अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बीच विवाद लगातार गहराता जा रहा है। इसी बीच ट्रंप प्रशासन ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया है, जिसके अनुसार फिलहाल हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी छात्रों का दाखिला रोक दिया गया है। इस कदम का असर न केवल भारतीय बल्कि दुनियाभर के हज़ारों छात्रों पर पड़ सकता है जो हर साल अमेरिका की इस नामी यूनिवर्सिटी में शिक्षा प्राप्त करने आते हैं।
आंतरिक सुरक्षा विभाग का निर्देश: एडमिशन पर रोक
न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी आंतरिक सुरक्षा विभाग (DHS) की सचिव क्रिस्टी नोएम ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को एक पत्र भेजा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा है, “मैं आपको सूचित करती हूं कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के छात्र और शैक्षणिक आदान-प्रदान प्रवेश कार्यक्रम का प्रमाणन तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया गया है।” यह कदम प्रशासन द्वारा उठाए गए उन निर्णयों का हिस्सा है, जिसके तहत विदेशी छात्रों की एंट्री को सीमित किया जा रहा है।
788 भारतीय छात्र होंगे प्रभावित
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, हर वर्ष करीब 500 से 800 भारतीय छात्र यहां एडमिशन लेते हैं। वहीं कुल मिलाकर लगभग 6800 अंतरराष्ट्रीय छात्र हार्वर्ड में पढ़ते हैं। इस वर्ष 788 भारतीय छात्रों को एडमिशन मिला था, लेकिन अब इनका भविष्य अधर में लटक गया है। प्रशासन द्वारा विदेशी छात्रों को विकल्प दिया गया है—या तो वे किसी अन्य अमेरिकी संस्थान में ट्रांसफर लें या फिर अपने अमेरिका में रहने के वैध दर्जे (लीगल स्टेटस) को गंवा दें। इससे यह स्पष्ट है कि अगर छात्र किसी दूसरे कॉलेज में दाखिला नहीं लेते हैं, तो उन्हें अमेरिका छोड़ना पड़ सकता है।
मौजूदा छात्रों को राहत
हालांकि, हार्वर्ड में पहले से पढ़ रहे छात्रों के लिए थोड़ी राहत की खबर है। जो छात्र वर्तमान सेमेस्टर पूरे कर चुके हैं, वे अपनी पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। डीएचएस सचिव क्रिस्टी नोएम के पत्र में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ट्रंप सरकार द्वारा किए गए ये बदलाव 2025-26 के स्कूल ईयर से लागू होंगे। इसका मतलब है कि फिलहाल की स्थिति में मौजूदा छात्रों को निकट भविष्य में कोई बड़ी रुकावट नहीं होगी।
हार्वर्ड और ट्रंप सरकार के बीच टकराव क्यों?
हार्वर्ड और ट्रंप प्रशासन के बीच लंबे समय से तनाव चल रहा है। ट्रंप प्रशासन विश्वविद्यालय को अपनी नीतियों के अनुरूप ढालना चाहता है, लेकिन हार्वर्ड इसके लिए तैयार नहीं है। यूनिवर्सिटी पर यह आरोप लगाया गया था कि वह यहूदी विरोधी घटनाओं को रोकने में विफल रही है। अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि यहूदी छात्रों और शिक्षकों के साथ भेदभाव किया गया है। अब जब ट्रंप सरकार ने विदेशी छात्रों को लेकर यह सख्त फैसला लिया है, तो इसे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी पर राजनीतिक और वैचारिक दबाव बनाने के रूप में देखा जा रहा है।
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