लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिहार के चुनावी मैदान में अपनी अलग धमक दिखाई है। राष्ट्रीय जनता दल और महागठबंधन उम्मीदवारों के पक्ष में हुए कई स्थानों पर माहौल बनाते दिखे। उनके ताबड़तोड़ चुनाव प्रचार का परिणाम 14 नवंबर को रिजल्ट आने के बाद पता चलेगा, लेकिन उन्होंने बिहार से उत्तर प्रदेश और देश की राजनीति को एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। अखिलेश यादव लगातार शीर्ष नेताओं को ही निशाने पर लेते रहे हैं। बिहार चुनाव में उन्होंने एक बार फिर इसी रणनीति पर चुनावी प्रचार अभियान को आगे चलाया। यूपी में भाजपा के बीच अलगाव की बात करने वाले सपा अध्यक्ष बिहार में नीतीश कुमार को फिर से सीएम न बनाने की बात करते दिख।
बिहार चुनाव के दौरान पिछले तीन-चार दिनों की रैली के दौरान अखिलेश यादव लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर ले रहे हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर नीतीश सरकार की नीति या कामकाज पर हमला नहीं बोला है। वे एनडीए के भीतर एकता नहीं होने की बात करते दिख रहे हैं। एक बार फिर उन्होंने दावा किया कि एनडीए अगर बहुमत में आ जाएगी तो नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी।
महागठबंधन ने बदला रुखबिहार चुनाव के शुरुआती दौर में राजद और कांग्रेस ने नीतीश कुमार को एनडीए का सीएम उम्मीदवार न घोषित किए जाने का मुद्दा उठाया था। हालांकि, इस पर महागठबंधन से सवाल किया जाने लगा। लोग पूछने लगे कि विपक्ष मान रहा है कि एनडीए सत्ता में लौट रही है। नीतीश कुमार के फिर से सीएम बनाने या न बनाने की बात तो तब होगी, जब विपक्ष मान ले कि वह लड़ाई से बाहर है। ऐसे में मुद्दे का बैकफायर देख महागठबंधन इससे अलग हट गई। हालांकि, अखिलेश इस मुद्दे पर लगातार बात कर रहे हैं।
यूपी में भी रही है रणनीतिसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव शीर्ष नेतृत्व को निशाने पर लेकर जनता के बीच एक अलग संदेश देने की रणनीति को यूपी की राजनीतिक जमीन पर आजमाते रहे हैं। हालांकि, उनकी भविष्यवाणी लगातार विफल होती दिखी है। दरअसल, यूपी चुनाव 2022 के दौरान अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर मॉडल पर करारा हमला बोलते हुए चुनाव में भाजपा की जीत के बाद दोबारा उन्हें मुख्यमंत्री न बनाए जाने की बात कही थी।
हालांकि, यूपी चुनाव 2022 में अखिलेश यादव को हार मिली और भारतीय जनता पार्टी लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी करने में सफल हुई। योगी आदित्यनाथ एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए। इसके बाद अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले और फिर रिजल्ट प्रकाशन के बाद सीएम योगी को हटाने का दावा किया।
यूपी में तमाम दावे निष्प्रभावीअखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद से कई बार सार्वजनिक मंच पर सीएम योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने के दावे किए हैं। यहां तक की संसद में भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और यूपी के मुख्यमंत्री के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने का दावा किया है। वे कहते दिखते हैं कि दिल्ली और लखनऊ का इंजन अलग-अलग दिशा में एक-दूसरे को खींच रहा है। हालांकि, पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तक लगातार योगी सरकार की तारीफ करते दिखते हैं।
बिहार में अब दावाबिहार की राजनीति में अखिलेश यादव नीतीश कुमार को किनारे लगाए जाने का दावा करते दिख रहे हैं। दरअसल, नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एनडीए के साथ लंबे समय से हैं। पहली बार वर्ष 2000 में वे एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इसके बाद से कुछ-कुछ अंतरालों को छोड़ दें तो नीतीश ही बिहार में एनडीए का चेहरा रहे हैं। इस बार भी अमित शाह से लेकर तमाम भाजपा के शीर्ष नेता नीतीश कुमार को ही नेता बताते दिखे हैं।
