द्रास (करगिल): ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के मिलिट्री और सिविलियंस ठिकानों को निशाना बनाने के लिए कारगिल में भी पाकिस्तानी ड्रोन आए थे। लेकिन इस बार भारतीय सेना पूरी तरह तैयार थी। करगिल की ऊंची चोटियों में सेना ने अपनी एयर डिफेंस गन पहुंचा दी थी और आर्टिलरी के पास मौजूद स्मॉल आर्म्स से भी पाकिस्तानी ड्रोन को निशाना बनाया गया।
जो पहले होती थी विंटर वेकेटेड पोस्ट
1999 में पाकिस्तान यहां इसलिए घुसपैठ कर पाया था क्योंकि तब तक इन ऊंचाइयों पर भारतीय सेना की जो पोस्ट हैं वो सर्दियों में खाली कर दी जाती थीं, जिन्हें विंटर वेकेटेड पोस्ट कहते थे। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने इससे ठीक पहले सर्दियों में घुसपैठ की। लेकिन कारगिल युद्ध के बाद अब कोई भी पोस्ट विंटर वेकेटेड नहीं हैं। साल भर यहां सैनिकों की तैनाती रहती है। उसका असर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी दिखा जब पाकिस्तान की किसी भी कोशिश को सेना ने सफल नहीं होने दिया।
17-18 हजार फीट की ऊंचाई पर सभी इंतजाम
कारगिल का युद्ध 17-18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था। अब साल भर सैनिक यहां निगरानी करते हैं और जो पोस्ट पहले खाली कर दी जाती थीं वहां भी तैनात रहते हैं। यहां सैनिकों को रहने में दिक्कत ना आए इसके लिए भी इंतजाम किए गए।
सैनिकों के लिए स्पेशल इंतजामअब सैनिकों के रहने के लिए स्पेशल हाई ऑल्टिट्यूट टेंट हैं और स्पेशल विंटर क्लोदिंग है। जो माइनस 40 से माइनस 50 डिग्री में भी सैनिकों को कंफर्ट देते हैं। यहां सैनिकों रहने के लिए स्मार्ट कैंप बने हैं, जहां बिजली का इंतजाम है और पानी के साथ जगह को गर्म रखने की भी सुविधा है। सैनिकों का स्वास्थ्य ठीक रहे इसके लिए भी विशेष इंतजाम हैं। लद्दाख की ऊंची चोटियों पर तैनात सैनिकों के लिए विशेष तीन लेयर वाले टेंट हैं जो बाहर से बर्फ और तेज हवाओं से सुरक्षित रखते है साथ ही अंदर से गर्म रखने का भी इंतजाम है।
जो पहले होती थी विंटर वेकेटेड पोस्ट
1999 में पाकिस्तान यहां इसलिए घुसपैठ कर पाया था क्योंकि तब तक इन ऊंचाइयों पर भारतीय सेना की जो पोस्ट हैं वो सर्दियों में खाली कर दी जाती थीं, जिन्हें विंटर वेकेटेड पोस्ट कहते थे। इसी का फायदा उठाकर पाकिस्तान ने इससे ठीक पहले सर्दियों में घुसपैठ की। लेकिन कारगिल युद्ध के बाद अब कोई भी पोस्ट विंटर वेकेटेड नहीं हैं। साल भर यहां सैनिकों की तैनाती रहती है। उसका असर ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भी दिखा जब पाकिस्तान की किसी भी कोशिश को सेना ने सफल नहीं होने दिया।
17-18 हजार फीट की ऊंचाई पर सभी इंतजाम
कारगिल का युद्ध 17-18 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था। अब साल भर सैनिक यहां निगरानी करते हैं और जो पोस्ट पहले खाली कर दी जाती थीं वहां भी तैनात रहते हैं। यहां सैनिकों को रहने में दिक्कत ना आए इसके लिए भी इंतजाम किए गए।
सैनिकों के लिए स्पेशल इंतजामअब सैनिकों के रहने के लिए स्पेशल हाई ऑल्टिट्यूट टेंट हैं और स्पेशल विंटर क्लोदिंग है। जो माइनस 40 से माइनस 50 डिग्री में भी सैनिकों को कंफर्ट देते हैं। यहां सैनिकों रहने के लिए स्मार्ट कैंप बने हैं, जहां बिजली का इंतजाम है और पानी के साथ जगह को गर्म रखने की भी सुविधा है। सैनिकों का स्वास्थ्य ठीक रहे इसके लिए भी विशेष इंतजाम हैं। लद्दाख की ऊंची चोटियों पर तैनात सैनिकों के लिए विशेष तीन लेयर वाले टेंट हैं जो बाहर से बर्फ और तेज हवाओं से सुरक्षित रखते है साथ ही अंदर से गर्म रखने का भी इंतजाम है।
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