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मराठी बनाम हिंदी विवाद पर प्रताप सरनाईक बोले, हम दोनों भाषा का सम्मान करते हैं

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मुंबई, 4 जुलाई . महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री और वरिष्ठ शिवसेना नेता प्रताप सरनाईक ने मराठी बनाम हिंदी विवाद पर कहा कि वो दोनों भाषाओं का सम्मान करते हैं. लेकिन, व्यापारियों के खिलाफ किसी भी तरह की जबरन वसूली या हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह सभी जाति-धर्म के व्यापारियों के साथ खड़े हैं और मराठी अस्मिता के नाम पर हिंदी भाषी व्यापारियों को निशाना बनाना गलत है. मैं मराठी हूं और मुझे अपनी भाषा पर गर्व है, लेकिन मैं हिंदी भाषी व्यापारियों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा या जबरन वसूली का समर्थन नहीं करता. मीरा-भायंदर और ठाणे में सभी समुदायों के व्यापारी मिलकर काम करते हैं. मेरे विधायक बनने में सभी समुदायों का योगदान रहा है, न कि केवल मराठी लोगों का.”

उन्होंने बताया कि वह चार बार ओवला-माजीवाड़ा से विधायक चुने गए हैं, जिसमें इस बार 1.08 लाख वोटों के अंतर से जीत हासिल की. उनकी जीत में हिंदी भाषी मतदाताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है.

मंत्री ने मराठी और हिंदी भाषी समुदायों के बीच तनाव को राजनीति से प्रेरित बताया. प्रताप सरनाईक ने कहा, “जब हिंदू मुद्दों की बात आती है, तो हम सभी एकजुट होकर अपनी श्रद्धा दिखाते हैं. लेकिन, जब वोटों की राजनीति शुरू होती है, तो कुछ लोग मराठी अस्मिता का मुद्दा उठाकर हिंदी भाषी व्यापारियों को निशाना बनाते हैं. यह गलत है. वह ऐसी राजनीति के खिलाफ हैं, जो मराठी और हिंदी भाषी समुदायों के बीच विभाजन पैदा करती है.”

प्रताप सरनाईक ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनावों के लिए इस तरह के मुद्दों को भड़काना ठीक नहीं है. महायुति गठबंधन मजबूत है और इस तरह के विवादों से उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

उन्होंने शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे का जिक्र करते हुए कहा कि जब भी मराठी लोग संकट में थे, तब शिवसेना और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनका साथ दिया. कुछ लोग मराठी अस्मिता के नाम पर राजनीति करते हैं, लेकिन यह केवल अस्थायी है और जनता इसका जवाब देगी.

उन्होंने व्यापारियों के हितों की रक्षा का वादा करते हुए कहा, “मैं 20 साल से विधायक हूं और मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने क्षेत्र के व्यापारियों का समर्थन करूं. जबरन वसूली या हिंसा के जरिए राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी.”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी भी सभा या मंच का हिस्सा बनने से पहले यह सुनिश्चित करेंगे कि वह मराठी और हिंदी भाषी समुदायों के बीच एकता को बढ़ावा दे.

एसएचके/एसके/जीकेटी

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