उज्जैन: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की तेजतर्रार 35 वर्षीय अधिवक्ता अभिजीता सिंह राठौर ने अंगदान के माध्यम से मानवता की अद्भुत मिसाल कायम की है। उज्जैन के प्रतिष्ठित राठौर परिवार की बहू अभिजीता को ब्रेन डेथ घोषित किए जाने के बाद, उनके परिवार के ऐतिहासिक निर्णय से उनके आठ स्वस्थ अंग दान किए गए। यह अनुकरणीय पहल देश के आठ जरूरतमंद मरीजों के लिए जीवनदायिनी साबित हुई है।   
   
अंगदान को लेकर एक प्रदेश में एक अनुकरणीय पहल सामने आई है। उज्जैन के चिमनगंज मंडी क्षेत्र निवासी और हाईकोर्ट में एडवोकेट श्रीमती अभिजीता सिंह राठौर को ब्रेन डेथ घोषित किए जाने और परिवार द्वारा अंगदान की स्वीकृति के बाद इंदौर में 65 वां 'ग्रीन कॉरिडोर' बनाकर देश के विभिन्न शहरों में अंग पहुंचाए गए।
     
एक जुझारू वकील, एक नेक बहू
अभिजीता राठौर इंदौर हाईकोर्ट में एडवोकेट थीं। वे इंदौर के शासकीय लोक अभियोजक अभिजीत राठौर की बहन और अखिल भारतीय राठौर महासभा के पूर्व अध्यक्ष रतन सिंह राठौर की बेटी थीं। उनका विवाह 15 साल पहले उज्जैन के रेलवे ठेकेदार प्रवीण राठौर से हुआ था। उन्होंने इंजीनियरिंग के साथ-साथ एलएलबी और एलएलएम की डिग्री हासिल की थी। वह इंदौर में जरूरतमंदों को निःशुल्क न्याय दिलाने में हमेशा आगे रहती थीं। वे सामाजिक और धार्मिक कार्यों में भी बराबर सक्रिय रहती रही थीं।
   
पांच दिन में सबकुछ खत्म, ब्रेनडेड घोषित
जानकारी अनुसार अभिजिता करीब 6 दिन पहले बीमार हुईं थी। उन्हें इंदौर के निजी जुपिटर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे तेजी से स्वस्थ्य हुईं और इंफेक्शन खत्म हो गया था, लेकिन इसी दौरान उन्हें ब्रेन हेमरेज होने के बाद डॉक्टरों ने ब्रेनडेड घोषित कर दिया था। हालांकि उनके शरीर के बाकी अंग स्वस्थ थे और काम कर रहे थे।
   
अस्पताल ने अंगदान का प्रस्ताव रखा था
जानकारी अनुसार अभिजीता के परिवार के सामने अस्पताल प्रबंधन के डॉक्टरों ने सारी स्थिति बताते हुए अंगदान का प्रस्ताव रखा था। इस बारे में इंदौर के जनप्रतिनिधियों ने भी उनके परिवार से बात की थी। जिसके बाद उनके पति प्रवीण राठौर सहित बाकी परिजन ने अंगदान के लिए स्वीकृति दे दी थी।
      
   
इंदौर में 65 वीं बार अभिजीता के लिए बना ग्रीन कॉरिडोर
जानकारी अनुसार हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जिला प्रशासन की मदद से अभिजीता के दिल, लीवर, गुर्दे, फेफड़े, किडनी, और स्किन सहित आठ अंगों को सुरक्षित निकाला। इस दौरान पुलिस और प्रशासन ने ग्रीन कॉरिडोर तैयार कराया। इन अंगों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर देश के विभिन्न शहरों के जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाया गया, जिससे उनकी जान बचाई जा सकी।
      
