New Delhi, 9 अगस्त . अगस्त क्रांति दिवस के अवसर पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत छोड़ो आंदोलन के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके बलिदान को स्वतंत्रता के लिए भारत के सामूहिक संकल्प को प्रज्वलित करने वाली चिंगारी बताया.
प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “हम उन सभी बहादुर लोगों को गहरी कृतज्ञता के साथ याद करते हैं, जिन्होंने बापू के प्रेरक नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया. उनके साहस ने देशभक्ति की एक चिंगारी जलाई जिसने स्वतंत्रता की खोज में अनगिनत लोगों को एकजुट किया.”
महात्मा गांधी के नेतृत्व में 8 अगस्त, 1942 को शुरू हुआ भारत छोड़ो आंदोलन, भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण क्षण था. यह अंग्रेजों से तुरंत भारत छोड़ने का एक राष्ट्रव्यापी आह्वान था, जिसका नारा था ‘करो या मरो’.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी इस दिवस को याद करते हुए एक्स पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा, “अगस्त क्रांति भारतीय स्वाधीनता संग्राम का वह बिंदु है, जिसने स्वाधीनता के संघर्ष को और भी तीव्र बना दिया. वर्ष 1942 में महात्मा गांधी ने Mumbai के अगस्त क्रांति मैदान से ‘करो या मरो’ का नारा देकर ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ का आह्वान किया. इस क्रांति से अंग्रेजी शासन के विरुद्ध एक ऐसा जनआंदोलन खड़ा हुआ, जिससे ब्रिटिश हुकूमत दहशत में आ गई. इस ऐतिहासिक आंदोलन की वर्षगाँठ पर स्वतंत्रता संग्राम के सभी अमर सेनानियों को कोटिशः नमन.”
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भी श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, “सन 1942 में आज ही के दिन महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में देशवासियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत की थी. स्वतंत्रता संग्राम के प्रसिद्ध इस भारत छोड़ो आंदोलन के स्मरण दिवस पर आजादी के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले अमर बलिदानियों को शत-शत नमन.”
यूपी के Chief Minister योगी आदित्यनाथ ने एक्स पोस्ट में लिखा, “ब्रिटिश साम्राज्य की दमनकारी नीतियों के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी जनजागरण कर स्वतंत्रता की अलख जगाने वाले समस्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ (अगस्त क्रांति) की वर्षगांठ पर विनम्र श्रद्धांजलि! स्वाधीनता की वेदी पर अपने प्राण अर्पित करने वाले अमर शहीदों की गौरवगाथा, त्याग एवं बलिदान युगों-युगों तक राष्ट्र की चेतना को अभिवर्धित करता रहेगा. जय हिंद!”
अगस्त क्रांति दिवस, या भारत छोड़ो आंदोलन दिवस, 1942 में ऐतिहासिक आंदोलन की शुरुआत का स्मरण कराता है. यह क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद बढ़ती राष्ट्रीय हताशा की पृष्ठभूमि में उभरा, जो द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सहयोग प्राप्त करने में विफल रहा था.
महात्मा गांधी के ब्रिटिशों की तत्काल वापसी के आह्वान ने जनता को एकजुट किया, जिसके परिणामस्वरूप भारतीय इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण सविनय अवज्ञा आंदोलनों में से एक का जन्म हुआ.
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पीएसके
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