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क्या फोन पर बात करते हुए बंद कर देना चाहिए इंटरनेट? पुलिस की आई चेतावनी! जानें करना क्या है

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ऐसा कई बार होता है कि हम जिन चीजों के बारे में बात कर रहे हों उससे जुड़े प्रोडक्ट्स हमें अपनी सोशल मीडिया फीड में विज्ञापनों की शक्ल में देखने को मिल जाते हैं। इससे यह सवाल उठता है कि क्या हमारा फोन छिप-छिप कर हमारी बातें सुनता है? इस सवाल को और गहरा बनाते हुए इंटरनेट पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें संदीप नाम के पुलिस अफसर अगाह कर रहे हैं कि फोन कॉल के दौरान इंटरनेट ऑफ कर देना चाहिए। उनका कहना है कि कॉल के दौरान गूगल और कुछ अन्य ऐप्स आपकी बातें सुन सकते हैं। बता दें कि संदीप यादव इंस्टाग्राम और X पर खासा पॉपुलर हैं। sandeep_the_real_cop नाम के अपने अकाउंट पर वह साइबर सुरक्षा से जुड़े टिप्स शेयर करते हैं। इंस्टाग्राम पर संदीप खुद को पुलिस ऑफिशियल और क्राइम और साइबर सुरक्षा पर जागरुकता फैलाने वाला बताते हैं। कॉल के दौरान इंटरनेट बंद रखने से जुड़ी उनकी रील फिलहाल वायरल हो रही है।





क्या है सलाह?संदीप ने अपनी एक रील में बताया है कि कॉल के दौरान फोन का इंटरनेट बंद कर देना चाहिए। उनका कहना है कि फोन कॉल के दौरान गूगल और अन्य ऐप्स हमारी बातचीत सुन सकते हैं। कॉल पर अगर किसी खास प्रोडक्ट जैसे कि फोन आदि की बात की जाए, तो उसके विज्ञापन हमें हमारी सोशल मीडिया फीड में विज्ञापनों के तौर पर दिखने लगते हैं। ऐसे में फोन कॉल के दौरान इंटरनेट को ऑफ कर देना चाहिए। उनका यह रील X पर वायरल है। जहां लोग Grok से बात की सच्चाई जानने की कोशिश भी कर रहे हैं।







क्या कहा Grok ने?प्रैक्टिकल दुनिया में संदीप की बातों में भले दम लगता है लेकिन Grok उनकी बातों से पूरी तरह सहमत नजर नहीं आता। एक यूजर ने जब वीडियो की सच्चाई के बारे में Grok से सवाल पूछा तो X के AI Grok ने उस यूजर को जवाब दिया कि “स्मार्टफोन आमतौर पर बातचीत सुनकर विज्ञापन नहीं दिखाते। विज्ञापन आपकी ऑनलाइन गतिविधियों, जैसे सर्च हिस्ट्री और लोकेशन डेटा, पर आधारित होते हैं। कुछ मार्केटिंग फर्म्स "सक्रिय सुनने" का दावा करती हैं, लेकिन गूगल और ऐप्पल जैसे बड़े टेक कंपनियां इसे नकारती हैं। अध्ययनों में भी व्यापक सबूत नहीं मिले। फिर भी, सावधानी के लिए माइक्रोफोन एक्सेस की जांच करें और अनावश्यक ऐप्स के लिए इसे बंद करें। इंटरनेट बंद करने की सलाह का कोई ठोस आधार नहीं है।”





रिसर्च में क्या दावा किया गया?इस विषय पर Apteco नाम की एक रिसर्च फर्म ने कुछ दिन पहले यह दावा किया था कि कुछ पॉपुलर ऐप्स यूजर्स के जिंदगी में लगातार तांक-झांक करते रहते हैं। इतना ही नहीं आप पर नजर रखते हुए, आपसे जुड़े अलग-अलग प्रोफाइल बनाए जाते हैं और आपकी पसंद, नापसंद और पॉलिटिकल ओपिनियन जैसे डेटा को ऑर्गनाइज किया जाता है। रिसर्च में जिन ऐप्स पर यह आरोप लगें हैं उनमें Meta के तीनों पॉपुलर ऐप्स भी शामिल हैं। रिसर्च फर्म Apteco की रिपोर्ट में दावा किया गया है ये ऐप्स यूजर्स के अलग-अलग डेटा को स्टोर करती हैं। इसमें आप किन चीजों पर क्लिक या टैप करते हैं समेत बहुत सारा डेटा शामिल है। इस बारे में डिटेल में जानने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करके खबर को पढ़ सकते हैं।

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