महुआ विधानसभा सीट: बिहार में वैशाली जिले की महुआ विधानसभा सीट पर वोटिंग जारी है। यहां मुख्य मुकाबला राजद सुप्रीमो के बड़े बेटे, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और बागी हो चुके तेज प्रताप यादव और राजद के वर्तमान विधायक मुकेश रौशन के बीच है। 2015 में तेज प्रताप यादव पहली बार महुआ सीट से चुनाव लड़कर विधायक बने थे। लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में तेज प्रताप यादव सीट बदल कर हसनपुर (समस्तीपुर) चले गए और वहां से विधायक बने। लेकिन इस बार पार्टी से बेदखल किए जाने के बाद तेज प्रताप यादव ने अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल बना महुआ से ताल ठोक दी है।
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महुआ विधानसभा सीट की खास बातें
राजनीतिक इतिहास देखा जाए तो महुआ विधानसभा सीट पर राजद का लंबे समय से दबदबा रहा है। 2010 को छोड़कर 2000 से लेकर अब तक हुए चुनावों में राजद ने यहां परचम लहराया है। 2015 के चुनाव में तेज प्रताप यादव स्वयं यहां से विधायक चुने गए थे। वहीं, 2020 में राजद के उम्मीदवार मुकेश कुमार रौशन ने जीत दर्ज की थी। महुआ विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी। 1952, 1957 और 1962 के शुरुआती चुनावों के बाद यह निर्वाचन क्षेत्र कुछ समय के लिए समाप्त कर दिया गया था, लेकिन 1977 में इसे दोबारा अस्तित्व मिला। 1977 से अब तक के चुनावी इतिहास में कांग्रेस और भाजपा को यहां कभी जीत नहीं मिली। 1977 और 1980 में जनता पार्टी, 1985 में लोकदल, 1990 और 1995 में जनता दल, और 2010 में जदयू ने यहां जीत दर्ज की थी, जो महुआ में उसकी पहली और अब तक की एकमात्र जीत रही। तेज प्रताप यादव इस बार इसी सीट से चुनाव मैदान में हैं, लेकिन इस बार तस्वीर कुछ अलग है, उनके नामांकन के दौरान जहां समर्थकों की भीड़ उमड़ी, वहीं परिवार का कोई सदस्य उनके साथ नजर नहीं आया। दिलचस्प यह है कि तेज प्रताप अब अपने पिता की पार्टी राजद के प्रत्याशी मुकेश कुमार रौशन के खिलाफ मैदान में हैं। अब दोनों का फैसला जनता ने कर दिया है। बस 14 नवंबर का इंतजार है, जब नतीजे आएंगे।
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महुआ विधानसभा सीट की खास बातें
राजनीतिक इतिहास देखा जाए तो महुआ विधानसभा सीट पर राजद का लंबे समय से दबदबा रहा है। 2010 को छोड़कर 2000 से लेकर अब तक हुए चुनावों में राजद ने यहां परचम लहराया है। 2015 के चुनाव में तेज प्रताप यादव स्वयं यहां से विधायक चुने गए थे। वहीं, 2020 में राजद के उम्मीदवार मुकेश कुमार रौशन ने जीत दर्ज की थी। महुआ विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी। 1952, 1957 और 1962 के शुरुआती चुनावों के बाद यह निर्वाचन क्षेत्र कुछ समय के लिए समाप्त कर दिया गया था, लेकिन 1977 में इसे दोबारा अस्तित्व मिला। 1977 से अब तक के चुनावी इतिहास में कांग्रेस और भाजपा को यहां कभी जीत नहीं मिली। 1977 और 1980 में जनता पार्टी, 1985 में लोकदल, 1990 और 1995 में जनता दल, और 2010 में जदयू ने यहां जीत दर्ज की थी, जो महुआ में उसकी पहली और अब तक की एकमात्र जीत रही। तेज प्रताप यादव इस बार इसी सीट से चुनाव मैदान में हैं, लेकिन इस बार तस्वीर कुछ अलग है, उनके नामांकन के दौरान जहां समर्थकों की भीड़ उमड़ी, वहीं परिवार का कोई सदस्य उनके साथ नजर नहीं आया। दिलचस्प यह है कि तेज प्रताप अब अपने पिता की पार्टी राजद के प्रत्याशी मुकेश कुमार रौशन के खिलाफ मैदान में हैं। अब दोनों का फैसला जनता ने कर दिया है। बस 14 नवंबर का इंतजार है, जब नतीजे आएंगे।
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