नई दिल्ली: सोने और चांदी की कीमतों में तेज गिरावट आई है। विदेशी बाजारों में नरमी के बीच 17 अक्टूबर से सोना 6,967 रुपये लुढ़क चुका है। बुधवार को यह 1,23,907 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया। इसी अवधि में चांदी में 18,774 रुपये की गिरावट आई है। यह 1,52,501 रुपये प्रति किलो बोली गई। इंडियन बुलियन ज्वैलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के आंकड़ों से इसका पता चलता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों में बुधवार को गिरावट जारी रही। पिछले दिन पांच साल में सबसे बड़ी एकदिनी बिकवाली के बाद ऐसा हुआ। मंगलवार को सोना 5% से ज्यादा लुढ़का था जो अगस्त 2020 के बाद सबसे तेज गिरावट थी। आज स्पॉट गोल्ड 0.4% टूटकर 4,109.19 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। यह सोमवार को अपने सबसे ऊंचे स्तर 4,381.21 डॉलर से 6% से ज्यादा की गिरावट है।
सिर्फ 5 दिनों में (17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर) सोने की कीमतें लगभग 7,000 रुपये प्रति यूनिट तक गिर चुकी हैं। यह दर्शाता है कि वैश्विक और घरेलू बाजार में सोने के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम हुआ है। साथ ही ऊंचे स्तरों पर बड़ी मुनाफावसूली हुई है। चांदी की कीमतों में गिरावट सोने की तुलना में कहीं ज्यादा है। 17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच चांदी (999) 171275 रुपये से घटकर 152501 रुपये पर आ गई है। यह 18,774 रुपये की बहुत बड़ी गिरावट है।
सोने-चांदी की कीमतों में यह कैसी गिरावट?
घरेलू सोने का बाजार दिवाली के अवकाश के कारण पिछले सत्र में बंद था। हालांकि, आज शाम के सत्र में जब बुलियन ट्रेडिंग के लिए खुला तो इसमें तेज बिकवाली देखने को मिली। दिवाली बलिप्रतिपदा के कारण सुबह के कारोबार में एमसीएक्स बंद था।
सोने की कीमतों में गिरावट के पीछे क्या है?घरेलू बाजार में 132,294 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने रिकॉर्ड शिखर से सोने की कीमतों में नरमी आई है। यह 1,23,907 रुपये पर आ गया है। सोने की कीमतों में यह ताजा बिकवाली निवेशकों की ओर से मुनाफावसूली के कारण हुई है। कारण है कि बुलियन बाजार में रिकॉर्ड तेजी देखी गई थी।
इस साल सोने की कीमतों ने लगभग 60% रिटर्न दिया है। यह ज्यादातर एसेट क्लास से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। इसके अलावा अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में सुधार के संकेत और भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के सकारात्मक परिणाम की संभावना ने भी जोखिम-मुक्त भावना को बढ़ावा दिया है। इससे सोने की कीमतों में गिरावट आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें अगले सप्ताह दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने पर उचित व्यापार सौदा होने की उम्मीद है। इसके अलावा, नई दिल्ली और वाशिंगटन एक लंबे समय से अटके व्यापार समझौते के करीब पहुंच रहे हैं। इससे भारतीय सामानों पर अमेरिकी टैरिफ 50% से घटकर 15% से 16% हो जाएगा। निवेशक अब सितंबर के अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक रिपोर्ट के जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। कारण है कि यह फेडरल रिजर्व की ब्याज दर के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाल सकता है।
वीटी मार्केट्स के ग्लोबल स्ट्रैटेजी लीड रॉस मैक्सवेल ने कहा कि कमजोर अमेरिकी डॉलर, फेड दरों में कटौती की उम्मीदें, केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीदारी और बढ़े हुए भू-राजनीतिक जोखिमों से प्रेरित सोने की कीमतों में तेजी रिकॉर्ड रन के बाद मुनाफावसूली का सामना कर रही है।
सोने की कीमतों में हालिया गिरावट ने निवेशकों को चौंका दिया है। खासकर तब जब यह पिछले दिन पांच साल की सबसे बड़ी एकदिनी बिकवाली के बाद आई।
निवेशकों के लिए क्या है सलाह?
