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बिहार पुलिस को 40 साल 'बेवकूफ' बनाए ममेरे-फुफेरे भाई, रिटायरमेंट के बाद खुला 'राज'; जानें सर्टिफिकेट वाला खेल

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शिवहर: बिहार पुलिस में एक अनोखा मामला सामने आया है। दो फुफेरे-ममेरे भाइयों ने एक ही नाम, पता, जन्मतिथि और पैन कार्ड का इस्तेमाल करके लगभग 40 साल तक नौकरी की। दोनों रिटायर भी हो गए। इस धोखाधड़ी का खुलासा तब हुआ जब एक भाई ने पेंशन के लिए शिवहर कोषागार में कागजात जमा किए। पता चला कि दूसरा भाई पहले से ही रोहतास कोषागार से पेंशन ले रहा है। अब आर्थिक अपराध इकाई (EOU), पटना इस मामले की जांच कर रही है। वहीं, शिवहर जिला पुलिस भी मामले की छानबीन कर रही है। एक ही सर्टिफिकेट पर दो-दो लोग नौकरीदरअसल, पूरा मामला रोहतास जिले के चौडीहरा गांव का है। विक्रमा सिंह नाम के एक व्यक्ति ने 1982 में कटिहार जीआरपी में नौकरी शुरू की। वे 2023 में गया जिले से रिटायर हुए। शिवहर में भी विक्रमा सिंह नाम के एक दारोगा रिटायर हुए हैं। सबसे खास बात यह है कि दोनों विक्रमा सिंह के पिता का नाम, स्थायी पता, जन्मतिथि, पैन नंबर, ऊंचाई और छाती का माप एक जैसा है। सिर्फ आधार नंबर, बैंक खाता नंबर और पहली नियुक्ति की जगह अलग-अलग है। शिवहर से रिटायर हुए विक्रमा सिंह की पहली नियुक्ति रोहतास जिला बल में सिपाही के पद पर हुई थी। जांच में हुआ हैरान करने वाला खुलासाजांच में पता चला कि शिवहर से रिटायर हुए विक्रमा सिंह का असली नाम राजेंद्र सिंह है। वे कैमूर के आटडीह गांव के रहने वाले हैं। राजेंद्र सिंह, गया से रिटायर हुए विक्रमा सिंह के ममेरे भाई हैं। मामला सामने आने के बाद शिवहर जिला पुलिस विक्रमा सिंह के शिवहर में नौकरी करने के दौरान की जानकारी जुटा रही है। पता चला है कि विक्रमा सिंह 2018 से 2023 तक शिवहर जिले में तैनात थे। इस दौरान वे शिवहर, तरियानी और पिपराही थाने में पदस्थापित थे। पुलिस कर रही मामले की जांचएसपी शैलेश कुमार सिन्हा ने बताया कि विक्रमा सिंह के शिवहर से रिटायर होने का मामला सामने आया है। आरोपित दारोगा के सेवाकाल का इतिहास खंगाला जा रहा है। आर्थिक अपराध इकाई मामले की जांच करेगी। शिवहर पुलिस जांच में सहयोग करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर आरोप सही पाए गए तो आरोपी से वेतन और अन्य मदों में ली गई राशि सरकार वसूल करेगी। जालसाजी का मामला भी दर्ज किया जाएगा।
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