उदयपुर. पेंशन प्रकरण भेजने के एवज में रिश्वत लेने के मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संख्या-2 की विशिष्ट न्यायाधीश संदीप कौर ने पेंशन विभाग उदयपुर के तत्कालीन लेखाकार को दोषी मानते हुए एक साल का कारावास और जुर्माना सुनाया.
वनाला सुरपुर निवासी धुलीराम गुर्जर, सहायक कलेक्टर कार्यालय बांसवाड़ा से सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं. उन्होंने 21 अगस्त 2009 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, उदयपुर में शिकायत दी थी. शिकायत में बताया गया कि उनका पेंशन प्रकरण 26 मार्च 2009 को संयुक्त निदेशक, पेंशन विभाग उदयपुर को भेजा गया था.
इस दौरान वह पेंशन विभाग के तत्कालीन लेखाकार चंद्र नारायण वशिष्ठ पुत्र स्व. फणींद्र नारायण, निवासी आदर्शनगर, यूनिवर्सिटी रोड, उदयपुर से मिले. आरोप है कि वशिष्ठ ने पेंशन प्रकरण आगे बढ़ाने के लिए “खर्चे पानी” के नाम पर रुपये मांगे.
शुरुआत में उन्हें 500 रुपये दिए गए, लेकिन आरोपी ने कहा कि इतने से काम नहीं होगा और 5,000 रुपये की मांग की. बाद में दोनों के बीच 4,000 रुपये पर सहमति बनी.
सत्यापन के बाद एसीबी टीम ने चंद्र नारायण वशिष्ठ को चार हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषी ठहराया और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 5 के तहत एक साल कारावास व 10 हजार रुपये जुर्माना, तथा धारा 13(1)(डी)/13(2) के तहत भी एक साल कारावास और 10 हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनाई.
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