पटना: बिहार विधान सभा चुनाव 2025 के पहले राजद 'कौन बनेगा प्रदेश' अध्यक्ष के राजनीतिक खेल को अंजाम दे देगी। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की माने तो सामाजिक न्याय की पटरी पर दौड़ने वाला राष्ट्रीय जनता दल के रणनीतिकार जातीय समीकरण फिट करने में लगे हैं। अब अंततः राजद के रणनीतिकारों के बीच हो रही चर्चा के दौरान किसका नाम प्रदेश अध्यक्ष के लिए आगे किया जाएगा, वह तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव या फिर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ही जानते हैं। पर राजनीतिक गलियारों में जिन नामों की चर्चा है, उनके पीछे की वजह क्या है और जातीय समीकरण में ये कैसे फिट होते हैं? समझिए यहां... MY समीकरण में कौन?राजद प्रदेश अध्यक्ष को ले कर M Y समीकरण पर बात होगी तो यादव अध्यक्ष नहीं बनेगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के रहते यह संभव नहीं है। मुसलमान नेताओं में से जरूर कुछ नामों की चर्चा है। इन नामों में सबसे पहले पूर्व वित्त मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी हैं। दूसरा नाम कोषाध्यक्ष मो कामरान का चल रहा है। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजरे और खास कर एआईएमआईएम और प्रशांत किशोर की रणनीति को देखते राजद MY समीकरण दुरुस्त करना चाहती है। ऐसे में मुस्लिम से प्रदेश अध्यक्ष बन सकता है। पिछड़ी जाति से आलोक मेहतापिछड़ी जाति से पूर्व मंत्री और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के करीबी आलोक मेहता के प्रदेश अध्यक्ष बनने की चर्चा काफी तेज है। अपने मृदुल स्वभाव के कारण पार्टी के भीतर उनकी स्वीकार्यता भी है। कुशवाहा वोट यानि राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी की काट की बात की जाएगी तो राजद के लिए आलोक मेहता मुफीद रहेंगे। राजद ऐसे भी कुशवाहा जाति के मत को साधने में लगी हुई है। लोकसभा चुनाव में मिली सफलता के बाद यह संभव भी दिखता है। दलित कार्ड खेला तो?दलित को प्रदेश अध्यक्ष बनाने में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बड़ी रहमदिल रहे हैं। रमई राम, कमल पासवान, उदय नारायण चौधरी और पीतांबर पासवान को अध्यक्ष बनाया। राजद में दलित नाम को ले कर जो चर्चा है उसने सबसे आगे नाम पूर्व कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत का चल रहा था। लेकिन अब कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को घोषित कर दिया तो कुमार सर्वजीत का नाम कट गया। अतिपिछड़ा से मंगनी लाल मंडलअतिपिछड़ा समाज से मंगनीलाल मंडल का नाम काफी चर्चा में है। मंगनी लाल मंडल ने इसी साल जनवरी माह में जनता दल यूनाइटेड से इस्तीफा दिया था। तब वह पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। मंगनी लाल मंडल आरजेडी से ही जदयू में गए थे। उनकी गिनती अति पिछड़ों के बड़े नेता के रूप में होती है। राजद इनके सहारे अतिपिछड़ा समाज में अपनी पैठ बना सकता है। अब लालू जिसको चाहें...प्रदेश अध्यक्ष को ले कर चर्चा एक राजनीतिक प्रक्रिया है। अमूमन राजद के भीतर वही होता है जो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और अब तेजस्वी यादव की सहमति से होता हे। अब इन दोनों का विश्वास और चुनावी समीकरण किस पर बैठता है,वही राजद का प्रदेश अध्यक्ष होगा। ऐसे में राजद सुप्रीमो का भरोसा जगदानंद सिंह पर बना रहा तो चुनाव तक कोई बदलाव नहीं होगा।
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