एनसीईआरटी (NCERT) के नए शैक्षणिक मॉड्यूल में देश के बंटवारे को लेकर किए गए उल्लेख ने सियासी हलचल मचा दी है। इस मॉड्यूल में कांग्रेस और मोहम्मद अली जिन्ना को भारत के विभाजन का प्रमुख कारण बताया गया है। वहीं, एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि किसी एक वर्ग को बंटवारे का दोषी ठहराना ऐतिहासिक तथ्यों के साथ अन्याय है।
मॉड्यूल में क्या लिखा गया है?
एनसीईआरटी के सेकेंडरी स्टेज मॉड्यूल में कहा गया है कि देश के बंटवारे के पीछे तीन प्रमुख कारण थे। पहला, मोहम्मद अली जिन्ना, जिन्होंने मुसलमानों के लिए अलग देश की मांग की। दूसरा, कांग्रेस, जिसने जिन्ना की मांग को स्वीकार कर लिया। और तीसरा, तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन, जिन्होंने इस प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया। इस मॉड्यूल में यह भी कहा गया है कि भारत के नेताओं के पास उस समय शासन का अनुभव कम था। सेना, पुलिस और प्रशासनिक तंत्र की समझ की कमी के चलते उन्हें अंदाजा नहीं था कि विभाजन का फैसला कितनी बड़ी त्रासदी ला सकता है।
विपक्ष का आक्रोश
कांग्रेस और विपक्षी दलों ने इस चैप्टर को पक्षपातपूर्ण करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसी किताब को आग लगा देनी चाहिए। उनका कहना है कि देश का बंटवारा केवल जिन्ना और कांग्रेस की वजह से नहीं हुआ, बल्कि इसके पीछे मुस्लिम लीग और हिंदू महासभा की नीतियां भी जिम्मेदार थीं। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि एनसीईआरटी का यह संस्करण छात्रों के बीच गलत इतिहास प्रस्तुत करने का प्रयास है।
बीजेपी की दलील
दूसरी ओर, बीजेपी ने इस विवाद को अलग तरीके से पेश किया है। पार्टी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि भारत का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ था। उन्होंने कांग्रेस और राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा कि “राहुल गांधी और जिन्ना की सोच में कोई अंतर नहीं है।”
ओवैसी का पलटवार
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पूरे विवाद में अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मुसलमानों को बंटवारे के लिए जिम्मेदार ठहराना सरासर गलत है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर छात्रों को सही इतिहास पढ़ाना ही है तो शम्सुल इस्लाम की किताब Muslims Against Partition को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। ओवैसी ने सवाल उठाया कि जो मुसलमान भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए, वे तो चले ही गए, लेकिन जो वफादार नागरिक भारत में रह गए, उन्हें कैसे दोषी ठहराया जा सकता है?
विभाजन की विभीषिका
मॉड्यूल में साफ तौर पर उल्लेख किया गया है कि विभाजन के परिणाम अत्यंत भयावह थे। करीब 1.5 करोड़ लोग विस्थापित हुए, लाखों की जानें गईं और अनगिनत परिवार हिंसा का शिकार बने। यह त्रासदी आज भी भारतीय समाज के लिए गहरे जख्म की तरह है। इसमें यह भी कहा गया है कि बंटवारे के परिणामस्वरूप कश्मीर की सांप्रदायिक राजनीति और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद ने जन्म लिया। पाकिस्तान ने कश्मीर पर कब्जा करने के लिए तीन युद्ध भी लड़े, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली और अंततः आतंकवाद ही उसकी पहचान बन गया।
विवाद क्यों गहराया?
यह मॉड्यूल नियमित सिलेबस का हिस्सा नहीं है, बल्कि एक वैकल्पिक अध्ययन सामग्री है। इसके बावजूद इसमें जिन्ना और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराए जाने ने राजनीतिक दलों और इतिहासकारों के बीच तीखी बहस छेड़ दी है। विपक्ष का कहना है कि यह कदम बच्चों के मन में विकृत इतिहास बैठाने की कोशिश है, जबकि समर्थकों का मानना है कि यह छात्रों को वास्तविक घटनाओं से परिचित कराने का प्रयास है।
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