नई दिल्ली, 24 जून . ‘विश्व के नाथ’ यानी भोलेनाथ को सावन का महीना प्रिय है, जिसमें ‘पवन’ शोर करता है तो हरियाली, बारिश की बूंदों के बीच लोगों को ऐसा अहसास होता है, जैसे मन में ‘मोर’ नाच रहा हो. इस माह में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है. वहीं, सेहत के लिहाज से भी ये काफी खास है. सावन में महिलाओं के द्वारा मेहंदी लगाने की परंपरा है, जिसका केवल सौंदर्य से जुड़ाव नहीं है, बल्कि इसके पीछे गहरे धार्मिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं.
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में सावन को भगवान शिव और माता पार्वती का प्रिय महीना माना जाता है. ‘स्कंद पुराण’ और ‘शिव पुराण’ में वर्णित है कि माता पार्वती ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था. धार्मिक मान्यता है कि भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए माता पार्वती ने मेहंदी लगाया था. ऐसे में मान्यता है कि सावन में मेहंदी लगाने और माता पार्वती, भगवती को चढ़ाने से पति-पत्नी का रिश्ता मजबूत होता है. कहते हैं कि महिला के हाथों में लगी मेहंदी का रंग जितना गहरा होता है, उतना ही पति का प्रेम बढ़ता है. वहीं मान्यता है कि इस महीने में मेहंदी चढ़ाने और लगाने से देवी पार्वती प्रसन्न होती हैं.
मेहंदी को शुभता और प्रेम के साथ सौभाग्य का भी प्रतीक माना जाता है. सावन में मेहंदी माता पार्वती की भक्ति और सुहाग की कामना का प्रतीक है. खासकर हरियाली तीज और सावन के सोमवार पर महिलाएं मेहंदी लगाकर अपने पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन की प्रार्थना करती हैं. कहते हैं कि हाथों और पैर में मेहंदी न लगे तो सुहागन महिलाओं का सोलह श्रृंगार अधूरा माना जाता है.
सावन में मेहंदी लगाना धर्म और सेहत का सुंदर संगम है. यह भक्ति का रंग है, जो माता पार्वती के प्रेम और तप को दिखाता है और आयुर्वेद का वरदान है, जो शरीर को स्वस्थ रखता है. यह केवल एक रंग नहीं, बल्कि परंपरा, आस्था और सेहत का अनमोल उपहार है.
केवल सौभाग्य, सुंदरता या धार्मिक महत्व से ही नहीं मेहंदी सेहत के लिहाज से भी गुणों की खान है. आयुर्वेद में मेहंदी को औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है. ‘चरक संहिता’ और ‘सुश्रुत संहिता’ जैसे ग्रंथों में मेहंदी के ठंडक और रोगनाशक गुणों का उल्लेख है. मेहंदी की तासीर ठंडी होती है, जो गर्मी के मौसम में होने वाली समस्याओं को कम करने या राहत देने में कारगर है. पत्तियों में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-फंगल गुण होते हैं, जो त्वचा को संक्रमण से बचाते हैं.
सावन में नमी के कारण त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं. मेहंदी की ठंडी तासीर त्वचा को शीतलता प्रदान करती है. यह तनाव को कम करने और रक्त संचार को बेहतर बनाने में भी मदद करती है. मेहंदी लगाने से शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है, जो सावन की उमस भरी गर्मी में राहत देता है. इसकी खुशबू भी मन को राहत देती है.
मेहंदी लगाने के और भी गुणों का उल्लेख मिलता है. यह सिरदर्द, अनिद्रा और त्वचा की जलन को कम करने में भी कारगर है. मेहंदी में ‘लॉसन’ नामक रासायनिक तत्व पाए जाते हैं, जो त्वचा को पोषण देते हैं और घावों को ठीक करने में मददगार हैं. वहीं, मेहंदी के तेल का उपयोग जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने के लिए भी किया जाता है. सावन में मेहंदी लगाने से न केवल मन प्रसन्न होता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है.
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एमटी/जीकेटी
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