पटना, 9 जुलाई . भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने Wednesday को पटना में मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्षी दलों ने आज वोटर लिस्ट रिवीजन के मुद्दे पर बिहार बंद बुलाया. Lok Sabha में नेता विपक्ष राहुल गांधी और राजद नेता तेजस्वी यादव समेत सभी नेता सड़कों पर घूम रहे हैं और ये उनका अधिकार है.
प्रसाद ने कहा कि सबसे पहले तो यह समझना जरूरी है कि देश में सांसद या विधायक कौन बनेगा? इसका फैसला वोटर करते हैं. वोट वही डाल सकता है, जो भारत का नागरिक हो, जिसकी उम्र 18 साल या उससे अधिक हो और जो सामान्य रूप से उस स्थान का निवासी हो, जहां से वह वोट डालता है. इसलिए वोटर लिस्ट का पुनरीक्षण हो रहा है तो इसमें विपक्षी दलों को किस बात की परेशानी है? दूसरी और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन सभी लोगों ने Supreme court का दरवाजा खटखटाया है, जोकि उनका अधिकार है.
रविशंकर प्रसाद ने राजद, कांग्रेस समेत विपक्षी पार्टियों से सवाल पूछे कि ये लोग यह तो अदालत पर भरोसा करें या फिर सड़कों पर. जब Supreme court में Thursday को ही सुनवाई होनी है तो आज विपक्ष सड़क पर उतरकर दबाव बनाने की राजनीति क्यों कर रहा है? क्या ये चाहते हैं कि वोटर लिस्ट में ऐसे लोग बने रहें, जिन्हें उसमें होना नहीं चाहिए, जैसे घुसपैठिए? क्या यह सच्चाई नहीं है कि कई बार रोहिंग्या या अन्य लोग गलत तरीके से वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवा लेते हैं? जब पूरी ईमानदारी से काम हो रहा है तो आपत्ति किस बात की है? संकेत साफ है, जो लोग अवैध रूप से वोटर लिस्ट में शामिल हो गए हैं, उनके जरिए ये राजनीति करना चाहते हैं. सीधी बात यह है कि इन्हें लगता है कि वे बिहार चुनाव नहीं जीत पाएंगे, ठीक वैसे ही जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली में हार का सामना करना पड़ा.
उन्होंने कहा कि देश के सामने यह बात रखनी जरूरी है कि आखिर यह किस प्रकार की राजनीति है? राजद, कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों का यह पूरा रवैया गंभीर सवाल खड़े करता है. अब जहां तक तथ्यात्मक जानकारी की बात है तो बिहार में 7 करोड़ 90 लाख वोटर हैं. इनमें से 4 करोड़ लोगों ने एन्यूमरेशन फॉर्म भरकर जमा कर दिए हैं. यानी 50 प्रतिशत से अधिक लोग हिस्सा ले चुके हैं और अभी 16 दिन बाकी हैं. यह कार्य प्रगति पर है और तेजी से हो रहा है. जहां तक दस्तावेज की बात है तो चुनाव आयोग ने स्पष्ट रूप से कहा है कि 2003 तक जिनका नाम वोटर लिस्ट में है, उन्हें कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उस समय गहन पुनरीक्षण हुआ था. आज देश में 50 करोड़ से अधिक लोगों के बैंक अकाउंट हैं, सबके पास पेंशन, स्कूल सर्टिफिकेट जैसे दस्तावेज हैं. ये सब प्रमाण होते हैं. बिहार में 1 लाख बूथ हैं और 4 लाख बीएलओ इस कार्य में लगे हुए हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित की जाएगी, जिसमें सुधार के लिए समय दिया जाएगा. अगर किसी को आपत्ति है तो वह सुनवाई के लिए आवेदन कर सकता है. अगर कोई रिटर्निंग ऑफिसर के निर्णय से असंतुष्ट है तो वह जिला कलेक्टर के पास अपील कर सकता है. वहां भी संतोष न हो तो राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील का विकल्प है. यह पूरी प्रक्रिया सार्वजनिक रूप से बार-बार बताई गई है. सवाल यह है कि ये लोग क्या चाहते हैं? कभी ये कहते हैं कि चुनाव आयोग ठीक काम नहीं कर रहा, वोटर लिस्ट सही नहीं है. कभी ये ईवीएम पर सवाल उठाते हैं तो अब मतदाता गहन पुनरीक्षण पर सवाल उठा रहे हैं. आज जब एक गहन और पारदर्शी पुनरीक्षण प्रक्रिया चल रही है और 50 प्रतिशत से अधिक लोगों ने अपनी इच्छा से फॉर्म भर दिए हैं, तब भी इनको आपत्ति आखिर क्यों है?
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डीकेपी
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