छपरा, 14 जुलाई . बिहार का हरिहर नाथ मंदिर शायद देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां गर्भगृह में एक ही साथ भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा होती है. सारण जिले के सोनपुर में गंडक और गंगा के तट पर स्थित यह मंदिर आम से लेकर खास शैव और वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है.
हरिहरनाथ मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखता है. श्रावण माह में इस मंदिर की महिमा और भी बढ़ जाती है, जब हजारों की संख्या में शिवभक्त यहां जलाभिषेक और दर्शन के लिए पहुंचते हैं. गंगा और गंडक नदियों के संगम पर बसे सोनपुर स्थित यह मंदिर भगवान शिव और विष्णु की संयुक्त आराधना का प्रतीक है. बताया जाता है कि बाबा हरिहर नाथ ऐसा शिवालय है, जहां स्थापित शिवलिंग के आधे भाग में शिव (हर) और आधे भाग में विष्णु (हरि) का निवास है. एक ही गर्भगृह में विराजे दोनों देव एक साथ हरिहर कहलाते हैं.
मान्यता है कि हरिहरनाथ मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान श्रीराम ने करवाया था. कहा जाता है कि श्रीराम ने यहां अहिल्या उद्धार के पश्चात विश्राम किया और फिर शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की. एक अन्य मान्यता के अनुसार, इसकी स्थापना स्वयं ब्रह्मा ने शैव और वैष्णव संप्रदाय को एक-दूसरे के पास लाने के लिए की थी. गज-ग्राह की पुराण कथा भी प्रमाण है. इसी स्थान पर लंबे संघर्ष के बाद शैव और वैष्णव मतावलंबियों का संघर्ष विराम हुआ था. इस क्षेत्र में शैव और वैष्णव संप्रदाय के लोग एक साथ कार्तिक पूर्णिमा का स्नान और जलाभिषेक करते हैं.
बताया जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब के शासनकाल में यह मंदिर क्षतिग्रस्त हुआ, जिसे राम नारायण ने 18वीं शताब्दी में फिर से बनवाया.
मंदिर के पुजारी सुशील चन्द्र शास्त्री ने समाचार एजेंसी को बताया कि भगवान शिव के अत्यंत प्रिय महीने श्रावण माह में इस मंदिर की रौनक बढ़ जाती है. दूर-दराज से श्रद्धालु यहां जल लेकर पहुंचते हैं और हर-हर महादेव के जयकारों से मंदिर परिसर गूंज उठता है.
मंदिर समिति के अनुसार, हर साल लाखों शिवभक्त यहां जल अर्पण करते हैं. वर्तमान में मंदिर के प्रबंधन की जिम्मेदारी बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अधीन है. सुरक्षा और व्यवस्था को देखते हुए श्रावण मास में यहां विशेष व्यवस्था की जाती है.
मंदिर के पुजारी और भक्तों के अनुसार, यह मनोकामना मंदिर है. पुजारी बताते हैं कि यहां पहुंचकर पूजा अर्चना करने पर अद्भुत ऊर्जा मिलती है. भक्तों को लगता है कि यहां दोनों देवों से शक्ति मिलती है. भगवान विष्णु को सृष्टि का पालक और भगवान शिव को संहार करने वाला देव माना जाता है, ऐसे में भक्तों को लगता है कि एक मंदिर पहुंचकर दोनों देव खुश हो जाते हैं.
हरिहरनाथ मंदिर सिर्फ धार्मिक कारणों से नहीं, बल्कि सांस्कृतिक रूप से भी चर्चित है. यहीं पर प्रत्येक वर्ष सोनपुर मेला लगता है, जो एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है. श्रावण माह में मंदिर और संगम तट दोनों ही स्थानों पर धार्मिक अनुष्ठान, भजन-कीर्तन, और महादेव की विशेष झांकी का आयोजन होता है. श्रद्धा, भक्ति और पौराणिक इतिहास का यह संगम आज भी सोनपुर को बिहार के धार्मिक मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान दिलाता है.
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एमएनपी/पीएसके
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