संसद के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को लोकसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले पर विशेष चर्चा होने जा रही है। इस महत्वपूर्ण बहस को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस पार्टी ने अपने सभी सांसदों को तीन दिन तक सदन में अनिवार्य उपस्थिति के लिए व्हिप जारी कर दिया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, विपक्षी गठबंधन की ओर से इस चर्चा का नेतृत्व कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई करेंगे।
इस बहस में सत्तारूढ़ एनडीए और विपक्ष के बीच तीखी बहस की संभावना जताई जा रही है, क्योंकि दोनों ही पक्ष राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति जैसे गंभीर विषयों को लेकर आमने-सामने हैं। अनुमान है कि भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए और विपक्ष दोनों अपने प्रमुख नेताओं को इस बहस में उतारने के लिए कमर कस चुके हैं।
सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार की ओर से गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर संसद में सरकार का पक्ष रख सकते हैं। इसके साथ ही कयास लगाए जा रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आतंकवाद के खिलाफ सरकार की नीति और निर्णयों को लेकर सदन में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
मानसून सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ गया था, लेकिन अब विपक्ष इस बहस के जरिए सरकार पर राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति अपना रहा है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, राज्यसभा में मल्लिकार्जुन खड़गे और सपा प्रमुख अखिलेश यादव समेत कई वरिष्ठ नेता सरकार को घेरने की योजना में शामिल हैं।
दोनों सदनों में सहमति बनी बहस पर
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने हाल ही में जानकारी दी थी कि विपक्ष और सत्ता पक्ष ने 25 जुलाई को इस बात पर सहमति जताई है कि सोमवार को लोकसभा और मंगलवार को राज्यसभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम हमले पर चर्चा की जाएगी। दोनों सदनों में 16-16 घंटे तक चर्चा होगी, जो सामान्य समय सीमा से अधिक है। यह दर्शाता है कि इस विषय को गंभीरता से लिया जा रहा है।
इस बहस में सरकार की ओर से अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी और निशिकांत दुबे जैसे प्रभावशाली नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। इसके अलावा उन बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्य भी चर्चा में भाग लेंगे, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के पक्ष में 30 से अधिक देशों का दौरा किया था। इनमें शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जदयू के संजय झा और टीडीपी के हरीश बालयोगी जैसे नाम शामिल हैं।
शशि थरूर की भूमिका को लेकर चर्चा तेज
एक अन्य दिलचस्प पहलू यह है कि क्या कांग्रेस सांसद शशि थरूर को पार्टी द्वारा वक्ता के रूप में चुना जाएगा। थरूर ने हाल ही में अमेरिका सहित कई देशों में भारत की स्थिति स्पष्ट करने के लिए सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था। उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया था, जिससे पार्टी के भीतर उनका रुख विवादास्पद बन गया है।
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि कांग्रेस उन्हें सदन में बोलने का मौका देती है या नहीं। थरूर की संभावित भूमिका बहस को नया मोड़ दे सकती है।
खुफिया चूक और अमेरिका-पाकिस्तान विवाद पर हमला बोलेगा विपक्ष
विपक्ष की योजना है कि वह इस बहस के माध्यम से सरकार को खुफिया तंत्र की विफलताओं और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता के दावे को लेकर घेर सके। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक शामिल थे। इस हमले को लेकर सरकार पर सुरक्षा खामियों का आरोप लगाया जा रहा है।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत हुई सैन्य कार्रवाई को लेकर विपक्ष सरकार से जवाब मांग रहा है कि क्या वह कार्रवाई पर्याप्त थी और क्या विदेश नीति के मोर्चे पर भारत ने सही रणनीति अपनाई।
सदन में आज की बहस बेहद संवेदनशील और राजनीतिक रूप से निर्णायक मानी जा रही है। दोनों पक्षों की सक्रियता और तैयारियों से संकेत मिलता है कि यह चर्चा संसद के मानसून सत्र की सबसे अहम बहसों में से एक हो सकती है।
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