पटना, 4 जुलाई . बिहार में वोटर लिस्ट संशोधन को लेकर सियासी घमासान मचा है. पूर्णिया सांसद राजेश रंजन यानि पप्पू यादव ने बिहार चुनाव से पहले भारत निर्वाचन आयोग के इस अभियान पर सवाल उठाया है. साथ ही इंडी अलायंस से नाता तोड़ने का ऐलान कर चुके आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को भी आड़े हाथों लिया.
मीडिया से बात करते हुए पूर्णिया सांसद ने कहा, “चुनाव आयोग आरएसएस का दफ्तर है, उसको रोकना चाहिए. जो संवैधानिक दायित्व के लिए खतरा बन जाए, उसके लिए जनता तैयार है. आज हम लोग तय करेंगे. कांग्रेस प्रभारी से भी इसे लेकर बातचीत हुई है.”
चुनाव आयोग मुलाकात नहीं कर रही है वाले सवाल को लेकर उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग अलाद्दीन का चिराग है क्या? आर-पार की लड़ाई होगी. बिहार और बिहारी की अस्मिता के लिए जान भी देनी पड़ेगी तो देंगे.”
अरविंद केजरीवाल के बिहार चुनाव अकेले लड़ने को लेकर उन्होंने कहा, “यह अच्छी बात है, चुनाव लड़ना सबका अधिकार है. वे बिहार आकर चुनाव लड़ें.” केजरीवाल को लेकर पप्पू यादव ने कहा कि ‘रस्सी जल गई पर ऐंठन नहीं गई.’
बिहार में महज कुछ ही महीने बाद विधानसभा चुनाव होने हैं. बिहार की विपक्षी पार्टियों ने इस कदम की तीखी आलोचना की. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे ‘लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश’ बताया है.
उन्होंने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर लिखा है, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निर्वाचन आयोग को बिहार की समस्त मतदाता सूची को निरस्त कर केवल 25 दिन में 1987 से पूर्व के कागजी सबूतों के साथ नई मतदाता सूची बनाने का निर्देश दिया है. चुनावी हार की बौखलाहट में ये लोग अब बिहार और बिहारियों से मतदान का अधिकार छीनने का षड्यंत्र कर रहे हैं.”
वहीं, कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाया कि क्या 2003 के बाद से अब तक बिहार में चार-पांच चुनाव हो चुके हैं, क्या वे सब गलत हैं, अपूर्ण या अविश्वसनीय थे?
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वीकेयू/केआर
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