नई दिल्लीः भारत ने बांग्लादेश से लगी अपनी संवेदनशील सीमा पर तीन नई सैन्य चौकियां (गैरीसन) स्थापित की है। इस कदम को भारत की सुरक्षा नीति में एक मजबूत संदेश के रूप में देखा जा रहा है, खासकर उस समय जब दिल्ली को पाकिस्तान और बांग्लादेश के बढ़ते संबंधों पर चिंता है।
कहां कहां बनाई चौकियांनई चौकियां धुबरी के पास बामुनी, किशनगंज और चोपड़ा में बनाई गई हैं। ये अब पूरी तरह चालू हो चुकी हैं और सेना व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए फोर्स मल्टीप्लायर की तरह काम करेंगी। इनका उद्देश्य 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा में मौजूद सुरक्षा खामियों को भरना और किसी भी संभावित घुसपैठ या आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना है।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भारत की सुरक्षा चिंताएंयह घटनाक्रम ऐसे वक्त में सामे आया है जब रणनीतिक दृष्टि से अहम सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ी हुई हैं। मात्र 22 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका, जिसे अक्सर ' चिकन नेक ' कहा जाता है, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बाकी देश से जोड़ने वाली एकमात्र कड़ी है। यहां किसी भी तरह की बाधा भारत के आठों पूर्वोत्तर राज्यों को बाकी देश से अलग कर सकती है, जिससे सैन्य आपूर्ति और अरबों के व्यापार पर असर पड़ सकता है।
सुरक्षा मजबूत करने के लिए नई चौकियांभारत ने इस इलाके में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नई चौकियों को अपनी सीमा आधुनिकीकरण योजना का हिस्सा बनाया है। इस फैसले का समय भी खास मायने रखता है। कुछ ही हफ्ते पहले बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने ढाका में पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। पाकिस्तान के संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने यूनुस से उनके जमुना आवास पर मुलाकात की थी। बैठक में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और कनेक्टिविटी पर चर्चा हुई थी।
भारत में इन बैठकों को केवल कूटनीतिक औपचारिकता के रूप में नहीं देखा जा रहा। सूत्रों के मुताबिक, इस तरह की रावलपिंडी-ढाका वार्ताओं का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है, जो दिल्ली की सुरक्षा नीति के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
कहां कहां बनाई चौकियांनई चौकियां धुबरी के पास बामुनी, किशनगंज और चोपड़ा में बनाई गई हैं। ये अब पूरी तरह चालू हो चुकी हैं और सेना व सीमा सुरक्षा बल (BSF) के लिए फोर्स मल्टीप्लायर की तरह काम करेंगी। इनका उद्देश्य 4,096 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा में मौजूद सुरक्षा खामियों को भरना और किसी भी संभावित घुसपैठ या आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करना है।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भारत की सुरक्षा चिंताएंयह घटनाक्रम ऐसे वक्त में सामे आया है जब रणनीतिक दृष्टि से अहम सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ी हुई हैं। मात्र 22 किलोमीटर चौड़ा यह इलाका, जिसे अक्सर ' चिकन नेक ' कहा जाता है, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बाकी देश से जोड़ने वाली एकमात्र कड़ी है। यहां किसी भी तरह की बाधा भारत के आठों पूर्वोत्तर राज्यों को बाकी देश से अलग कर सकती है, जिससे सैन्य आपूर्ति और अरबों के व्यापार पर असर पड़ सकता है।
सुरक्षा मजबूत करने के लिए नई चौकियांभारत ने इस इलाके में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए नई चौकियों को अपनी सीमा आधुनिकीकरण योजना का हिस्सा बनाया है। इस फैसले का समय भी खास मायने रखता है। कुछ ही हफ्ते पहले बांग्लादेश के अंतरिम मुख्य सलाहकार और नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने ढाका में पाकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारियों से मुलाकात की थी। पाकिस्तान के संयुक्त चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी के अध्यक्ष जनरल साहिर शमशाद मिर्जा ने यूनुस से उनके जमुना आवास पर मुलाकात की थी। बैठक में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और कनेक्टिविटी पर चर्चा हुई थी।
भारत में इन बैठकों को केवल कूटनीतिक औपचारिकता के रूप में नहीं देखा जा रहा। सूत्रों के मुताबिक, इस तरह की रावलपिंडी-ढाका वार्ताओं का सिलसिला आगे भी जारी रह सकता है, जो दिल्ली की सुरक्षा नीति के लिए चिंता का विषय बन सकता है।
You may also like

धमतरी : नगर निगम धमतरी की एमआईसी बैठक में जनहित के विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा

धमतरी : बच्चों को अब तक पुस्तक नहीं, मंत्री व कलेक्टर का वेतन रोकने की बात कहने वाले शिक्षक निलंबित

धान खरीदी केवल प्रशासनिक दायित्व नहीं, किसानों के प्रति हमारी जवाबदेही : कलेक्टर

Termite Removalˈ Hacks: दरवाजे के बाद, दीमक ने दीवार पर साधा निशान? इन 5 आसान तरीकों से करें जड़ से खत्म, खर्च सिर्फ 50 रुपये﹒

जेल सेˈ बाहर आते ही सीधे जंगल बुलाया अपनी गर्लफ्रेंड को फिर जो हुआ उसने इस लव स्टोरी को बना दिया बिल्कुल अलग﹒




