ज्योति शर्मा, मथुरा: वृंदावन स्थित श्री हित केली कुंज आश्रम में भक्ति और वात्सल्य के एक दुर्लभ क्षण देखने को मिला। पूज्य भाई जी महाराज की कृपापात्र मानी जाने वाली कमल बहन जी ने वृंदावन स्थित श्री हित केली कुंज आश्रम में संत प्रेमानंद महाराज से भाव भरा मिलन किया। यह भेंट दोनों संतों के बीच गहन आध्यात्मिक संबंध और परस्पर आदर को दर्शाता है।
कमल बहन जी का आश्रम पहुंचना उनके गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उनकी तीव्र उत्कंठा को दर्शाता है। प्रेमानंद महाराज ने जब बहन जी का कृष होता शरीर देखा, तो चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आपका शरीर तो बहुत कमजोर हो रहा है। इस पर बहन जी ने मार्मिक उत्तर दिया कि अब वो (ईश्वर) बुला रहे हैं।
इस भावुक उत्तर पर प्रेमानंद महाराज ने वात्सल्य दिखाते हुए कहा कि पहले हम जाएंगे और व्यवस्था करेंगे, फिर आप आना। श्री जी (राधा रानी) और उनकी सखियों संग व्यवस्था करेंगे। बहन जी ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि वे महाराज के दर्शन करें। इस मुलाकात के उपलक्ष्य में महाराज ने उन्हें बरसाना की राधा रानी का लहंगा प्रेम पूर्वक भेंट किया।
मिलन का सबसे भावुक क्षण तब आया जब कमल बहन जी ने पूज्य भाई जी महाराज की चरण रज प्रेमानंद महाराज को अर्पित की। महाराज ने इस पवित्र रज को तुरंत अपने मुख में ग्रहण किया और श्रद्धा से सिर पर लगाया। बहन जी ने भी महाराज को रज का टीका लगाया। बहन जी ने जब विनम्रता से कहा कि उनके पास महाराज को देने के लिए कुछ नहीं है, तो प्रेमानंद महाराज ने कहा कि इससे बड़ी कोई वस्तु हो सकती है क्या?
दोनों संतों के बीच देर तक भागवत चर्चा हुई, जिसमें महाराज ने कहा कि आपमें पूज्य भाई जी महाराज और पूज्य राधा बाबा की कृपा आपके रूप में विद्यमान है और आप उनका ही स्वरूप हैं। कमल बहन जी के साथ आईं निकुंज कामरा जी ने भाई जी का पद सुनाया, जिसे सुनकर प्रेमानंद महाराज भाव-विभोर हो गए।
कौन हैं कमल बहन जी?
कमल बहन जी, जिन्हें राधा बाबा और भाई जी महाराज के निकटस्थ सत्संगियों में माना जाता है। आध्यात्मिक जगत में अत्यंत पूजनीय हैं। वह पूज्य भाई जी (श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार) महाराज की प्रमुख शिष्या और कृपापात्र रही हैं। भाई जी महाराज गीता प्रेस, गोरखपुर के संस्थापक और कल्याण पत्रिका के संपादक थे। कमल बहन जी को उनकी गहन भक्ति, त्याग और राधा-कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम के कारण संत समाज में उच्च स्थान प्राप्त है। वह भाई जी और राधा बाबा की आध्यात्मिक विरासत की जीवित कड़ी मानी जाती हैं।
कमल बहन जी का आश्रम पहुंचना उनके गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उनकी तीव्र उत्कंठा को दर्शाता है। प्रेमानंद महाराज ने जब बहन जी का कृष होता शरीर देखा, तो चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आपका शरीर तो बहुत कमजोर हो रहा है। इस पर बहन जी ने मार्मिक उत्तर दिया कि अब वो (ईश्वर) बुला रहे हैं।
इस भावुक उत्तर पर प्रेमानंद महाराज ने वात्सल्य दिखाते हुए कहा कि पहले हम जाएंगे और व्यवस्था करेंगे, फिर आप आना। श्री जी (राधा रानी) और उनकी सखियों संग व्यवस्था करेंगे। बहन जी ने कहा कि उनकी इच्छा थी कि वे महाराज के दर्शन करें। इस मुलाकात के उपलक्ष्य में महाराज ने उन्हें बरसाना की राधा रानी का लहंगा प्रेम पूर्वक भेंट किया।
मिलन का सबसे भावुक क्षण तब आया जब कमल बहन जी ने पूज्य भाई जी महाराज की चरण रज प्रेमानंद महाराज को अर्पित की। महाराज ने इस पवित्र रज को तुरंत अपने मुख में ग्रहण किया और श्रद्धा से सिर पर लगाया। बहन जी ने भी महाराज को रज का टीका लगाया। बहन जी ने जब विनम्रता से कहा कि उनके पास महाराज को देने के लिए कुछ नहीं है, तो प्रेमानंद महाराज ने कहा कि इससे बड़ी कोई वस्तु हो सकती है क्या?
दोनों संतों के बीच देर तक भागवत चर्चा हुई, जिसमें महाराज ने कहा कि आपमें पूज्य भाई जी महाराज और पूज्य राधा बाबा की कृपा आपके रूप में विद्यमान है और आप उनका ही स्वरूप हैं। कमल बहन जी के साथ आईं निकुंज कामरा जी ने भाई जी का पद सुनाया, जिसे सुनकर प्रेमानंद महाराज भाव-विभोर हो गए।
कौन हैं कमल बहन जी?
कमल बहन जी, जिन्हें राधा बाबा और भाई जी महाराज के निकटस्थ सत्संगियों में माना जाता है। आध्यात्मिक जगत में अत्यंत पूजनीय हैं। वह पूज्य भाई जी (श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार) महाराज की प्रमुख शिष्या और कृपापात्र रही हैं। भाई जी महाराज गीता प्रेस, गोरखपुर के संस्थापक और कल्याण पत्रिका के संपादक थे। कमल बहन जी को उनकी गहन भक्ति, त्याग और राधा-कृष्ण के प्रति अनन्य प्रेम के कारण संत समाज में उच्च स्थान प्राप्त है। वह भाई जी और राधा बाबा की आध्यात्मिक विरासत की जीवित कड़ी मानी जाती हैं।
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