12 जून का दिन भारत के विमानन इतिहास में एक दर्दनाक दास्तां बन गया। इस दिन एक भयावह विमान हादसे में 270 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। हादसे की खबर मिलते ही पूरे देश में कोहराम मच गया। विमान में सवार लोगों के परिजन उम्मीदों की डोर थामे बैठे थे कि शायद कोई चमत्कार हो जाए और उनके अपने सुरक्षित मिल जाएं। लेकिन हकीकत ने कई परिवारों के चेहरे से मुस्कान छीन ली।
इस दर्दनाक हादसे के बाद परिजनों को अपनों के शवों के लौटने का लंबा और भावनात्मक इंतज़ार करना पड़ा। डीएनए जांच की पेचीदा प्रक्रिया के बाद जब शव सौंपे गए, तो कुछ शवों के अवशेष अब भी घटनास्थल पर रह गए थे। इन बचे हुए हिस्सों को गुजरात सरकार ने बेहद संवेदनशीलता और सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी।
सरकार ने निभाई ज़िम्मेदारी, परिजनों ने दी अनुमति
अहमदाबाद प्रशासन ने घटनास्थल का बारीकी से सर्वेक्षण कराया और कुछ और अवशेष बरामद किए गए। डीएनए मिलान के बाद मृतकों की पहचान सुनिश्चित हुई। सरकार ने मृतकों के परिवारों से संपर्क किया और जब उनसे अंतिम संस्कार की अनुमति मिली, तो यह जिम्मेदारी पूरी संवेदनशीलता से निभाई गई।
इस अंतिम संस्कार में अस्पताल अधीक्षक, फॉरेंसिक मेडिसिन विभाग के एचओडी, मेडिकल ऑफिसर, रेजिडेंट डॉक्टर्स और पुलिसकर्मी मौजूद रहे। यह केवल एक प्रक्रिया नहीं, बल्कि उन आत्माओं को सम्मान देने का एक भावुक प्रयास था।
26 अवशेषों में से 7 ले गए परिजन, 19 का सरकार ने किया संस्कार
गुजरात स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, डीएनए सैंपलिंग के दौरान परिजनों को यह बताया गया था कि भविष्य में और अवशेष मिलने की संभावना है। जब 26 नए अवशेष मिले, तो उनमें से 7 के परिजन उन्हें लेने आए। बाकी बचे 19 अवशेषों का अंतिम संस्कार सरकार द्वारा किया गया।
धार्मिक मान्यताओं का भी रखा गया पूरा ध्यान
इन 19 में से 18 शवों का अंतिम संस्कार हिंदू रीति-रिवाज से किया गया, जबकि एक अवशेष मुस्लिम धर्म मानने वाले का था। प्रशासन ने धार्मिक परंपराओं का सम्मान करते हुए उसे दफनाया। यह निर्णय न केवल प्रशासन की संवेदनशीलता को दर्शाता है, बल्कि विविधताओं में एकता की भावना को भी उजागर करता है।
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