अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने एक निर्णायक मोड़ ले लिया है। रविवार को अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर अचानक हमला किया, जिससे पश्चिम एशिया में हालात और भड़क गए। अब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने खुलासा किया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यह फैसला अचानक और आखिरी पलों में लिया। उन्होंने यह भी बताया कि क्यों ट्रंप को इजरायल-ईरान युद्ध में हस्तक्षेप करना पड़ा।
अंतिम क्षणों में लिया गया हमला करने का फैसला
जेडी वेंस ने एनबीसी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान पर हमले का फैसला हमले से सिर्फ कुछ मिनट पहले ही किया था। उन्होंने कहा कि ट्रंप के पास आखिरी क्षण तक विकल्प था कि वह इस कार्रवाई को रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने हमला करने का निर्देश दिया। इस हमले में अमेरिका ने बंकर बस्टर बमों का इस्तेमाल किया, जिससे ईरान के संवेदनशील परमाणु ठिकानों को भारी नुकसान हुआ।
डिप्लोमेटिक प्रयासों की विफलता के बाद बदला रुख
वेंस ने कहा कि अमेरिका ने पहले ईरान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई के लिए दो हफ्ते की समय-सीमा तय की थी। इस दौरान अमेरिका लगातार कूटनीतिक प्रयासों में लगा रहा। अमेरिकी राजदूत स्टीव विटकॉफ बातचीत में जुटे थे, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकला। अंततः रक्षा सचिव पीट हेजसेथ को सैन्य कार्रवाई की मंजूरी दी गई।
इजरायल पर बढ़ते हमलों ने बदली अमेरिकी नीति
इस पूरे घटनाक्रम के पीछे एक बड़ा कारण इजरायल पर ईरानी हमलों का बढ़ना भी है। ट्रंप प्रशासन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि अगर ईरान इजरायल पर हमले बंद नहीं करता, तो अमेरिका हस्तक्षेप करेगा। जब ईरान पीछे नहीं हटा, तो अमेरिका ने प्रत्यक्ष सैन्य कार्रवाई का रास्ता अपनाया। ट्रंप ने दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश की है कि अमेरिका अपने सहयोगियों की सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।
ईरान की तीखी प्रतिक्रिया और बढ़ती आशंका
अमेरिका के इस हमले के बाद ईरान में गुस्से की लहर दौड़ गई है। ईरानी प्रशासन ने न सिर्फ इजरायल पर हमले और तेज कर दिए हैं, बल्कि अब अमेरिका के खिलाफ भी तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। जेडी वेंस ने कहा कि अमेरिका अब बारीकी से निगरानी कर रहा है कि ईरान आगे क्या कदम उठाता है – खासकर क्या वह अमेरिकी सैनिक ठिकानों को निशाना बनाता है।
ट्रंप की रणनीति पर विपक्ष के सवाल
हालांकि ट्रंप के इस कदम पर अमेरिका में अंदरूनी सियासत भी गरमा गई है। विपक्षी नेता इसे एक खतरनाक निर्णय बता रहे हैं, जो पश्चिम एशिया को युद्ध की आग में झोंक सकता है। कई विश्लेषक यह भी मानते हैं कि यह फैसला ट्रंप की आगामी चुनावी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, जिसमें वह अपनी “मजबूत नेता” वाली छवि को दोबारा स्थापित करना चाहते हैं।
क्या अमेरिका और ईरान आमने-सामने होंगे?
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह हमला अमेरिका और ईरान के बीच पूर्ण युद्ध का संकेत है? विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ईरान ने अमेरिकी हितों पर जवाबी हमला किया, तो यह संघर्ष तेजी से और व्यापक रूप ले सकता है। अमेरिकी प्रशासन लगातार क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ संपर्क में है और सैन्य तैयारियां तेज कर दी गई हैं।
ईरान पर अमेरिकी हमले ने दुनिया भर को चौंका दिया है, लेकिन जेडी वेंस के खुलासों ने यह साफ कर दिया है कि यह फैसला अचानक नहीं, बल्कि एक लंबे असफल कूटनीतिक प्रयास के बाद लिया गया। अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजर इस बात पर टिकी है कि क्या यह टकराव और बढ़ेगा या फिर कोई नई सुलह की उम्मीद जगेगी।
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