किया है, लेकिन किसी में भी 20 टीडीएस का पानी नहीं मिला।

जानकारी का विस्तार सारी जानकारी लिख पाना असंभव है, ये वीडियो देखिए >>
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