देश की सर्वोच्च न्यायपालिका यानी सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर सोमवार (6 अक्टूबर) को किसी वकील द्वारा जूता फेंकने की कोशिश ने पूरे देश को हिला कर रख दिया। यह घटना न्यायिक इतिहास में शायद पहली बार हुई है और इसे गंभीर गंभीरता से देखा जा रहा है।
इस मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया है। विपक्ष ने सत्ताधारी पार्टी को घेरा है, जबकि पूरे देश में संविधान और न्यायपालिका की सुरक्षा को लेकर बहस तेज हो गई है।
संजय राउत ने जताई कड़ी नाराजगी
शिवसेना यूबीटी के सांसद संजय राउत ने इस घटना पर बीजेपी नेतृत्व को सीधे कटघरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा, “भूषण रामकृष्ण गवई कोई मामूली न्यायाधीश नहीं हैं। वे भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं और देश में संवैधानिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण पद पर विराजमान हैं। फिर भी, कुछ सरफिरे लोग उन पर हमला करने की कोशिश करते हैं।”
आईएएनएस को दिए बयान में संजय राउत ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और RSS प्रमुख मोहन भागवत की ओर से इस गंभीर मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई, जो सत्ता में बैठे लोगों की संवेदनशीलता पर सवाल खड़ा करता है।
राउत ने जोर देकर कहा कि जूता फेंकने का यह कृत्य केवल व्यक्ति पर हमला नहीं, बल्कि हमारे संविधान और न्यायपालिका पर हमला है। उनका कहना था कि सत्ता में वही लोग हैं जो संविधान का सम्मान नहीं करते और उनके ही समर्थक ऐसे कृत्य कर रहे हैं। उन्होंने चेताया कि यह घटना न्यायपालिका की गरिमा और लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है और पूरे देश को इससे सबक लेना चाहिए।
बिहार चुनाव पर भी गंभीर टिप्पणी
संजय राउत ने आगामी बिहार विधानसभा चुनाव पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जिस तरह तेजस्वी यादव और राहुल गांधी ने वोट अधिकार यात्रा निकाली, उसने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार के सामने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। राउत ने आरोप लगाया कि कुछ लोग एक ही घर में 100 लोगों को वोटर बनाकर लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
राउत ने चेतावनी दी कि मोदी सरकार 75 लाख महिलाओं के वोट खरीदने का प्रयास कर सकती है और यह प्रक्रिया लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। उनका कहना था कि सत्ता और चुनाव प्रणाली पर नियंत्रण रखने वाले लोग लगातार जनता के अधिकारों के साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि लोकतंत्र की मजबूती इसी में है कि संविधान और न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा सभी राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी बनती है।
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