नई दिल्ली: ईरान और इजरायल का युद्ध अब डिजिटल तौर पर आर्थिक नुकसान की ओर बढ़ गया है। प्रीडेटरी स्पैरो नाम के इजरायली हैकिंग ग्रुप ने ईरान के सबसे बड़े क्रिप्टो एक्सचेंज नोबिटेक्स से 90 मिलियन डॉलर से ज्यादा (करीब 800 करोड़ रुपये) चुराने का दावा किया है। इस ग्रुप को गोंजेशके दरंदे के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने पैसे रखने के बजाय उसे नष्ट कर दिया। उनका मकसद एक राजनीतिक संदेश देना था।
फॉर्च्यून के मुताबिक इजरायल से जुड़े हैकर्स ने ईरानी क्रिप्टो एक्सचेंज पर हमला किया। यह हमला ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के समय हुआ है। हैकर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'ये साइबर हमले इस वजह से किए गए हैं क्योंकि नोबिटेक्स आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने और प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए एक प्रमुख शासन उपकरण बन गया है।' हैक के बाद नोबिटेक्स ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि अधिकांश करेंसी कोल्ड वॉलेट्स में सुरक्षित हैं और इस हमले से प्रभावित नहीं हुई हैं।
सारे पैसे कर दिए नष्टहैकर्स ने एक भी पैसा नहीं रखा। क्रिप्टो एनालिटिक्स फर्म एलिप्टिक ने बताया कि प्रीडेटरी स्पैरो ने 90 मिलियन डॉलर के बिटकॉइन, डॉगकॉइन और 100 से ज्यादा अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी चुराए। लेकिन उन्होंने इन फंड्स को भुनाने के बजाय नष्ट कर दिया। क्रिप्टो की भाषा में इसे 'बर्न' करना कहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वे एक राजनीतिक संदेश भेजना चाहते थे।
फॉर्च्यून के अनुसार, ब्लॉकचेन एड्रेस या डेटाबेस में वे स्थान जो रेकॉर्ड करते हैं कि किसके पास कितना पैसा है। ये आमतौर पर बेतरतीब ढंग से बनाए जाते हैं। इनमें संख्याओं और अक्षरों का एक उलझा हुआ क्रम होता है। लेकिन इस ऑपरेशन के लिए, प्रीडेटरी स्पैरो ने हैक किए गए फंड को उन एड्रेस पर भेजा जिनमें 'F-iRGCTerrorists' वाक्यांश शामिल था। IRGC का मतलब इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स है, जो ईरानी सेना की एक शाखा है।
शक्तिशाली कंप्यूटर का किया इस्तेमाल!एलिप्टिक के लीड क्रिप्टो थ्रेट रिसर्चर अर्दा अकार्टुना ने रिपोर्ट में बताया कि इस तरह के विशेष शब्दों वाले इतने सारे एड्रेस जनरेट करने के लिए इतनी ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत होगी कि यह किसी भी सामान्य जीवनकाल में संभव नहीं होगा। अकार्टुना ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक प्रतीकात्मक हैक था, न कि ऐसा हैक जिसमें आर्थिक लाभ प्राप्त करने का इरादा था।
फॉर्च्यून के मुताबिक इजरायल से जुड़े हैकर्स ने ईरानी क्रिप्टो एक्सचेंज पर हमला किया। यह हमला ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के समय हुआ है। हैकर्स ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, 'ये साइबर हमले इस वजह से किए गए हैं क्योंकि नोबिटेक्स आतंकवाद को वित्तीय सहायता देने और प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए एक प्रमुख शासन उपकरण बन गया है।' हैक के बाद नोबिटेक्स ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा कि अधिकांश करेंसी कोल्ड वॉलेट्स में सुरक्षित हैं और इस हमले से प्रभावित नहीं हुई हैं।
सारे पैसे कर दिए नष्टहैकर्स ने एक भी पैसा नहीं रखा। क्रिप्टो एनालिटिक्स फर्म एलिप्टिक ने बताया कि प्रीडेटरी स्पैरो ने 90 मिलियन डॉलर के बिटकॉइन, डॉगकॉइन और 100 से ज्यादा अलग-अलग क्रिप्टोकरेंसी चुराए। लेकिन उन्होंने इन फंड्स को भुनाने के बजाय नष्ट कर दिया। क्रिप्टो की भाषा में इसे 'बर्न' करना कहते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वे एक राजनीतिक संदेश भेजना चाहते थे।
फॉर्च्यून के अनुसार, ब्लॉकचेन एड्रेस या डेटाबेस में वे स्थान जो रेकॉर्ड करते हैं कि किसके पास कितना पैसा है। ये आमतौर पर बेतरतीब ढंग से बनाए जाते हैं। इनमें संख्याओं और अक्षरों का एक उलझा हुआ क्रम होता है। लेकिन इस ऑपरेशन के लिए, प्रीडेटरी स्पैरो ने हैक किए गए फंड को उन एड्रेस पर भेजा जिनमें 'F-iRGCTerrorists' वाक्यांश शामिल था। IRGC का मतलब इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स है, जो ईरानी सेना की एक शाखा है।
शक्तिशाली कंप्यूटर का किया इस्तेमाल!एलिप्टिक के लीड क्रिप्टो थ्रेट रिसर्चर अर्दा अकार्टुना ने रिपोर्ट में बताया कि इस तरह के विशेष शब्दों वाले इतने सारे एड्रेस जनरेट करने के लिए इतनी ज्यादा कंप्यूटिंग पावर की जरूरत होगी कि यह किसी भी सामान्य जीवनकाल में संभव नहीं होगा। अकार्टुना ने यह भी कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि यह एक प्रतीकात्मक हैक था, न कि ऐसा हैक जिसमें आर्थिक लाभ प्राप्त करने का इरादा था।