चंडीगढ़, 10 जुलाई . अभिनेता अन्नू कपूर ने महाराष्ट्र राज्य में हिंदी और मराठी विवाद के मुद्दे पर बड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है.
चंडीगढ़ में एक कार्यक्रम में मीडिया से बात करते हुए अभिनेता अन्नू कपूर ने कहा कि इस मामले में हिंसा निश्चित रूप से गलत और असंवैधानिक है और इसकी निंदा की जानी चाहिए. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई देश के किसी हिस्से में आजीविका के लिए बसता है, तो स्थानीय संस्कृति का सम्मान करना उसका कर्तव्य और ज़िम्मेदारी है, क्योंकि भाषा संस्कृति का आधार होती है.
उन्होंने मीडिया से कहा, “देरी से मिला न्याय, न्याय से इनकार के समान है. मैं आपको बता दूं कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारा देश विविधताओं वाला देश है. धर्म, भाषा और समुदाय को एक नहीं किया जा सकता. मैं अक्सर कहता हूं कि हम भारतीय ध्वज के नीचे एक हो सकते हैं. कुछ लोग सफेद देखेंगे, कुछ लोग केसरिया, कुछ लोग हरा. लेकिन, आपको हमारे पूरे ध्वज पर नजर रखनी चाहिए, क्योंकि यही हमारा भविष्य है. लेकिन हमारी भाषाएं अलग-अलग हैं.”
अभिनेता अन्नू कपूर ने एक उदाहरण देते हुए कहा कि यदि कोई व्यक्ति न्यूयॉर्क, पेरिस, लंदन, मिलान जाता है, तो यह जरूरी है कि वह वहां की भाषा बोले.
उन्होंने कहा, “अगर आपको बोलना नहीं आता, तो उसके लिए थप्पड़ खाना पूरी तरह से गैरकानूनी है. इसलिए जिन लोगों ने भाषा के नाम पर हिंसा की है, चाहे वो राज ठाकरे हों, बाल ठाकरे हों या कोई और, जो कानून तोड़ने की कोशिश करते हैं, हिंसा का सहारा लेते हैं, संविधान के खिलाफ जाते हैं और गैरकानूनी काम करते हैं, उन्हें कानून के तहत पर सजा मिलनी चाहिए.”
उन्होंने यह भी कहा कि यह एक राजनीतिक कदम है और इसमें शामिल लोग अपने उद्देश्य में सफल हो गए हैं, क्योंकि आज पूरा देश इस बारे में बात कर रहा है. वे यही चाहते थे. राजनेता खबरें चाहते हैं. वे चाहते हैं कि लोग उनके बारे में बात करे. और वे अकेले नहीं हैं. पूरे भारत और दुनिया भर के राजनेता यही चाहते हैं.
उन्होंने आगे कहा, “हिंसा गलत है, यह एक अपराध है. अपराधी को सजा देना कानून का काम है. न्याय में देरी न्याय से इनकार के समान है. और अगर न्याय से इनकार किया जाता है, तो न्याय अदालत में होता है.”
इस दौरान उन्होंने याद किया कि पिछले साल Mumbai में उनकी एक फिल्म विवादों में घिर गई थी, उन्होंने कहा, “मुस्लिम समुदाय, उलेमाओं ने आपत्ति जताई थी और कहा था कि वे अन्नू कपूर को मार देंगे. इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने मुझे सुरक्षा मुहैया कराई. जब मामला सुलझ गया, तो मैंने उनसे कहा कि मुझे अभी सुरक्षा नहीं चाहिए. लेकिन फिर मुझे बताया गया कि सुरक्षा हटाने के लिए आवेदन देना होगा.”
आपको बता दें, इस साल अप्रैल में महाराष्ट्र सरकार द्वारा स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य तीसरी भाषा बनाने के फैसले के बाद राज्य के बड़े शहरों में यह आंदोलन जोर पकड़ रहा था. इसी बीच महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही अपना निर्णय वापस ले लिया और शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने घोषणा की कि अब हिंदी वैकल्पिक विषय होगी तथा मराठी और अंग्रेजी प्राथमिकता वाली भाषाएं होंगी.
ताजा हंगामा Mumbai और पुणे में मराठी बोलने से इनकार करने वाले लोगों के खिलाफ मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही हिंसक कार्रवाई के मद्देनजर हुआ है.
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एकेएस/जीकेटी
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