मैक्सवेल ने निवेशकों को सलाह दी कि वे अनुशासित दृष्टिकोण अपनाएं। निवेशकों को धीरे-धीरे पोजीशन लेनी चाहिए, जैसे कि डॉलर-कॉस्ट एवरेजिंग का इस्तेमाल करके। इसका मतलब है कि नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करना, चाहे बाजार की कीमतें कुछ भी हों। इससे बाजार की अस्थिरता के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, उन्हें विभिन्न वित्तीय साधनों में विविधता लानी चाहिए। अमेरिकी महंगाई के आंकड़े और फेडरल रिजर्व के दिशानिर्देशों जैसे प्रमुख फैक्टरों पर नजर रखनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सोना अभी भी एक महत्वपूर्ण हेज और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफायर बना हुआ है। लेकिन, वर्तमान बाजार में विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंधन और अस्थिरता के प्रति जागरूकता आवश्यक है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों में बुधवार को गिरावट जारी रही। पिछले दिन पांच साल में सबसे बड़ी एकदिनी बिकवाली के बाद ऐसा हुआ। मंगलवार को सोना 5% से ज्यादा लुढ़का था जो अगस्त 2020 के बाद सबसे तेज गिरावट थी। आज स्पॉट गोल्ड 0.4% टूटकर 4,109.19 डॉलर प्रति औंस पर आ गया। यह सोमवार को अपने सबसे ऊंचे स्तर 4,381.21 डॉलर से 6% से ज्यादा की गिरावट है।
सिर्फ 5 दिनों में (17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर) सोने की कीमतें लगभग 7,000 रुपये प्रति यूनिट तक गिर चुकी हैं। यह दर्शाता है कि वैश्विक और घरेलू बाजार में सोने के प्रति निवेशकों का आकर्षण कम हुआ है। साथ ही ऊंचे स्तरों पर बड़ी मुनाफावसूली हुई है। चांदी की कीमतों में गिरावट सोने की तुलना में कहीं ज्यादा है। 17 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच चांदी (999) 171275 रुपये से घटकर 152501 रुपये पर आ गई है। यह 18,774 रुपये की बहुत बड़ी गिरावट है।
सोने-चांदी की कीमतों में यह कैसी गिरावट?
घरेलू सोने का बाजार दिवाली के अवकाश के कारण पिछले सत्र में बंद था। हालांकि, आज शाम के सत्र में जब बुलियन ट्रेडिंग के लिए खुला तो इसमें तेज बिकवाली देखने को मिली। दिवाली बलिप्रतिपदा के कारण सुबह के कारोबार में एमसीएक्स बंद था।
सोने की कीमतों में गिरावट के पीछे क्या है?घरेलू बाजार में 132,294 रुपये प्रति 10 ग्राम के अपने रिकॉर्ड शिखर से सोने की कीमतों में नरमी आई है। यह 1,23,907 रुपये पर आ गया है। सोने की कीमतों में यह ताजा बिकवाली निवेशकों की ओर से मुनाफावसूली के कारण हुई है। कारण है कि बुलियन बाजार में रिकॉर्ड तेजी देखी गई थी।
इस साल सोने की कीमतों ने लगभग 60% रिटर्न दिया है। यह ज्यादातर एसेट क्लास से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। इसके अलावा अमेरिका-चीन व्यापार संबंधों में सुधार के संकेत और भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता के सकारात्मक परिणाम की संभावना ने भी जोखिम-मुक्त भावना को बढ़ावा दिया है। इससे सोने की कीमतों में गिरावट आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्हें अगले सप्ताह दक्षिण कोरिया में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने पर उचित व्यापार सौदा होने की उम्मीद है। इसके अलावा, नई दिल्ली और वाशिंगटन एक लंबे समय से अटके व्यापार समझौते के करीब पहुंच रहे हैं। इससे भारतीय सामानों पर अमेरिकी टैरिफ 50% से घटकर 15% से 16% हो जाएगा। निवेशक अब सितंबर के अमेरिकी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक रिपोर्ट के जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। कारण है कि यह फेडरल रिजर्व की ब्याज दर के दृष्टिकोण पर प्रकाश डाल सकता है।
वीटी मार्केट्स के ग्लोबल स्ट्रैटेजी लीड रॉस मैक्सवेल ने कहा कि कमजोर अमेरिकी डॉलर, फेड दरों में कटौती की उम्मीदें, केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीदारी और बढ़े हुए भू-राजनीतिक जोखिमों से प्रेरित सोने की कीमतों में तेजी रिकॉर्ड रन के बाद मुनाफावसूली का सामना कर रही है।
सोने की कीमतों में हालिया गिरावट ने निवेशकों को चौंका दिया है। खासकर तब जब यह पिछले दिन पांच साल की सबसे बड़ी एकदिनी बिकवाली के बाद आई।
निवेशकों के लिए क्या है सलाह?
मैक्सवेल ने निवेशकों को सलाह दी कि वे अनुशासित दृष्टिकोण अपनाएं। निवेशकों को धीरे-धीरे पोजीशन लेनी चाहिए, जैसे कि डॉलर-कॉस्ट एवरेजिंग का इस्तेमाल करके। इसका मतलब है कि नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करना, चाहे बाजार की कीमतें कुछ भी हों। इससे बाजार की अस्थिरता के प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। इसके अलावा, उन्हें विभिन्न वित्तीय साधनों में विविधता लानी चाहिए। अमेरिकी महंगाई के आंकड़े और फेडरल रिजर्व के दिशानिर्देशों जैसे प्रमुख फैक्टरों पर नजर रखनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि सोना अभी भी एक महत्वपूर्ण हेज और पोर्टफोलियो डाइवर्सिफायर बना हुआ है। लेकिन, वर्तमान बाजार में विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंधन और अस्थिरता के प्रति जागरूकता आवश्यक है।
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