वाशिंगटन: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार फिर नेशनल फुटबाल लीग (NFL) टीम 'वाशिंगटन कमांडर्स' के पुराने नाम 'रेडस्किन्स' को वापस लाने की बात कही है। उन्होंने धमकी दी है कि अगर टीम ऐसा नहीं करती है तो वे वाशिंगटन, डीसी में बन रहे नए स्टेडियम को रोकने की कोशिश करेंगे। डोनाल्ड ट्रम्प के इस बयान की कई मूल अमेरिकियों के संगठनों ने कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि ऐसे नाम मूल अमेरिकी लोगों का अपमान करते हैं। इन संगठनों ने ट्रम्प के विचारों को खारिज करते हुए कहा कि वे हमें सिर्फ एक मजाक बना रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा कि लोग चाहते हैं कि कमांडर्स टीम अपना पुराना नाम वापस ले। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे महान इंडियन लोग भी यही चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने एमएलबी की टीम 'क्लीवलैंड गार्डियंस' (पहले 'इंडियंस') को भी अपना नाम बदलने के लिए कहा।
डोनाल्ड ट्रम्प के बयान की कड़ी आलोचना
डोनाल्ड ट्रम्प की इस बात की 'एसोसिएशन ऑन अमेरिकन इंडियन अफेयर्स' ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ऐसे नाम और शुभंकर मूल अमेरिकी लोगों का सम्मान नहीं करते, बल्कि उन्हें सिर्फ एक मजाक बनाकर रख देते हैं। संगठन ने कहा कि मूल अमेरिकी नागरिक आज भी मौजूद हैं और उनकी अपनी संस्कृति है। वे सम्मान और आत्म-निर्णय के हकदार हैं, न कि गलत तरीके से दिखाए जाने के।
नेशनल कांग्रेस ऑफ अमेरिकन इंडियंस (NCAI) ने भी ट्रम्प के विचारों को गलत बताया है। NCAI के अध्यक्ष मार्क मैकारो ने कहा कि उनकी संस्था 75 सालों से ऐसे नामों का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि मूल अमेरिकी लोगों का मजाक उड़ाने वाले नामों की आज के समाज में कोई जगह नहीं है।
टीम का फिर से नस्लवादी नाम रखने का विरोध
एनसीएआई ने एक बयान में कहा, "हम राष्ट्रपति ट्रम्प के वाशिंगटन कमांडर्स और क्लीवलैंड गार्डियंस को उनके पुराने, नस्लवादी नाम वापस रखने के आह्वान का स्पष्ट रूप से विरोध करते हैं। आदिवासी नागरिक इस मुद्दे पर कई पीढ़ियों से स्पष्ट हैं। हम आपके शुभंकर नहीं हैं। हम आपका ध्यान भटकाने का जरिया नहीं हैं।" उनका कहना है कि वे किसी के मनोरंजन के लिए नहीं हैं और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
वाशिंगटन एनएफएल टीम ने 2020 में 'रेडस्किन्स' नाम और लोगो को हटा दिया था। ऐसा कई सालों से हो रहे विरोध के बाद किया गया। ट्रम्प का यह बयान ऐसे समय में आया है जब टीम 2030 में एक नए स्टेडियम के साथ डीसी में वापस आने की तैयारी कर रही है। हालांकि ट्रम्प सीधे तौर पर इस प्रोजेक्ट को नहीं रोक सकते, लेकिन कांग्रेस (जो डीसी के कामकाज को देखती है) फंडिंग और मंजूरी पर असर डाल सकती है।
कमांडर्स एनएफएल की एक जानी-मानी टीम है जिसने तीन सुपर बाउल खिताब जीते हैं। फोर्ब्स ने पिछले साल इस टीम को लीग की 10वीं सबसे मूल्यवान टीम बताया था, जिसकी कीमत लगभग 6.3 बिलियन डॉलर है।
स्पोर्ट्स टीमों के नामों को लेकर बहस
नेटिव अमेरिकन गार्डियंस एसोसिएशन ने ट्रम्प के विचारों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि "कैंसिल कल्चर" परंपरा और पहचान को मिटा रहा है। "कैंसिल कल्चर" का मतलब है किसी व्यक्ति या चीज को इसलिए नकार देना क्योंकि उन्होंने कुछ गलत किया है। कुछ अन्य बड़ी स्पोर्ट्स टीमों, जैसे अटलांटा ब्रेव्स, शिकागो ब्लैकहॉक्स और कंसास सिटी चीफ्स ने कहा है कि वे अपने नाम नहीं बदलेंगे। इससे स्पोर्ट्स में नामों को लेकर बहस जारी है।
