नई दिल्ली: प्रशांत महासागर की उन अथाह गहराइयों में, जहां सूरज की एक किरण भी नहीं पहुंच पाती, वहां वैज्ञानिकों को कुछ ऐसा मिला है, जिसने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। दरअसल, वैज्ञानिकों को लगभग 6200 मीटर (20341 फीट) की गहराई पर चार रहस्यमय काले अंडे मिले हैं। ये अंडे एक चट्टान से चिपके हुए थे, जिन्हें देखकर ऐसा लग रहा था कि जैसे ये सदियों से किसी राज को छुपाए बैठे हों। समुद्र की इतनी गहराई में ऐसी खोज होना किसी अजूबे से कम नहीं माना जा रहा है।
समुद्र में इस रहस्यमय खोज को जापान के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है। टोक्यो और होक्काइडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम एक ROV (रिमोट से चलने वाली पानी के अंदर की मशीन) का इस्तेमाल कर रही थी। तभी, समुद्र के एबिसोपेलाजिक जोन में उनकी नजर इन अजीबोगरीब अंडों पर पड़ी। इस खोज को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि समुद्र के इस हिस्से में रहने वाले जीवों के बारे में आज भी बहुत कम जानकारी है।
इन अंडों को देखने के बाद टोक्यो यूनिवर्सिटी के समुद्री रिसर्चर यासुनोरी कानो ने इन्हें बाहर निकालने का फैसला किया। अफसोस की बात ये है कि इस कोशिश में ज्यादातार अंडे टूट गए, लेकिन चार अंडे सही-सलामत बचे रहे। बाहर निकालने के बाद इन अंडों को फौरन होक्काइडो यूनिवर्सिटी के इनवर्टेब्रेट बायोलॉजिस्ट्स के पास भेजा गया, ताकि इनकी गुत्थी सुलझाई जा सके।
जब इन अंडों की जांच हुई, तो जो सामने आया वो और भी हैरान करने वाला था। ये काले अंडे असल में चपटे कृमियों के कोकून निकले। जी हां, कोकून, एक ऐसा खोल जिसमें कीड़े पलते हैं। होक्काइडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और इस रिसर्च के सह-लेखक कीइची काकुई ने बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी भी चपटे कृमियों के कोकून देखे ही नहीं थे।
अंदर थे नाजुक सफेद रंग के शरीरIFLScience की रिपोर्ट के मुताबिक, काकुई ने बताया कि जब उन्होंने एक कोकून को खोला, तो उसमें से दूध जैसा कुछ तरल पदार्थ निकला। इसके बाद जब उन्होंने उसे ध्यान से देखा तो अंदर नाजुक सफेद रंग के शरीर मिले। बस, तभी उन्हें एहसास हुआ कि ये प्लैटीहेल्मिन्थ यानी चपटे कृमि के कोकून थे।
गहराई का अनोखा रिकॉर्डसबसे हैरत की बात तो ये है कि इतनी गहराई पर चपटे कृमियों को पहली बार खोजा गया है। इससे पहले, सबसे गहरा चपटा कृमि करीब 5200 मीटर की गहराई पर देखा गया था। हालांकि, ये साफ नहीं था कि वो वहीं रहता है या किसी लकड़ी के टुकड़े के साथ गहराई में बह गया था। इन कोकूनों के डीएनए टेस्ट से एक और बड़ा राज खुला है।
नई समुद्री जीव प्रजाति की खोजडीएनए टेस्ट से पता चला कि ये चपटे कृमि प्लैटीहेल्मिन्थ फाइलम की एक ऐसी प्रजाति के हैं, जिसके बारे में पहले कभी वर्णन नहीं किया गया था। मतलब, वैज्ञानिकों ने एक नई समुद्री जीव प्रजाति की खोज कर ली है। रिसर्च पेपर में ये भी कहा गया है कि इतनी गहराई में मिलने के बावजूद, ये चपटे कृमि उथले पानी में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से बहुत ज्यादा अलग नहीं दिखते।