ऐसे में सपा अध्यक्ष का नीतीश को फिर से सीएम न बनाए जाने के दावे की चर्चा शुरू हो गई है। विपक्ष के बड़े चेहरे के रूप में बार-बार इस प्रकार के बयान को लेकर राजनीतिक विश्लेषक कहने लगे हैं कि अखिलेश यादव जमीन पर उतरे हैं। शायद उन्हें आभास हो गया है कि स्थिति नहीं बदलने वाली है। इसलिए, वे नीतीश कुमार के चेहरे का मुद्दा उठा रहे हैं।
बिहार चुनाव के दौरान पिछले तीन-चार दिनों की रैली के दौरान अखिलेश यादव लगातार बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर ले रहे हैं। हालांकि, उन्होंने सीधे तौर पर नीतीश सरकार की नीति या कामकाज पर हमला नहीं बोला है। वे एनडीए के भीतर एकता नहीं होने की बात करते दिख रहे हैं। एक बार फिर उन्होंने दावा किया कि एनडीए अगर बहुमत में आ जाएगी तो नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी।
महागठबंधन ने बदला रुखबिहार चुनाव के शुरुआती दौर में राजद और कांग्रेस ने नीतीश कुमार को एनडीए का सीएम उम्मीदवार न घोषित किए जाने का मुद्दा उठाया था। हालांकि, इस पर महागठबंधन से सवाल किया जाने लगा। लोग पूछने लगे कि विपक्ष मान रहा है कि एनडीए सत्ता में लौट रही है। नीतीश कुमार के फिर से सीएम बनाने या न बनाने की बात तो तब होगी, जब विपक्ष मान ले कि वह लड़ाई से बाहर है। ऐसे में मुद्दे का बैकफायर देख महागठबंधन इससे अलग हट गई। हालांकि, अखिलेश इस मुद्दे पर लगातार बात कर रहे हैं।
यूपी में भी रही है रणनीतिसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव शीर्ष नेतृत्व को निशाने पर लेकर जनता के बीच एक अलग संदेश देने की रणनीति को यूपी की राजनीतिक जमीन पर आजमाते रहे हैं। हालांकि, उनकी भविष्यवाणी लगातार विफल होती दिखी है। दरअसल, यूपी चुनाव 2022 के दौरान अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर मॉडल पर करारा हमला बोलते हुए चुनाव में भाजपा की जीत के बाद दोबारा उन्हें मुख्यमंत्री न बनाए जाने की बात कही थी।
हालांकि, यूपी चुनाव 2022 में अखिलेश यादव को हार मिली और भारतीय जनता पार्टी लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत से सत्ता में वापसी करने में सफल हुई। योगी आदित्यनाथ एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए गए। इसके बाद अखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव 2024 से पहले और फिर रिजल्ट प्रकाशन के बाद सीएम योगी को हटाने का दावा किया।
यूपी में तमाम दावे निष्प्रभावीअखिलेश यादव ने लोकसभा चुनाव रिजल्ट के बाद से कई बार सार्वजनिक मंच पर सीएम योगी आदित्यनाथ को हटाए जाने के दावे किए हैं। यहां तक की संसद में भी भाजपा के शीर्ष नेतृत्व और यूपी के मुख्यमंत्री के बीच सबकुछ ठीक नहीं होने का दावा किया है। वे कहते दिखते हैं कि दिल्ली और लखनऊ का इंजन अलग-अलग दिशा में एक-दूसरे को खींच रहा है। हालांकि, पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह तक लगातार योगी सरकार की तारीफ करते दिखते हैं।
बिहार में अब दावाबिहार की राजनीति में अखिलेश यादव नीतीश कुमार को किनारे लगाए जाने का दावा करते दिख रहे हैं। दरअसल, नीतीश कुमार बिहार की राजनीति में एनडीए के साथ लंबे समय से हैं। पहली बार वर्ष 2000 में वे एनडीए के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी। इसके बाद से कुछ-कुछ अंतरालों को छोड़ दें तो नीतीश ही बिहार में एनडीए का चेहरा रहे हैं। इस बार भी अमित शाह से लेकर तमाम भाजपा के शीर्ष नेता नीतीश कुमार को ही नेता बताते दिखे हैं।
ऐसे में सपा अध्यक्ष का नीतीश को फिर से सीएम न बनाए जाने के दावे की चर्चा शुरू हो गई है। विपक्ष के बड़े चेहरे के रूप में बार-बार इस प्रकार के बयान को लेकर राजनीतिक विश्लेषक कहने लगे हैं कि अखिलेश यादव जमीन पर उतरे हैं। शायद उन्हें आभास हो गया है कि स्थिति नहीं बदलने वाली है। इसलिए, वे नीतीश कुमार के चेहरे का मुद्दा उठा रहे हैं।
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