इस पूरे मामले में यह साफ है कि मूल अमेरिकी संगठनों का मानना है कि ऐसे नाम उनके लिए अपमानजनक हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे नामों को परंपरा और पहचान का हिस्सा मानते हैं। इसलिए यह बहस अभी भी जारी है कि क्या स्पोर्ट्स टीमों को अपने नाम बदलने चाहिए या नहीं।
डोनाल्ड ट्रम्प ने 'ट्रुथ सोशल' पर लिखा कि लोग चाहते हैं कि कमांडर्स टीम अपना पुराना नाम वापस ले। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे महान इंडियन लोग भी यही चाहते हैं। इसके साथ ही उन्होंने एमएलबी की टीम 'क्लीवलैंड गार्डियंस' (पहले 'इंडियंस') को भी अपना नाम बदलने के लिए कहा।
डोनाल्ड ट्रम्प के बयान की कड़ी आलोचना
डोनाल्ड ट्रम्प की इस बात की 'एसोसिएशन ऑन अमेरिकन इंडियन अफेयर्स' ने कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ऐसे नाम और शुभंकर मूल अमेरिकी लोगों का सम्मान नहीं करते, बल्कि उन्हें सिर्फ एक मजाक बनाकर रख देते हैं। संगठन ने कहा कि मूल अमेरिकी नागरिक आज भी मौजूद हैं और उनकी अपनी संस्कृति है। वे सम्मान और आत्म-निर्णय के हकदार हैं, न कि गलत तरीके से दिखाए जाने के।
नेशनल कांग्रेस ऑफ अमेरिकन इंडियंस (NCAI) ने भी ट्रम्प के विचारों को गलत बताया है। NCAI के अध्यक्ष मार्क मैकारो ने कहा कि उनकी संस्था 75 सालों से ऐसे नामों का विरोध कर रही है। उन्होंने कहा कि मूल अमेरिकी लोगों का मजाक उड़ाने वाले नामों की आज के समाज में कोई जगह नहीं है।
टीम का फिर से नस्लवादी नाम रखने का विरोध
एनसीएआई ने एक बयान में कहा, "हम राष्ट्रपति ट्रम्प के वाशिंगटन कमांडर्स और क्लीवलैंड गार्डियंस को उनके पुराने, नस्लवादी नाम वापस रखने के आह्वान का स्पष्ट रूप से विरोध करते हैं। आदिवासी नागरिक इस मुद्दे पर कई पीढ़ियों से स्पष्ट हैं। हम आपके शुभंकर नहीं हैं। हम आपका ध्यान भटकाने का जरिया नहीं हैं।" उनका कहना है कि वे किसी के मनोरंजन के लिए नहीं हैं और उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
वाशिंगटन एनएफएल टीम ने 2020 में 'रेडस्किन्स' नाम और लोगो को हटा दिया था। ऐसा कई सालों से हो रहे विरोध के बाद किया गया। ट्रम्प का यह बयान ऐसे समय में आया है जब टीम 2030 में एक नए स्टेडियम के साथ डीसी में वापस आने की तैयारी कर रही है। हालांकि ट्रम्प सीधे तौर पर इस प्रोजेक्ट को नहीं रोक सकते, लेकिन कांग्रेस (जो डीसी के कामकाज को देखती है) फंडिंग और मंजूरी पर असर डाल सकती है।
कमांडर्स एनएफएल की एक जानी-मानी टीम है जिसने तीन सुपर बाउल खिताब जीते हैं। फोर्ब्स ने पिछले साल इस टीम को लीग की 10वीं सबसे मूल्यवान टीम बताया था, जिसकी कीमत लगभग 6.3 बिलियन डॉलर है।
स्पोर्ट्स टीमों के नामों को लेकर बहस
नेटिव अमेरिकन गार्डियंस एसोसिएशन ने ट्रम्प के विचारों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि "कैंसिल कल्चर" परंपरा और पहचान को मिटा रहा है। "कैंसिल कल्चर" का मतलब है किसी व्यक्ति या चीज को इसलिए नकार देना क्योंकि उन्होंने कुछ गलत किया है। कुछ अन्य बड़ी स्पोर्ट्स टीमों, जैसे अटलांटा ब्रेव्स, शिकागो ब्लैकहॉक्स और कंसास सिटी चीफ्स ने कहा है कि वे अपने नाम नहीं बदलेंगे। इससे स्पोर्ट्स में नामों को लेकर बहस जारी है।
इस पूरे मामले में यह साफ है कि मूल अमेरिकी संगठनों का मानना है कि ऐसे नाम उनके लिए अपमानजनक हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे नामों को परंपरा और पहचान का हिस्सा मानते हैं। इसलिए यह बहस अभी भी जारी है कि क्या स्पोर्ट्स टीमों को अपने नाम बदलने चाहिए या नहीं।
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