समुद्र के अनकहे राजहमारी धरती पर मौजूद महासागर आज भी कई अनसुलझे रहस्यों से भरे हैं। पानी में रहने वाली हर एक प्रजाति के बारे में जानना लगभग नामुमकिन सा लगता है, क्योंकि ये हमारे ग्रह के सबसे बड़े हिस्से को घेरे हुए हैं। प्रशांत महासागर की इन अथाह गहराइयों में इन काले अंडों की खोज, हमें इस बात के करीब लाती है कि समुद्र ने अपने अंदर क्या-क्या छिपा रखा है।
समुद्र में इस रहस्यमय खोज को जापान के वैज्ञानिकों ने अंजाम दिया है। टोक्यो और होक्काइडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की एक टीम एक ROV (रिमोट से चलने वाली पानी के अंदर की मशीन) का इस्तेमाल कर रही थी। तभी, समुद्र के एबिसोपेलाजिक जोन में उनकी नजर इन अजीबोगरीब अंडों पर पड़ी। इस खोज को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि समुद्र के इस हिस्से में रहने वाले जीवों के बारे में आज भी बहुत कम जानकारी है।
इन अंडों को देखने के बाद टोक्यो यूनिवर्सिटी के समुद्री रिसर्चर यासुनोरी कानो ने इन्हें बाहर निकालने का फैसला किया। अफसोस की बात ये है कि इस कोशिश में ज्यादातार अंडे टूट गए, लेकिन चार अंडे सही-सलामत बचे रहे। बाहर निकालने के बाद इन अंडों को फौरन होक्काइडो यूनिवर्सिटी के इनवर्टेब्रेट बायोलॉजिस्ट्स के पास भेजा गया, ताकि इनकी गुत्थी सुलझाई जा सके।
जब इन अंडों की जांच हुई, तो जो सामने आया वो और भी हैरान करने वाला था। ये काले अंडे असल में चपटे कृमियों के कोकून निकले। जी हां, कोकून, एक ऐसा खोल जिसमें कीड़े पलते हैं। होक्काइडो यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक और इस रिसर्च के सह-लेखक कीइची काकुई ने बताया कि उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी भी चपटे कृमियों के कोकून देखे ही नहीं थे।
अंदर थे नाजुक सफेद रंग के शरीरIFLScience की रिपोर्ट के मुताबिक, काकुई ने बताया कि जब उन्होंने एक कोकून को खोला, तो उसमें से दूध जैसा कुछ तरल पदार्थ निकला। इसके बाद जब उन्होंने उसे ध्यान से देखा तो अंदर नाजुक सफेद रंग के शरीर मिले। बस, तभी उन्हें एहसास हुआ कि ये प्लैटीहेल्मिन्थ यानी चपटे कृमि के कोकून थे।
गहराई का अनोखा रिकॉर्डसबसे हैरत की बात तो ये है कि इतनी गहराई पर चपटे कृमियों को पहली बार खोजा गया है। इससे पहले, सबसे गहरा चपटा कृमि करीब 5200 मीटर की गहराई पर देखा गया था। हालांकि, ये साफ नहीं था कि वो वहीं रहता है या किसी लकड़ी के टुकड़े के साथ गहराई में बह गया था। इन कोकूनों के डीएनए टेस्ट से एक और बड़ा राज खुला है।
नई समुद्री जीव प्रजाति की खोजडीएनए टेस्ट से पता चला कि ये चपटे कृमि प्लैटीहेल्मिन्थ फाइलम की एक ऐसी प्रजाति के हैं, जिसके बारे में पहले कभी वर्णन नहीं किया गया था। मतलब, वैज्ञानिकों ने एक नई समुद्री जीव प्रजाति की खोज कर ली है। रिसर्च पेपर में ये भी कहा गया है कि इतनी गहराई में मिलने के बावजूद, ये चपटे कृमि उथले पानी में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से बहुत ज्यादा अलग नहीं दिखते।
समुद्र के अनकहे राजहमारी धरती पर मौजूद महासागर आज भी कई अनसुलझे रहस्यों से भरे हैं। पानी में रहने वाली हर एक प्रजाति के बारे में जानना लगभग नामुमकिन सा लगता है, क्योंकि ये हमारे ग्रह के सबसे बड़े हिस्से को घेरे हुए हैं। प्रशांत महासागर की इन अथाह गहराइयों में इन काले अंडों की खोज, हमें इस बात के करीब लाती है कि समुद्र ने अपने अंदर क्या-क्या छिपा रखा है।
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