आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा में सोमवार को ताजमहल के पश्चिमी गेट पर अखिल भारत हिंदू महासभा की जिलाध्यक्ष मीरा राठौर और उनके साथियों के भगवा वस्त्र पहनकर पहुंच गए। इसके बाद ताजमहल म प्रवेश को लेकर हंगामा खड़ा हो गया। ताजमहल में प्रवेश से पहले पुलिस और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की, जिसके बाद करीब एक घंटे तक तीखी बहस और तनातनी चली। आखिरकार सुरक्षा बलों की मौजूदगी में उन्हें ताजमहल के अंदर जाने की अनुमति दी गई। अखिल भारत हिंदू महासभा लंबे समय से यह दावा करती रही है कि ताजमहल वास्तव में तेजोमहालय नामक शिव मंदिर था। संगठन की ओर से ताजमहल में भगवा झंडा फहराने या पूजा करने की कोशिशें भी करता रहा है।
भगवा कपड़ों में पहुंचीं मीरासोमवार सुबह मीरा राठौर अपने सहयोगियों निशा ठाकुर और नितेश भारद्वाज के साथ ताजमहल के पश्चिमी गेट पर पहुंचीं। सभी लोग भगवा धोती-कुर्ता, पीला दुपट्टा और गले में रुद्राक्ष की माला पहने हुए थे। माथे पर केसरिया तिलक लगाए वे 'तेजोमहालय' कहकर ताजमहल के दर्शन के उद्देश्य से टिकट लेकर प्रवेश द्वार तक पहुंचीं।
चेकिंग पर हुआ विवादमीरा राठौर और उनके साथी जैसे ही गेट पर पहुंचे, वहां तैनात पुलिस और एएसआई अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया। भगवा कपड़ों में प्रवेश को लेकर आपत्ति जताई गई और उनकी सख्त सुरक्षा जांच (चेकिंग) की गई। इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया। इस दौरान मीरा राठौर टोपी लगाकर आने वालों की एंट्री पर सवाल करती रहीं।
मीरा राठौर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब एक वर्ग विशेष के लोग अपनी धार्मिक पहचान के प्रतीक पहनकर ताजमहल में जा सकते हैं, तो हम सनातनी भगवा वस्त्र और केसरिया दुपट्टा पहनकर क्यों नहीं जा सकते? ताजमहल मूल रूप से तेजोमहालय है। हम सिर्फ उसके दर्शन के लिए आए हैं।
एक घंटे तक चली तकरारकरीब एक घंटे की बहस के बाद पुलिस और एएसआई अधिकारियों को बैकफुट पर आना पड़ा। इसके बाद सुरक्षा घेरे में मीरा राठौर और उनके साथियों को अंदर जाने की अनुमति दी गई। ताजमहल के अंदर उनके साथ सीआईएसएफ, एएसआई और स्थानीय पुलिसकर्मी मौजूद रहे। सदस्यों ने स्मारक के अंदर घूमकर दर्शन किए और कुछ देर बाद बाहर आ गए। इस दौरान किसी प्रकार की नारेबाजी या उपद्रव की सूचना नहीं मिली।
पुलिस, एएसआई कर्मी रहे सतर्कताजमहल में इस दौरान पूरे समय पुलिस और एएसआई कर्मी सतर्क रहे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर और संवेदनशील स्मारक है, जहां किसी भी धार्मिक या सांप्रदायिक प्रतीक को लेकर एहतियात बरतना जरूरी है। इसलिए यात्रियों की पोशाक और उद्देश्य की जांच करना सुरक्षा प्रक्रिया का हिस्सा है।
वहीं एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि किसी को भी उसके धार्मिक परिधान के आधार पर प्रवेश से वंचित नहीं किया जाता, लेकिन सुरक्षा कारणों से जांच अनिवार्य होती है। महिला और उनके साथियों को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद प्रवेश की अनुमति दी गई।
भगवा कपड़ों में पहुंचीं मीरासोमवार सुबह मीरा राठौर अपने सहयोगियों निशा ठाकुर और नितेश भारद्वाज के साथ ताजमहल के पश्चिमी गेट पर पहुंचीं। सभी लोग भगवा धोती-कुर्ता, पीला दुपट्टा और गले में रुद्राक्ष की माला पहने हुए थे। माथे पर केसरिया तिलक लगाए वे 'तेजोमहालय' कहकर ताजमहल के दर्शन के उद्देश्य से टिकट लेकर प्रवेश द्वार तक पहुंचीं।
चेकिंग पर हुआ विवादमीरा राठौर और उनके साथी जैसे ही गेट पर पहुंचे, वहां तैनात पुलिस और एएसआई अधिकारियों ने उन्हें रोक लिया। भगवा कपड़ों में प्रवेश को लेकर आपत्ति जताई गई और उनकी सख्त सुरक्षा जांच (चेकिंग) की गई। इस दौरान मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया। इस दौरान मीरा राठौर टोपी लगाकर आने वालों की एंट्री पर सवाल करती रहीं।
मीरा राठौर ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब एक वर्ग विशेष के लोग अपनी धार्मिक पहचान के प्रतीक पहनकर ताजमहल में जा सकते हैं, तो हम सनातनी भगवा वस्त्र और केसरिया दुपट्टा पहनकर क्यों नहीं जा सकते? ताजमहल मूल रूप से तेजोमहालय है। हम सिर्फ उसके दर्शन के लिए आए हैं।
एक घंटे तक चली तकरारकरीब एक घंटे की बहस के बाद पुलिस और एएसआई अधिकारियों को बैकफुट पर आना पड़ा। इसके बाद सुरक्षा घेरे में मीरा राठौर और उनके साथियों को अंदर जाने की अनुमति दी गई। ताजमहल के अंदर उनके साथ सीआईएसएफ, एएसआई और स्थानीय पुलिसकर्मी मौजूद रहे। सदस्यों ने स्मारक के अंदर घूमकर दर्शन किए और कुछ देर बाद बाहर आ गए। इस दौरान किसी प्रकार की नारेबाजी या उपद्रव की सूचना नहीं मिली।
पुलिस, एएसआई कर्मी रहे सतर्कताजमहल में इस दौरान पूरे समय पुलिस और एएसआई कर्मी सतर्क रहे। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ताजमहल एक राष्ट्रीय धरोहर और संवेदनशील स्मारक है, जहां किसी भी धार्मिक या सांप्रदायिक प्रतीक को लेकर एहतियात बरतना जरूरी है। इसलिए यात्रियों की पोशाक और उद्देश्य की जांच करना सुरक्षा प्रक्रिया का हिस्सा है।
वहीं एएसआई के एक अधिकारी ने बताया कि किसी को भी उसके धार्मिक परिधान के आधार पर प्रवेश से वंचित नहीं किया जाता, लेकिन सुरक्षा कारणों से जांच अनिवार्य होती है। महिला और उनके साथियों को सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद प्रवेश की अनुमति दी गई।
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