   
गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया
अंगदान के सराहनीय और अनुकरणीय निर्णय के बाद जिला प्रशासन और पुलिस की टुकड़ी ने अभिजीता को गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। वहीं उसकी अंतिम यात्रा में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, और सैकड़ों राजनेता तथा समाजसेवी सहित बड़ी संख्या में मेडिकल फील्ड से जुड़े लोग शामिल हुए।
  
अंगदान को लेकर एक प्रदेश में एक अनुकरणीय पहल सामने आई है। उज्जैन के चिमनगंज मंडी क्षेत्र निवासी और हाईकोर्ट में एडवोकेट श्रीमती अभिजीता सिंह राठौर को ब्रेन डेथ घोषित किए जाने और परिवार द्वारा अंगदान की स्वीकृति के बाद इंदौर में 65 वां 'ग्रीन कॉरिडोर' बनाकर देश के विभिन्न शहरों में अंग पहुंचाए गए।
एक जुझारू वकील, एक नेक बहू
अभिजीता राठौर इंदौर हाईकोर्ट में एडवोकेट थीं। वे इंदौर के शासकीय लोक अभियोजक अभिजीत राठौर की बहन और अखिल भारतीय राठौर महासभा के पूर्व अध्यक्ष रतन सिंह राठौर की बेटी थीं। उनका विवाह 15 साल पहले उज्जैन के रेलवे ठेकेदार प्रवीण राठौर से हुआ था। उन्होंने इंजीनियरिंग के साथ-साथ एलएलबी और एलएलएम की डिग्री हासिल की थी। वह इंदौर में जरूरतमंदों को निःशुल्क न्याय दिलाने में हमेशा आगे रहती थीं। वे सामाजिक और धार्मिक कार्यों में भी बराबर सक्रिय रहती रही थीं।
पांच दिन में सबकुछ खत्म, ब्रेनडेड घोषित
जानकारी अनुसार अभिजिता करीब 6 दिन पहले बीमार हुईं थी। उन्हें इंदौर के निजी जुपिटर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वे तेजी से स्वस्थ्य हुईं और इंफेक्शन खत्म हो गया था, लेकिन इसी दौरान उन्हें ब्रेन हेमरेज होने के बाद डॉक्टरों ने ब्रेनडेड घोषित कर दिया था। हालांकि उनके शरीर के बाकी अंग स्वस्थ थे और काम कर रहे थे।
अस्पताल ने अंगदान का प्रस्ताव रखा था
जानकारी अनुसार अभिजीता के परिवार के सामने अस्पताल प्रबंधन के डॉक्टरों ने सारी स्थिति बताते हुए अंगदान का प्रस्ताव रखा था। इस बारे में इंदौर के जनप्रतिनिधियों ने भी उनके परिवार से बात की थी। जिसके बाद उनके पति प्रवीण राठौर सहित बाकी परिजन ने अंगदान के लिए स्वीकृति दे दी थी।
इंदौर में 65 वीं बार अभिजीता के लिए बना ग्रीन कॉरिडोर
जानकारी अनुसार हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जिला प्रशासन की मदद से अभिजीता के दिल, लीवर, गुर्दे, फेफड़े, किडनी, और स्किन सहित आठ अंगों को सुरक्षित निकाला। इस दौरान पुलिस और प्रशासन ने ग्रीन कॉरिडोर तैयार कराया। इन अंगों को ग्रीन कॉरिडोर बनाकर देश के विभिन्न शहरों के जरूरतमंद मरीजों तक पहुंचाया गया, जिससे उनकी जान बचाई जा सकी।
गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया
अंगदान के सराहनीय और अनुकरणीय निर्णय के बाद जिला प्रशासन और पुलिस की टुकड़ी ने अभिजीता को गार्ड ऑफ ऑनर प्रदान किया। वहीं उसकी अंतिम यात्रा में कैबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, और सैकड़ों राजनेता तथा समाजसेवी सहित बड़ी संख्या में मेडिकल फील्ड से जुड़े लोग शामिल हुए।
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